ताजमहल पर महिला पर्यटक पर बंदरों ने बोला हमला, लहूलुहान हुआ एक हाथ; अस्पताल भेजा
वाराणसी से ताजमहल घूमने आई एक महिला पर्यटक पर बंदरों ने हमला कर दिया जिससे वह घायल हो गईं। ताजमहल के पश्चिमी गेट पर हुई इस घटना के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। ताजमहल के आसपास बंदरों का आतंक पहले से ही है जिससे पर्यटक परेशान हैं। ASI ने पहले भी सुरक्षा के उपाय किए थे लेकिन बंदरों का खतरा अभी भी बना हुआ है।

जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल के पश्चिमी गेट के बाहर सोमवार दोपहर बेंच पर बैठीं वाराणसी से आईं महिला पर्यटक पर बंदरों ने हमला बोल दिया। उनके दाएं हाथ में बुरी तरह काट लिया, जिससे वह लहुलुहान हो गईं। पर्यटक की चीख-पुकार सुनकर पहुंचे ताज सुरक्षा पुलिस के जवानों ने किसी तरह बंदरों को भगाया। इसके बाद एंबुलेंस बुलाकर पर्यटक को जिला अस्पताल भिजवाया गया।
वाराणसी की 60 वर्षीय कमलेश पत्नी कृष्णानंद भट्ट सोमवार दोपहर करीब तीन बजे बेटे शैलेंद्र भट्ट और बहू अनुराधा शर्मा के साथ ताजमहल देखने आई थीं। शैलेंद्र व अनुराधा ताजमहल देखने चले गए, जबकि
कमलेश पश्चिमी गेट के बाहर बेंच पर बैठकर दोनों के वापस लौटने का इंतजार कर रही थीं। उनके हाथ में पानी की बोतल थी। अचानक आए बंदरों ने उनसे पानी की बोतल छीनने की कोशिश की। पर्यटक द्वारा बोतल नहीं छोड़े जाने पर बंदरों ने उन पर हमला बोल दिया। उनके दाएं हाथ में काट लिया। ताज सुरक्षा पुलिस ने बंदरों को भगाया। महिला पर्यटक की गंभीर स्थिति को देखते हुए पश्चिमी गेट पार्किंग स्थित पर्यटक सुविधा केंद्र से एंबुलेंस बुलवाई। महिला पर्यटक के बेटे और बहू को फोन कर ताजमहल के अंदर से बुलाया गया। कमलेश की स्थिति को देखकर उनकी बहू अनुराधा रोने लगीं। पुलिस ने एंबुलेस से घायल पर्यटक को जिला अस्पताल भिजवाया। पुलिस टीम में उपनिरीक्षक शिवराज सिंह, मुख्य आरक्षी महेशचंद्र व दिलीप कुमार, आरक्षी विजय सिंह, यतेंद्र कुमार शामिल थे।
ताजमहल के बाहर बंदरों का आतंक अधिक
ताजमहल के पूर्वी व पश्चिमी गेट के बाहर खान-पान की दुकानें हैं। बंदर यहां पर्यटकों से खाने का सामान, कोल्ड ड्रिंक की बोतलें झपट्टा मारकर ले जाते हैं। बंदरों के डर से पर्यटक अक्सर खाने-पीने का सामान फेंक देते हैं। पश्चिमी गेट के पास दोनों ओर हरियाली अधिक होने से बंदराें के झुंड अधिक सक्रिय हैं।
ताजमहल में बंद किए थे प्रवेश के रास्ते
पूर्व में बंदरों द्वारा ताजमहल के अंदर पर्यटकों को कई बार काटा गया था। इसके बाद एहतियाती कदम उठाते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बंदरों के प्रवेश करने के रास्तों पर फेंसिंग कराई थी। पूर्वी दीवार के बाहर पेड़ों की छंटाई भी कराई गई थी, जिससे कि बंदर उन पर चढ़कर छलांग लगाकर स्मारक में प्रवेश नहीं कर सकें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।