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    आगरा किला की खाई में निकली ऐसी मशीन, देखकर पुरातत्व विभाग भी हुआ हैरान, जांच में जुटी पूरी टीम

    एएसआइ ने आगरा किला की आंतरिक खाई में बंगाली बुर्ज से लेकर हाथी गेट तक सफाई कराई है। खाई के फर्श को समतल किया गया है। वाटर गेट के नजदीक चूना पीसने की चक्की निकली है। लाखौरी ईंटों की बनी हुई चक्की काफी अच्छी स्थिति में है। इसके पास दो हौद भी मिली हैं जिनमें से एक हौद चार खानों में बंटी हुई है।

    By Nirlosh Kumar Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 09 May 2024 08:45 AM (IST)
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    किले की खाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कराई है सफाई।

    जागरण संवाददाता, आगरा। आगरा किला की खाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा की गई सफाई में चूना पीसने की प्राचीन चक्की वाटर गेट के पास निकली है। उसके साथ मसाला रखने को खानेदार हौद भी बनी हुई है। विभाग का मानना है कि चूना पीसने की चक्की ब्रिटिश काल में बनाई गई होगी। उस समय आगरा किला में बड़े स्तर पर संरक्षण का काम किया गया था।

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    एएसआइ ने आगरा किला की आंतरिक खाई में बंगाली बुर्ज से लेकर हाथी गेट तक सफाई कराई है। खाई के फर्श को समतल किया गया है। वाटर गेट के नजदीक चूना पीसने की चक्की निकली है। लाखौरी ईंटों की बनी हुई चक्की काफी अच्छी स्थिति में है। इसके पास दो हौद भी मिली हैं, जिनमें से एक हौद चार खानों में बंटी हुई है।

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    मुगल काल में स्मारकों के निर्माण में चूने के मसाले का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें चूने के साथ ही खांड़, उड़द की दाल, बेलगिरी का जूस और बबूल का गोंद इस्तेमाल किया जाता था। विभाग इसे मूल स्वरूप में संरक्षित करेगा। इससे पूर्व वाटर गेट के पास एएसआइ को सफाई में नाली मिली थी।

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    अधीक्षण पुरातत्वविद डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि चूना पीसने की चक्की ब्रिटिश काल की प्रतीत हो रही है। ब्रिटिश काल में बड़े स्तर पर संरक्षण का काम किया गया था। मुसम्मन बुर्ज व खास महल की छत की मरम्मत की गई थी। किले की बेस्टियन के पास दीवार पर तोप चढ़ाने को रैंप बनाए गए थे। खाई की दीवार की भी मरम्मत की गई थी।

    अब आता है रेडीमेड चूना

    अधीक्षण पुरातत्वविद डा. राजकुमार पटेल बताते हैं कि अब रेडीमेड चूना आता है। पहले कंकड़ वाला चूना आता था, जिसे पानी में एक सप्ताह तक रखकर गलाया जाता था। गलाने के बाद चक्की में उसे बारीक पीसा जाता था। इसमें सुर्खी या मोटी बालू मिलाई जाती थी। तैयार मिश्रण को भी एक-दो दिन रखकर प्रयोग में लाया जाता था। आगरा किला में चूना पीसने की चक्की के पास चार खानों वाली हौद इसी उद्देश्य से बनाई गई होगी।