UP News: आगरा में नहीं टूटेगा मुगलकालीन हमाम, हाईकोर्ट ने लगाई रोक; पुलिस सहित इन विभागों की जिम्मेदारी तय
आगरा का 16वीं शताब्दी का मुगलकालीन हमाम अब नहीं टूटेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमाम को किसी भी तरह की क्षति से बचाने के निर्देश दिए हैं। हमाम के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाले निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। र्की शैली में बने हमाम का निर्माण जहांगीर के समय वर्ष 1620 में अली वर्दी खान द्वारा कराया गया था।

जागरण संवाददाता, आगरा। Mughal Hammam News:शहरवासियों के प्रयास रंग लाए हैं। छीपीटोला स्थित 16वीं शताब्दी का मुगल हमाम अब नहीं टूटेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के पुलिस आयुक्त, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और उप्र राज्य पुरातत्व विभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि हमाम को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचे। पुलिस आयुक्त को हमाम की सुरक्षा को पुलिस फाेर्स तैनात करनी होगी। मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
छीपीटोला में 16वीं शताब्दी का मुगल हमाम है। तुर्की शैली में बने हमाम का निर्माण जहांगीर के समय वर्ष 1620 में अली वर्दी खान द्वारा कराया गया था। यहां सुरेश चंद कुशवाह ने हमाम गेट के निजी संपत्ति होने का बोर्ड लगाकर पुराने निर्माण को तुड़वाना शुरू कर दिया था।
इससे हमाम के अस्तित्व के लिए भी संकट खड़ा हो गया था। बुधवार को धरोहर प्रेमियों ने बिजलीघर चौराहा से हमाम तक हेरिटेज वाक कर पुष्प अर्पित कर हमाम को अलविदा कहा था। देवरी रोड निवासी चंद्रपाल सिंह राणा ने हमाम को बचाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
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याचिका में एएसआइ, राज्य पुरातत्व विभाग, सुरेश चंद कुशवाह, दिनेश चंद कुशवाह, गजेंद्र सिसौदिया और पुलिस आयुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली के निर्देश पर गुरुवार को न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति समित गोपाल की बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। बेंच ने प्रतिवादी सुरेश चंद कुशवाह, दिनेश चंद कुशवाह और गजेंद्र सिसौदिया को नोटिस जारी करने का आदेश किया।
Mughal Hammam: छीपीटोला स्थित 16वीं शताब्दी का हमाम। जागरण
धरोहर के समक्ष उत्पन्न संकट को देखते हुए बेंच ने आगरा के पुलिस आयुक्त, एएसआइ के आगरा सर्किल और उप्र राज्य पुरातत्व विभाग के निदेशक को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्मारक को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। पुलिस आयुक्त को स्मारक की सुरक्षा को पर्याप्त पुलिस की तैनाती सुनिश्चित करनी होगी। याची की पैरवी अधिवक्ता शाद खान और चंद्रप्रकाश सिंह ने की। प्रतिवादी पु्लिस आयुक्त एवं उप्र राज्य पुरातत्व विभाग की पैरवी अधिवक्ता मनु घिल्डियाल और एएसआइ की पैरवी अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने की।
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सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र था हमाम
सत्या चंद्र मुखर्जी की 1892 में प्रकाशित पुस्तक 'द ट्रैवलर गाइड टू आगरा' और सैयद मोहम्मद लतीफ की 1896 में प्रकाशित पुस्तक 'हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टव विद एन अकाउंट आफ अकबर एंड हिज कोर्ट' में हमाम का विवरण है। यहां सराय में व्यापारी और यात्री रुकते थे। हमाम सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र था। हमाम का प्रवेश द्वार लाल बलुआ पत्थर से बना है। इसमें पानी के झरने व स्नानागार थे, जिनमें ठंडे व गरम पानी की व्यवस्था थी, जो नष्ट हो चुके हैं। हमाम के गुंबद व मेहराब पर चूने का डायमंड कट प्लास्टर का काम है।
1992 तक जाता था किराया
हमाम परिसर में दर्जनभर से अधिक परिवार रहते हैं। इनमें से कई के पास किरायेनामे के दस्तावेज हैं। उनके अनुसार वर्ष 1992 तक सरकार को 100 रुपये किराया जाता था। 1947 की किराये की रसीद में राय बहादुर सेठ ताराचंद रईस व जमींदार गर्वनमेंंट ट्रेजरार का नाम लिखा है। 1925 के किरायेनामा में छह रुपये सालाना किराया लिखा है। हमाम एएसआइ व राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारकों में शामिल नहीं है।
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