अटकी हुई है ग्रेटर आगरा योजना: एडीए को किसानों से नहीं मिल रही एक इंच भी जमीन, पीछे का ये है कारण
आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की ग्रेटर आगरा परियोजना भूमि पर कब्जा न मिल पाने के कारण अटकी हुई है। किसान सड़क किनारे की जमीन के लिए अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। एडीए ने भूमि का सर्वेक्षण तो कर लिया है पर किसानों द्वारा जमीन पर फसल बोने के कारण कब्जा नहीं मिल पाया है।

जागरण संवाददाता, आगरा। ग्रेटर आगरा को दिसंबर-जनवरी में लांच करने की तैयारियों में जुटे एडीए को अभी इंतजार करना पड़ेगा। रायपुर-रहनकलां में एडीए ने भूमि का सर्वे तो पूरा करा लिया है, लेकिन उसे यहां एक इंच भूमि पर भी कब्जा नहीं मिल सका है।
किसान रोड किनारे स्थित भूमि के अधिक मुआवजे के साथ ही वार्षिकी की मांग कर रहे हैं। इस भूमि पर किसानों ने फसल बो रखी है। भूमि पर कब्जा लिए बगैर योजना पर काम को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
रोड किनारे स्थित भूमि का अधिक दर से किसान मांग रहे मुआवजा
एडीए की रायपुर व रहनकलां में ग्रेटर आगरा विकसित करने की योजना है। यहां की 441 हेक्टेयर भूमि का मुआवजा एडीए द्वारा विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय के माध्यम से वितरित कराया जा रहा है। करीब 75 प्रतिशत भूमि का मुआवजा बढ़ी हुई दर से वितरित किया जा चुका है।
एडीए ने क्षेत्र की स्थिति, रोड नेटवर्क, ग्रीनरी, हाईटेंशन लाइन, डूब क्षेत्र आदि जानने को भूमि का सर्वे कराया था। यहां डूब क्षेत्र के साथ ही हाईटेंशन लाइन के नीचे भी काफी भूमि है।
खेतों में बो रखी है फसल, वार्षिकी की मांग भी किसान कर रहे हैं
एडीए को टाउनशिप की लांचिंग के लिए उप्र रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी (यूपीरेरा) में पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए एडीए तभी आवेदन कर सकेगा, जबकि भूमि पर वह कब्जा ले लेगा। रायपुर व रहनकलां में एडीए अब तक भूमि पर कब्जा नहीं ले सका है। कब्जा नहीं मिलने से योजना की तैयारी में विलंब हो रहा है।
एडीए उपाध्यक्ष एम. अरून्मोली ने बताया कि किसानों को वार्षिकी देने को विभाग तैयार है। कब्जा दिलाने के लिए जिला प्रशासन से कई बार आग्रह किया जा चुका है।
किसानों ने ली है न्यायालय की शरण
किसानों को वितरित किए जाने वाले मुआवजे की दर का आकलन जिला प्रशासन द्वारा कराया जाता है। सड़क किनारे स्थित भूमि का मुआवजा, अंदर की तरफ स्थित भूमि के समान निर्धारित किए जाने पर कुछ किसानों ने न्यायालय की शरण ली है। एडीए किसानों द्वारा भूमि का मुआवजा अधिक दर से मांगे जाने की मांग को पूरा नहीं कर सकता है।
2014 में एडीए के नाम चढ़ गई थी भूमि
एडीए ने लैंड बैंक और इनर रिंग रोड के लिए वर्ष 2009-10 में भूमि अधिगृहीत की थी। किसानों को मुआवजा वितरित किए बगैर राजस्व अभिलेखों में वर्ष 2014 में एडीए का नाम चढ़ा दिया गया था। एक दशक तक किसानों के आंदोलन के बाद जनवरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में किसानों को बढ़ी हुई दर से मुआवजा दने के निर्णय पर मुहर लगी थी।
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