तेल नहीं इसे अमृत कहिए जनाब, सौ रोगों में करता है रामबाण उपचार Agra News
आयुर्वेद में तिल के तेल को दी गई है धरती के अमृत की संज्ञा। तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है।
आगरा, तनु गुप्ता। पुराने दौर में कहा जाता था कि बीमारी कोई भी उसका इलाज घर की रसोई में छुपा हुआ है। घरेलू औषधि में यदि सबसे उत्तम औषधि का नाम लिया जाए तो वो है तिल का तेल। धरती के अमृत की संज्ञा इस तेल को यूं ही नहीं दी गई। सेल्युलर न्यूट्रिशियनिस्ट डॉ एनके सिन्हा के अनुसार यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा। यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है। ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं। तिल के तेल का प्रचार कंपनियां इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उनके द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे।
सेल्युलर न्यूट्रिशियनिस्ट डॉ एनके सिन्हा
तिल के तेल पत्थर को देता है चीर
डॉ सिन्हा बताते हैं कि तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है। इसके लिए किसी पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जायेगा। वहीं दूसरी ओर उस कटोरी नुमा पत्थर को तिल का तेल से भर दीजिए। दो दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा। यह होती है तेल की ताकत, इससे मालिश करने से यह तेल हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।
तिल के तेल से हुई तेल शब्द की उत्पत्ति
डॉ सिन्हा कहते हैं कि तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है तिल का तेल।
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता।
अन्य गुण
- तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है।
- तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है। तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी।
- सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्रदान करता है। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
- तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
- तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।
- तिल में विटामिन सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।
- इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूंगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते।
- ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।
- तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
- यह कब्ज भी नहीं होने देता।
तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।
- तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
- तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एचडीएल को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) के संभावना को कम करता है।
- तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट होता है जो कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ है और उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है।
- यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है।
- इसमें नियासिन नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
- हृदय के मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।
- तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों के हड्डियों के विकसित होने में और मजबूती प्रदान करने में मदद करता है।
- 100 ग्राम तिल में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
- गर्भवती महिला और भ्रूण को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- शिशुओं के लिए तेल मालिश के रूप में काम करता है।
- अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर उनकी मांसपेशियां सख्त होती हैं। साथ ही उनका अच्छा विकास होता है।
- तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है जो अस्थि-सुषिरता से संभावना को कम करने में मदद करता है।
- डिपार्टमेंट ऑफ बायोथेक्सनॉलॉजी विनायक मिशन यूनवर्सिटी, तमिलनाडु के अध्ययन के अनुसार यह उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ इसका एन्टी ग्लिसेमिक प्रभाव रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को 36 फीसद कम करने में मदद करता है जब यह मधुमेह विरोधी दवा ग्लिबेक्लेमाइड से मिलकर काम करता है। इसलिए टाइप-2 मधुमेह रोगी के लिए यह मददगार साबित होता है।
- दूध के तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है और कोलेस्टरोल बिल्कुल नहीं रहता है।
- तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहां तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है।
तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है।
- इससे अगर महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता।
- इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।
- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।
- जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए। इससे मर्दानगी की ताकत मिलती है!
- हमारे धर्म में भी तिल के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है, जन्म, मरण, परण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि में तिल और तिल का तेल के बिना संभव नहीं है।
नकली तेल से बचें
डॉ एनके सिन्हा के अनुसार बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं। जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा। ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें। यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुंच में हो जाएगा। जब चाहें जाएं और तेल निकलवा कर ले आएं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।