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    शाहजहां के मकबरे तक पहुंचा पानी: बरसात के बाद ताजमहल के कलश में लगी जंग से टपकी थीं गुंबद के अंदर बूंदें

    Updated: Sun, 15 Sep 2024 07:59 AM (IST)

    Water In Taj Mahal Main Dome Update News लगभग साढ़े तीन सौ साल से अधिक पुराना ताजमहल भूकंप के झटकों को भी झेलने में सक्षम है। लेकिन आगरा में हुई भारी बारिश के कारण ताजमहल के मुख्य मकबरे के अंदर पानी आ गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जांच की तो पता लगा कि कलश में लगी जंग से मुख्य मकबरे के अंदर पानी टपका था।

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    Taj Mahal News: ताजमहल की फाइल फोटो का उपयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल के गुंबद पर लगे कलश की धातु में जंग लगने से मुख्य मकबरे में पानी टपकने की आशंका है। लगातार वर्षा होने से मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज के कब्रों वाले कक्ष में पानी टपकने पर शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई की टीम ने जांच की। मुख्य मकबरे में कई जगह नमी बनी हुई है।

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    भारी बारिश से टपका था पानी

    शुक्रवार को पर्यटकों के लिए ताजमहल बंद था, गुंबद की सतह के सूखने के बाद एएसआई द्वारा ग्राउटिंग और पैकिंग की जाएगी। बुधवार और गुरुवार को लगातार वर्षा होने से मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में पानी टपकने लगा था। पर्यटकों के साथ ही गाइड और कर्मचारियों ने मुख्य मकबरे में पानी टपकने पर एएसआई के अधिकारियों को जानकारी दी गई थी। इससे स्मारकों की देखरेख पर भी सवाल उठ रहे हैं। ताजमहल के मुख्य मकबरे में दोहरा कलश है।

    मुख्य मकबरे के अंदर और बाहर जांच

    अधीक्षण पुरातत्वविद डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि मुख्य मकबरे की अंदर और बाहर से जांच कराई गई। छत और गुंबद भी चेक किया गया, टीम ने आशंका जताई है कि गुंबद पर लगे कलश की धातु में जंग लगने से उसके सहारे मुख्य मकबरे में पानी आया है, जंग लगने की वजह से धातु फूल जाती है इससे पत्थर में क्रेक आने की आशंका है। सतह के सूखने पर मरम्मत ग्राउटिंग और पैकिंग कराई जाएगी। मुख्य मकबरे में आई नमी को खत्म होने में समय लगेगा।

    ताजमहल का मुख्य गुंबद का प्लेटफॉर्म।

    गुंबद पर लगा था सोने का कलश

    ताजमहल के गुंबद पर 40 हजार तोले (466 किलो) सोने का कलश लगा हुआ था। इतिहासविद राजकिशोर राजे ने अपनी किताब 'तवारीख-ए-आगरा' में लिखा है कि लाहौर से बुलवाए गए काजिम खान की देखरेख में सोने का कलश तैयार हुआ था। इसके शीर्ष पर चंद्रमा और कलश बने हैं। सोने के इस कलश को ब्रिटिश अधिकारी जोसेफ टेलर ने वर्ष 1810 में उतरवा दिया था। उसकी जगह सोने की पालिश किया हुआ तांबे का बना कलश लगाया गया था। इस कलश को इसके बाद वर्ष 1876 और 1940 में बदला गया।

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    मेहमानखाना के सामने चमेली फर्श पर ताजमहल के कलश की आकृति वर्ष 1888 में नाथूराम द्वारा अंग्रेज पुरातत्ववेत्ताओं के दिशा-निर्देशों पर बनाई गई थी। इसे इसलिए बनवाया गया था, जिससे कि भविष्य में कलश की नापजोख में किसी तरह की परेशानी नहीं हो।