Sawan Dish: अनोखा है ब्रज का ये स्वाद, सूत फेनी मुंह में घोलेगी मिठास, ये है बनाने की विधि
Sawan का त्योहार खास होता है। इसके पकवान भी खास होते हैं। सावन में घेवर और फेनी का चलन ब्रज की तरफ अधिक देखने को मिलता है। मैनपुरी जिले में पांच कारीगरों का दल एक दिन में बना देता है पांच बोरी मैदा से सूत फेनी।

आगरा, जागरण टीम। Raksha Bandhan पर घेवर और फेनी का नाम आते ही मुंह स्वाद से भर जाता है। दूसरे जिलों से आए कारीगर इस खास मिठाई को तैयार करने का काम करते हैं।
मैदा को तार-तार कर कारीगर फेनी तैयार करने में लगे हैं। त्योहार के लिए दस कुंतल फेनी रोज बनाई जा रही है। पांच कारीगरों का एक दल पांच बोरी मैदा से सूत फेनी तैयार कर देता है।
Sawan में खास होती है फेनी
अब रक्षाबंधन त्योहार नजदीक आते ही सूत फेनी बनाने का काम भी तेज हो गया है। बिना घेवर और सूत फेनी के सावन का आनंद अधूरा रहता है। मैनपुरी में सूत फेनी को खूब पसंद किया जाता है। फीकी फेनी का उपयोग खीर बनाने में किया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में घेवर के बजाय फेनी को अधिक वरीयता दी जाती है। ऐसे में इस रक्षाबंधन से जुड़े त्योहार पर इस मिठाई को शहर में आधा दर्जन स्थानों पर बनाने का काम जोरों से चल रहा है।
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कानपुर से आए हैं मैनुपरी में कारीगर
कानपुर जिले के कारीगर इस काम को करने के लिए शहर में कई मिठाई विक्रेताओं के पास काम में जुटे हैं। जहानाबाद के गांव फतेहपुर से आधा दर्जन कारीगरों के साथ शहर के कचहरी रोड पर फैनी बनाने आए ठेकेदार मिथलेश कुमार ने बताया कि फेनी बनाने के लिए खास कारीगरी की जरूरत होती है, इसे हर कोई नहीं बना सकता है, इसे बनाने के लिए कोई मशीन अब तक नहीं बनी है।
ऐसे बनती है फेनी
- सूत फेनी बनाने के मैदे को पानी के साथ आटे की तरह गूंथा जाता है
- कुछ समय बाद गुंथे आटे के बड़े-बड़े पेड़े बना लिए जाते हैं
- बड़े पेड़े से सौ-सौ ग्राम के टुकड़े काट लिए जाते हैं
- छोटे पेड़ों को बीच में छेद करके डालडा घी और रिफाइंड के घोल में भिगोया जाता है
- रेशा बनाने के लिए पेड़ा निकाल कर उसे अंगुली में फंसा कर लंबाई में फैलाया जाता है, तीन बार फंदे लगाए जाते हैं
- फंदे लगाने का तरीका निपुण कारीगर ही कर पाते हैं
- इस प्रक्रिया में मैदे के पेड़े को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है
- घी से लबालब पेड़े को पहले चरण में चार फंदे लगाए जाते हैं, दूसरे- तीसरे चरण में तीन फंदे प्रत्येक बार लगाने जरूरी हैं
- कुल 24 फंदे लगाए जाते हैं इसके बाद पेड़ो को ट्रे या अन्य बर्तन में आराम करने छोड़ दिया जाता है
- मैदा गूंथने से लेकर फेनियों की तलाई तक की प्रक्रिया को दो से ढ़ाई घंटे का समय दिया जाता है।
फेनी बनाने के लिए मैदा का होता है इस्तेमाल
बताया कि पांच कारीगरों का एक दल एक दिन में पांच बोरी मैदा की सूत फेनी बना लेता है। फेनी बनाने यहां क्यों आए के सवाल पर उनका कहना था कि फतेहपुर में फेनी रोज बिकती है, इसलिए रोज बनती है। वहां कारीगर भी खूब हैं, इसलिए यहां काम करने आए हैं।
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