Moti Masjid: मुगल काल में बनी सफेद संगमरमर की इमारत, ताजमहल बनवाने वाले शहंशाह शाहजहां से जुड़ा इतिहास
Agra Fort Moti Masjid इसके निर्माण पर तीन लाख रुपये की लागत आई थी। शाहजहां ने अपने शासनकाल में वर्ष 1647 में इसका निर्माण शुरू कराया था और वर्ष 1654 में यह बनकर तैयार हुई थी। अपनी तरह की मस्जिदों में यह पूरे एशिया में सर्वश्रेष्ठ है।

आगरा, जागरण टीम। शहंशाह शाहजहां ने जहां दुनिया की खूबसूरत इमारत ताजमहल का निर्माण कराया वहीं उसने कई अन्य स्मारकों और मस्जिदों का भी निर्माण कराया। शाहजहां का काल मुगल समय में स्वर्णिम युग के लिए भी जाना जाता है। स्थापत्य कला चरम पर पहुंच गई थी।
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आगरा में माेती मस्जिद और मुसम्मन बुर्ज जैसी खूबसरत इमारतें इसका एक नमूना है। मुस्ममन बुर्ज से टूरिस्ट ताजमहल देखते थे। हालांकि अब यहां रेलिंग लगा दी गई है। वहीं आगरा किला की माेती मस्जिद में सैलानियों की एंट्री प्रतिबंधित है। दूर से इसके गुंबद नजर आते हैं।
मुगलकालीन निर्माण कला का उत्कृष्ट रूप है
आगरा किला का मुसम्मन बुर्ज शहंशाह शाहजहां के अंतिम दिनों का साक्षी है। वहीं शाहजहां के समय बने स्मारकों में मुगलकालीन वैभव और निर्माण कला का उत्कृष्ट रूप नजर आता है। सफेद संगमरमर से बना ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल दुनिया भर में अपनी पच्चीकारी, साम्यता और अद्भुत सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। आगरा किला स्थित मोती मस्जिद भी कुछ कम नहीं है, लेकिन यह पर्यटकों की पहुंच से बाहर है। यह है तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित, लेकिन इसमें पर्यटकों को प्रवेश नहीं मिलता।

तीन लाख रुपये में बनकर तैयार हुई थी मोती मस्जिद
आगरा किला स्थित मोती मस्जिद का निर्माण शहंशाह शाहजहां ने अपने शासनकाल में वर्ष 1647 में शुरू कराया था। वर्ष 1654 में मोती मस्जिद बनकर तैयार हुई। अपनी तरह की मस्जिदों में यह पूरे एशिया में सर्वश्रेष्ठ है। उस समय इसके निर्माण पर तीन लाख रुपये की लागत आई थी।
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मोती मस्जिद की ये है विशेषता
- मोती मस्जिद की बाहरी दीवारें रेड सैंड स्टोन की बनी हैं
- अंदर की तरफ पूरा काम सफेद संगमरमर का है
- पूर्व से पश्चिम तक इसकी दीवार 234 फीट और उत्तर से दक्षिणी की तरफ इसकी दीवार 187 फीट लगी है
- मस्जिद के आंगन में बना टैंक वर्गाकार है, जिसकी प्रत्येक दिशा में लंबाई 37 फुट है
- मुख्य मस्जिद अंदर से मेहराब और खंबों की पंक्तियों के द्वारा तीन भागों में बंटी हुई है
- इसके ऊपर तीन गुंबद बने हैं, जो कि दूर से ही चमकते हैं
- मस्जिद के सामने महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने को चैंबर बना हुआ है। इसमें पर्दे के लिए संगमरमर की जाली लगाई गई है
- मस्जिद के सामने वाले आर्च में काले संगमरमर पर फारसी भाषा में लिखा शिलालेख है
- पूरी मस्जिद सफेद संगमरमर की बनी हुई है।
- मोती मस्जिद ऊंचाई पर बनी हुई है और मस्जिद तक जाने को काफी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं
- मस्जिद के नीचे के भाग में कोठरियां बनी हुई हैं।
मोती मस्जिद में धूप घड़ी बनी है
मोती मस्जिद के आंगन में धूप घड़ी का स्तंभ बना हुआ है। मुगल काल में सूर्य के घूमने और स्तंभ की परछाईं के आधार पर समय का आकलन किया जाता था।

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