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    Year Ender 2025: उद्योगों को 'सुप्रीम' बैन से नहीं मिल सकी राहत, यमुना डूब क्षेत्र निर्धारित

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 01:18 PM (IST)

    ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में नए उद्योगों पर 2025 में भी प्रतिबंध जारी रहा। नीरी और सीईसी की सिफारिशों के बावजूद राहत नहीं मिली, अब 9 जनवरी को सुप् ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, आगरा। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में नए उद्योगों की स्थापना और पुरानी इकाइयों के विस्तार पर लागू 'सुप्रीम' बैन से वर्ष 2025 में राहत नहीं मिल सकी। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी) और सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) की सिफारिशाें ने उद्यमियों की धड़कनें बढ़ा दीं। उद्यमी स्थानीय स्तर से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक चक्कर काटते रहे, लेकिन आश्वासन ही मिल सके। गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों की परिभाषा भी स्पष्ट नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट में नौ जनवरी को प्रस्तावित सुनवाई से उद्यमियों के साथ ही शहरवासियों ने बड़ी आस लगा रखी है।

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    सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी और नीरी की सिफारिशों ने बढ़ाईं धड़कनें

    सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2024 में टीटीजेड में गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों की परिभाषा स्पष्ट करने के लिए नीरी को आदेश किया था। नीरी ने अप्रैल, 2025 में गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों की स्थिति पर प्रारंभिक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी थी। 14 अक्टूबर, 2024 को टीटीजेड में नए उद्योगोें की स्थापना व पुरानी इकाइयों के विस्तार पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पर्यटन विभाग ने ताजमहल के सदियों तक संरक्षण को विजन डाक्यूमेंट का ड्राफ्ट तैयार कर वर्ष 2019 की शुरुआत में दाखिल किया था।

    सुप्रीम कोर्ट में नौ जनवरी को होने वाली सुनवाई से है बड़ी आस

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीईसी ने विजन डाक्यूमेंट का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट 11 नवंबर को दाखिल की। रिपोर्ट में ताजमहल की 10 किमी की परिधि में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वर्ष 2016 की कैटेगरी के अनुसार 10 से कम प्रदूषण स्कोर वाले और 2025 की संशोधित कैटेगरी के अनुसार 30 से कम प्रदूषण स्कोर वाले उद्योगों को लगाने की संस्तुति की। उसने कड़े मानदंड निर्धारित किए कि अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में ही उद्योग स्थानांतरित हो सकेंगे। उन्हें नीरी द्वारा तैयार क्षेत्रीय दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

    विकास परियोजनाओं के विरासत व पर्यावरण पर प्रभाव को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई। गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों की परिभाषा स्पष्ट करने, टीटीजेड में उद्योगों की स्थापना व विस्तार पर लगी रोक और विजन डाक्यूमेंट पर सीईसी की रिपोर्ट पर अमल के मामले में सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2025 में सुनवाई नहीं हाे पाई। इन मामलों में अब नौ जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है।

    तय होगी ताजमहल की कैरिंग कैपेसिटी


    सीईसी ने विजन डाक्यूमेंट पर दाखिल रिपोर्ट में ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी समेत अन्य स्मारकों की कैरिंग कैपेसिटी निर्धारित कर लागू किए जाने की सिफारिश की। उसने तीन नए इको-टूरिज्म सर्किट बनाने पर जोर दिया। एएसआइ को ताजमहल से होने वाली आय का 25 प्रतिशत टीटीजेड अथारिटी को पर्यावरण सुधार के कार्याें के लिए देना होगा।


    यमुना का डूब क्षेत्र हुआ निर्धारित, पेड़ काटने पर एक लाख जुर्माना

    शहर में पर्यावरण संरक्षण को सिस्टम से लड़ रहे पर्यावरण कार्यकर्ता डा. शरद गुप्ता और डा. संजय कुलश्रेष्ठ की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महत्वपूर्ण आदेश किए। यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित हुआ तो पेड़ काटने पर एक लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया। नगर निगम पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त जुर्माने को डा. संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका एनजीटी ने स्वीकार की।

    सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी ने डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर किए आदेश

    पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित करने को वर्ष 2022 में एनजीटी में याचिका की थी। एनजीटी ने 11 सितंबर, 2024 को डूब क्षेत्र तय करने का आदेश किया। पिछले 100 वर्षों में आई बाढ़ को आधार मानकर 21 दिसंबर, 2024 को डूब क्षेत्र निर्धारण की अधिसूचना की गई। 29 जनवरी, 2025 को सिंचाई विभाग ने डूब क्षेत्र निर्धारण की अनुपालन आख्या दाखिल की। हरियाणा बार्डर पर स्थित असगरपुर से प्रयागराज तक डूब क्षेत्र निर्धारित हुआ।

    इसमें मुड्डियां लगाने की समयबद्ध कार्य योजना भी सिंचाई विभाग ने दाखिल की। सूर सरोवर पक्षी विहार के क्षेत्रफल के पुनर्निर्धारण से संबंधित याचिका में एनजीटी के आदेश पर वन विभाग ने बचे हुए 14.5025 हेक्टेयर भूमि को संरक्षित वन भूमि घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर डीएम के यहां भेज दिया। एनजीटी ने उनकी याचिका पर नगर निगम के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से संबंधित याचिका में समय पर काम पूरा करने के निर्देश दिए।

    डॉ. शरद गुप्ता की मथुरा के डालमिया बाग और दयालबाग के माथुर फार्म हाउस में बिना अनुमति पेड़ काटने से संबंधित याचिका पर मार्च, 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। टीटीजेड में पेड़ काटने पर एक लाख रुपये जुर्माना की धनराशि इससे निर्धारित हुई। सुप्रीम कोर्ट ने रात में पेड़ काटने के साथ ही पेड़ों की कटाई-छंटाई पर भी रोक लगा दी। ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की गिनती का आदेश भी कोर्ट ने किया।

    नगर निगम पर अतिरिक्त जुर्माने को डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने की याचिका


    पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ की नगर निगम पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति का अतिरिक्त जुर्माना लगाने से संबंधित याचिका 22 दिसंबर काे एनजीटी ने स्वीकार कर ली। नगर निगम को जुर्माने के 58.39 करोड़ रुपये जमा नहीं कराने और जुर्माना वसूली को कोई कदम नहीं उठाए जाने पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई गई।