Mathura तोलेबाबा हत्याकांड, रंगा-बिल्ला गैंग का ऐसा आतंक कि कोई नहीं देता था गवाही, अब मिली उम्रकैद
Mathura Murder Case तुलसीदास उर्फ तोले बाबा 28 फरवरी 2015 को सुबह करीब 10.45 बजे सुमित चतुर्वेदी के साथ मुकदमा की पैरवी करने को मोटर साइकिल से कचहरी आ ...और पढ़ें

आगरा, जागरण टीम। यूपी के मथुरा में हुए हत्याकांड में आज का दिन अहम था। मथुरा की अदालत ने पांच आरोपियों को आजीवन कारावास यानि उम्र कैद की सजा सुनाई है। रंगा-बिल्ला के साथ पांच को सजा हुई है। मथुरा में इनकी दहशत का आलम ये था कि इस गैंग से सभी खौफ में रहते थे।
रंगा, बिल्ला, चीनी और नीरज सगे भाई हैं
राकेश उर्फ रंगा की गोली तुलसीदास उर्फ तोले बाबा की पीछे से पीठ में लग गई। रंगा, बिल्ला, चीनी और नीरज सगे भाई हैं। रंगा अपने भाई और साथी के साथ फायरिंग करते हुए भाग गया। खून से लथपथ तोले बाबा को सुमित मोटरसाइकिल से लेकर सीधे एसएसपी कार्यालय पहुंचे। पुलिस ने घायल को जिला अस्पताल भेजा। डाक्टर ने तोले बाबा को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
पांचों को तोले बाबा की हत्या का दोषी ठहराया
मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम हरेंद्र प्रसाद की अदालत में हुई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजू सिंह ने बताया, अदालत ने मुकेश उर्फ बिल्ला, राकेश उर्फ रंगा, कामेश्वर उर्फ चीनी, नीरज और प्रदीप उर्फ गुलगुला को तुलसीदास उर्फ तोले बाबा की हत्या का दोषी ठहराया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में सात गवाह पेश किए थे।
अदालत ने पांचों को आजीवन कारावास और दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। रंगा, बिल्ला, चीनी और नीरज पहले ही जेल में हैं, जबकि प्रदीप उर्फ गुलगुला जमानत पर छूटा हुआ था। अदालत ने पांचों के सजाया वारंट बनाकर के जेल भेज दिया।
रंगा, बिल्ला गैंग बन गया था आतंक का पर्याय
चौबियापाड़ा के रतनकुंड सोने का कलसा निवासी बालेश्वर चतुर्वेदी के पुत्रगण मुकेश उर्फ बिल्ला, राकेश उर्फ रंगा, कामेश्वर उर्फ चीनी और नीरज आतंक का पर्याय बन गए थे। 21 दिसंबर 2011 को तोले बाबा के छोटे भाई भोलेश्वर नाथ चतुर्वेदी की भी दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। तभी से तोले बाबा और रंगा के परिवार के बीच रंजिश पनप गई। इस मामले में रंगा, बिल्ला और नीरज को पहले ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।
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सुर्खियों में आ गए और गिरोह बनाकर शहर में रंगदारी वसूलने लगे
रंगा बिल्ला ने दिसंबर 2013 में विजय चतुर्वेदी की भी चौबियापाड़ा में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले की रिपोर्ट तोले बाबा ने दर्ज कराई थी। इस मामले तोले बाबा की गवाही होनी थी। तोले बाबा मुकदमा की पैरवी को कचहरी आ रहे थे, तभी उनके हत्या कर दी गई थी। रंगा, बिल्ला, चीनी और कामेश इसके बाद सुर्खियों में आ गए और गिरोह बनाकर शहर में रंगदारी वसूलने लगे।
नहीं देता था कोई भी गवाही
गिरोह का आतंक बढ़ता गया। कोई भी इनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता था। 15 मई 2017 की शाम रंगा ने अपने भाई और साथियों के मिलकर कोयलावाली गली में मयंक चैंस के यहां डकैती डाली। सर्राफ मेघ अग्रवाल और विकास अग्रवाल की गोली मार कर हत्या कर लाखों के सोने-चांदी के गहने लूट ले गए थे। उसके बाद पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। तभी से आरोपित जेल में हैं।

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