Unwanted Pregnancy: अनचाहे गर्भ से बचाएगी ये नई इम्प्लांट तकनीक, पांच साल तक नहीं रहेगी कोई टेंशन
आगरा के दो चिकित्सक ले रहे हैं इस तकनीक का प्रशिक्षण। महिला के हाथ में फिट होता है इम्प्लांट। यह एक प्रकार से बर्थ कंट्रोल है जो माचिस की तीली के आकार की एक छोटी और पतली छड़ है। ये शरीर में एक हार्मोन रिलीज करने में मदद करता है।

आगरा, प्रभजोत कौर। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए अब गर्भ निरोधक गोलियों या अन्य तरीकों के अलावा महिलाएं इम्प्लांट तकनीक आधारित गर्भ निरोध तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगी। ये दूसरे साधनों के मुकाबले बहुत आसान है और एक बार इम्प्लांट कराने पर पांच साल तक सुरक्षित रहा जा सकता है। इस तकनीक को इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण आगरा के दो स्त्री रोग विशेषज्ञ ले रहे हैं।
क्या है इम्प्लांट तकनीक
एक कंपनी ने अनचाहे गर्भ से बचने के लिए एक विशेष तरह का इम्प्लांट विकसित किया है। यह एक प्रकार से बर्थ कंट्रोल इम्प्लांट है, यह माचिस की तीली के आकार की एक छोटी और पतली छड़ होती है, जो महिलाओं के शरीर में एक प्रकार का हार्मोन रिलीज करने में मदद करता है। जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है और जो महिलाओं को गर्भवती होने से रोकता है। एक बार इम्प्लांट लगवाने के बाद महिला पांच साल तक गर्भधारण से बच सकती है।
शहर के दो चिकित्सक ले रहे ट्रेनिंग
कंपनी ने आगरा ऑब्स एंड गायनी सोसायटी की अध्यक्ष डा. आरती गुप्ता व रेनबो हास्पिटल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा को प्रशिक्षण के लिए चुना है। यह दोनों चिकित्सक प्रशिक्षण लेने के साथ ही अपनी टीम को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं।
नए विकल्पों में यह ज्यादा प्रभावी
डा. मल्होत्रा ने बताया कि लंबे समय तक टिकने वाले इन गर्भ निरोधक विकल्पों को लांग एक्टिंग रिवरसिबिल कांट्रसेप्शन कहा जाता है। इन्हें गोलियों की तरह हर रोज लेने की जरूरत नहीं होती। इम्प्लांट को महिला के हाथ में फिट किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इंप्लांट लगाने वाली 2000 में से एक महिला के ही गर्भधारण की संभावना होती है, जबकि गोलियां लेने वाली 10 में से एक महिला के गर्भवती होने की संभावना रहती है। डा. आरती मनोज ने बताया कि इस इम्प्लांट को महिला जब चाहें तब हटवा सकती है। इसे लगवाने से शरीर को कोई नुकसान नहीं है।
कैसे काम करता है
प्रोजेस्टिन महिला के गर्भाशय ग्रीवा पर बलगम को गाढ़ा कर देता है, जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता है। जब शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाता तो गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है। इसके अलावा प्रोजेस्टिन महिला के अंडोशय को अंडोत्सर्जन या ऑव्यूलेशन करने से रोक देता है। इस प्रकार से शुक्राणुओं को निषेचित होने के लिए अंडे उपलब्ध नहीं होते हैं। जिससे गर्भधारण होने की संभावना खत्म हो जाती है।
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