Hariyali Teej: हीरे जवाहरात पहन हरे वस्त्रों में दिए बांकेबिहारी ने दर्शन, अद्भुत श्रृंगार में किया आराध्य का दीदार
Banke Bihari आस्था की डोर से भक्तों ने स्वर्ण रजत हिंडोला में झुलाए ठा. बांकेबिहारी-स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजित आराध्य की झलक पाने को होड़ स्वर्ण-रजत हिंडोला में विराजित आराध्य बांकेबिहारी की छवि का दर्शन कर भक्त सुधबुध खो बैठे।

आगरा, जागरण टीम। वृंदावन में रविवार को हरियाली तीज पर जन-जन के आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी ने स्वर्ण-रजत हिंडोले पर विराजमान होकर दर्शन दिए, तो भक्तों ने भी आस्था की डोर से श्रद्धा के झोटे दिए। सुबह से भीड़ ऐसी रही कि मंदिर और बाहर पैर रखने की भी जगह नहीं बची।
चार घंटे अधिक बांकेबिहारी ने दर्शन दिए
रविवार को सामान्य दिनों में निर्धारित समय से चार घंटे अधिक बांकेबिहारी ने दर्शन दिए। रविवार सुबह छह बजे से ही देश भर से आए श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर डेरा डाल लिया। भक्तों की नजर घड़ी की सुई पर थी। कब दर्शन का समय हो और आराध्य के दर्शन करें। सुबह जैसे ही घड़ी की सुई 7.45 पर पहुंची, तो मंदिर के पट भक्तों के लिए खुल गए।
बेशकीमती स्वर्ण-रजत हिंडोले में दिए दर्शन
मंदिर के जगमोहन में बेशकीमती स्वर्ण रजत हिंडोले में हरे परिधान और हीरे जवाहरात धारण कर आराध्य बांकेबिहारी झोटे ले रहे थे, तो भक्तों की आस्था का ज्वार भी बढ़ता गया। बांकेबिहारी के जयकारे और सावन की मल्हार के स्वर वातावरण में गुंजायमान हुए।मंदिर के अंदर से भक्त बाहर निकलने को तैयार न थे और बाहर खड़े भक्तों के इंतजार का सब्र टूट रहा था।
बांकेबिहारी मंदिर में पुलिस को करनी पड़ी मेहनत
ऐसे में मंदिर में मौजूद गार्डों और पुलिसकर्मियों को व्यवस्था संभालने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। बाक्स-शहर की हर सड़क पर भक्तों का भीड़हरियाली तीज पर रविवार भोर से ही तीर्थ नगरी की हर सड़क पर भक्तों की भीड़ थी। शहर के बाहर बनी पार्किंग पर अपने वाहन खड़े कर श्रद्धालुओं की भीड़ बांकेबिहारी मंदिर की ओर बढ़ रहा था। शहर में चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस फोर्स श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था में लगी थी।
स्वर्ण हिंडोले में राधारानी के दर्शन कर मंत्रमुग्ध हो गए श्रद्धा
श्याम संग झूला झूल रही राधा, झूला रहे सब सखियन कुछ ऐसा ही भाव लाड़ली जी मंदिर में रविवार को देखने को मिला। हरियाली तीज पर बृषभानु नंदनी अपने प्यारे नंदलाल के साथ हरे पोशाक धारणकर स्वर्ण हिंडोले में झूला झूल रही थीं।
ब्रह्मांचल पर्वत पर छाई हरी छठा के बीच स्थित लाड़ली जी मंदिर का मनोरम दृश्य अलग ही था। सुबह आठ बजे मंदिर के सेवायतों ने राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को गर्भगृह से बाहर जगमोहन में स्थित सोने चांदी से जड़ित स्वर्ण हिंडोले में विराजमान कराया। हरे वस्त्रों से सुसज्जित मनमोहिनी श्रृंगार कर प्रिया प्रियतम की झांकी अलौकिक व अद्भुत थी।
बृषभानु नंदनी को छप्पन तरह के व्यंजनों का भोग लगाया गया। शाम साढ़े चार बजे राधारानी की शोभायात्रा धूमधाम से निकली। डोले में विराजमान राधारानी गर्भगृह से नीचे परिसर में बनी संगमरमर की सफेद छतरी में आईं। राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को सफेद छतरी में विराजमान किया गया।
गोस्वामी समाज ने राधारानी के समीप सावन के मल्हारों के पदों गाए। इसके बाद गोस्वामी समाज की कन्या ने राधारानी की आरती उतारी। राधाकृष्ण की एक झलक पाने को श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। बाद में डोला में बैठाकर राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को वापस गर्भगृह ले जाया गया।
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