Agra News: क्या है अंग्रेजों के शासन में बना सराय एक्ट, रजिस्ट्रेशन होने तक होटल में नहीं रुक सकते पर्यटक
सराय एक्ट में जिलाधिकारी के लिए सरायों का रजिस्टर रखने का प्रविधान। शहर में बड़ी संख्या में चल रहे अवैध होटलों में रुक रहे हैं पर्यटक। आगरा में बड़े स्तर पर सराय एक्ट में पंजीकरण में गड़बड़ी सामने आई है।

आगरा, जागरण संवाददाता। 155 वर्ष पूर्व ब्रिटिश काल में बने सराय एक्ट में स्पष्ट है कि जब तक सराय (होटल) का पंजीकरण सराय एक्ट में नहीं कर लिया जाएगा, तब तक उसमें किसी यात्री या पर्यटक को नहीं ठहराया जा सकेगा। एक्ट का पालन कराने की सुध प्रशासनिक अधिकारियों ने वर्षों से ली ही नहीं। अगर वह एक्ट की सुध ले लेते तो शहर में अवैध होटल संचालित ही नहीं हो पाते। उनमें हो रही अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लग जाती।
अंग्रेजों के समय बना था सराय एक्ट
ब्रिटिश काल में वर्ष 1867 में सराय एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट में आज भी होटलाें का पंजीकरण किया जा रहा है। एक्ट में सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था, जिसे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो।
एक्ट में प्रविधान है कि जिलाधिकारी एक रजिस्टर रखेगा, जिसमें वह स्वयं या उसके द्वारा नामित व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आने वाली सभी सरायों, सरायपालों के नाम, निवास स्थान की प्रविष्टि करेगा। इसके लिए कोई शुल्क सराय संचालकों से नहीं लिया जाएगा। सराय जब तक पंजीकृत नहीं कर ली जाएगी, तब तक उसमें किसी व्यक्ति को ठहराया नहीं जा सकेगा।
आगरा में अवैध होटलों में रुक रहे पर्यटक
आगरा में इसका अनुपालन होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। अवैध हाेटलों में पर्यटक रुक रहे हैं और जिला प्रशासन द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आगरा में जिलाधिकारी ने एडीएम प्रोटोकाल को होटलों के पंजीकरण का दायित्व सौंपा हुआ है। उनके द्वारा एक ओर तो होटलों को अग्निशमन के इंतजाम नहीं होने पर होटलों को नोटिस दिए जा रहे हैं, वहीं जनवरी में उन्होंने स्वयं एक होटल को अग्निशमन विभाग की एनओसी के बगैर नोटिस जारी कर दिया था।
यह है मामला
ताजनगरी में सराय एक्ट में होटलों के पंजीकरण में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद 26 होटलों को लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं। उधर, 17 होटलों के लाइसेंस पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अस्थायी रोक का हवाला देकर रोके गए हैं।
26 होटलों की वैधानिकता पर सवाल खड़ा है। उधर, बिना लाइसेंस के चल रहे 17 होटलों को कोई देख नहीं रहा है। शहर में संचालित हो रहे अवैध होटलों की संख्या दर्जनों में है। ताजनगरी फेज-वन व फेज टू, ताजगंज, सिकंदरा-बोदला रोड, सिकंदरा पर संचालित होटलों में अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सात मार्च, 2016 को उद्योगों की चार कैटेगरी व्हाइट, ग्रीन, आरेंज व रेड निर्धारित की थीं। ताज ट्रेपेजियम जोन को व्हाइट कैटेगरी में रखा गया था। होटल व्हाइट कैटेगरी में नहीं हैं। 20 कमरों तक के होटल ग्रीन, 21 से 100 कमरों तक के होटल आरेंज और 100 से अधिक कमरों के हाेटलों को रेड कैटेगरी में रखा गया। आठ सितंबर, 2016 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की बैठक के बाद 21 सितंबर, 2016 से टीटीजेड में नए उद्योगों की स्थापना पर अस्थाई रोक लगा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च, 2018 को ताज ट्रेपेजियम जोन में यथा स्थिति का आदेश किया था। इसके बावजूद यहां एडीएम प्रोटोकाल के स्तर से होटलों का सराय एक्ट में पंजीकरण कर लिया गया, जबकि यहां नए होटल नहीं खुल सकते हैं और न पुराने का विस्तार किया जा सकता है।
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