Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिना कैश व्यापार! क्या है पर्ची सिस्टम और कैसे डिपेंड है जूता बिजनेस, आगरा में रामनाथ के यहां मिलीं 30 करोड़ की पर्चियां

    Updated: Wed, 22 May 2024 08:13 AM (IST)

    Agra News जूता कारोबार नकद से अधिक पर्ची सिस्टम पर निर्भर है। जूता कारोबार में पर्चियां भुनाने वालों में रामनाथ को नंबर एक कारोबारी माना जाता है। उनके यहां बरामद पर्चियों की जांच आयकर विभाग करेगा। पर्चियां जारी करने वाले कारोबारियों की कुंडली खंगलाने को जीएसटी से उनके रिटर्न मंगाए जाएंगे। इससे उन कारोबारियों की धड़कनें बढ़ गई हैं जिनकी पर्चियां रामनाथ ने भुनाई थीं।

    Hero Image
    रामनाथ के यहां मिलीं 30 करोड़ की पर्चियां

    जागरण संवाददाता, आगरा। आयकर विभाग को हरमिलाप ट्रेडर्स के रामनाथ डंग के यहां से 30 करोड़ रुपये की पर्चियां मिली हैं। विभाग ने इन पर्चियों को जब्त किया है। 

    आगरा का जूता कारोबार नकद से अधिक पर्ची सिस्टम पर निर्भर है। हरमिलाप ट्रेडर्स के रामनाथ डंग हींग की मंडी में पर्चियों को भुनाने वाले कारोबारियों में सबसे बड़े माने जाते हैं। उनके आलोक नगर जयपुर हाउस स्थित आवास से आयकर विभाग को 53 करोड़ रुपये नकद मिलने के साथ ही 30 करोड़ रुपये की पर्चियां मिली हैं। जूता कारोबार में पर्चियों की समानांतर अर्थव्यवस्था चलती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पारिवारिक आटा चक्की से करियर शुरू करने वाले रामनाथ का शू मैटेरियल की ट्रेडिंग से अधिक पर्ची भुनाने का काम था। उनके यहां बरामद पर्चियां आयकर विभाग ने जब्त कर ली हैं। इससे उन कारोबारियों में हड़कंप मंच गया है, जिनके द्वारा कारखाना संचालकों को जारी की गईं पर्चियों को रामनाथ ने भुनाया था।

    आयकर विभाग इनके आधार पर पर्चियां जारी करने वाले कारोबारियों के यहां जांच कर सकता है। जीएसटी से इसके लिए कारोबारियों के रिटर्न का डेटा जुटाया जाएगा। रिटर्न से पर्चियों का मिलान किया जाएगा, जिससे कारोबारियों के वास्तविक रिटर्न की जानकारी मिल सकेगी।

    ये भी पढ़ेंः IT Raid: आगरा में जूता कारोबारियों के घर मिला करोड़ों का 'खजाना', 81 घंटे... 100 अफसर और बरामद हुई अकूत दौलत

    क्या है पर्ची सिस्टम

    जूता कारोबार में ट्रेडिंग करने वाले कारोबारी छोटे जूता कारखाना संचालकों को तैयार माल के एवज में नकद या चेक से भुगतान करने के बजाय पर्ची बनाकर दे देते हैं। पर्ची के भुगतान की अवधि तीन से सात माह तक होती है। कारखाना संचालक अपनी जरूरत के अनुसार पर्ची को पर्ची भुनाने का काम करने वालों के यहां से भुना लेते हैं। पर्ची भुनाने का काम करने वाले कारखाना संचालकों को अपना कमीशन काटकर भुगतान कर देते हैं। पर्ची की समयावधि पूरा होने पर संबंधित ट्रेडर्स से भुगतान ले लिया जाता है। अगर ट्रेडर्स समय पर भुगतान नहीं करता है तो उसे ब्याज देनी होती है।

    ये भी पढ़ेंः TV Actress Sucheta Khanna से खास बातचीत; 'आसान नहीं लोगों को हंसाना', 'लापतागंज' की अभिनेत्री ने दिए युवक-युवतियों को टिप्स

    बाजार में आ सकता है संकट

    जूता बाजार में छह-छह माह तक की उधारी चलती है। आगरा से बाहर माल भेजने वाले ट्रेडर्स को व्यापारी तुरंत भुगतान नहीं देते हैं। रामनाथ डंग पर आयकर विभाग की कार्रवाई से पर्ची का काम करने वाले अन्य कारोबारियों में भी हड़कंप है। वह पर्चियां भुनाने में हिचकिचा रहे हैं। कार्रवाई के डर से अगर पर्ची भुनाने वाले हाथ पीछे खींचते हैं तो जूता बाजार में नकदी का संकट भी खड़ा हो सकता है।

    जूता कारोबार

    • घरेलू जूता कारोबार का टर्नओवर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है।
    • देश के घरेलू बाजार में जिले की भागीदारी करीब 65 प्रतिशत है।
    • सात हजार से अधिक छोटे जूता कारखाना यहां गली-मुहल्लों में हैं।