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    Agra: बुझ गई शहर में अगस्त क्रांति की अंतिम मशाल, स्वतंत्रता संग्रमा सेनानी सरोज गौरिहार को बेटी ने दी मुखाग्नि

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Sun, 28 Aug 2022 08:28 PM (IST)

    स्वतंत्रता सेनानी सरोज गौरिहार का निधन रविवार सुबह हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उनके निधन से शहर में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्यकार सरोज गौरिहार नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति होने के साथ ही शहर की कई सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई थीं।

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    स्वतंत्रता सेनानी सरोज गौरिहार का निधन रविवार सुबह हो गया

    आगरा, जागरण संवाददाता। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सराेज गौरिहार का निधन रविवार को हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उनके निधन से शहर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके अंतिम दर्शन को प्रोफेसर कालोनी कमला नगर स्थित निवास पर शहर के आम-ओ-खास उमड़ पड़े।

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    शहर में अगस्त क्रांति, 1942 की अंतिम मशाल जरूर बुझ गई, लेकिन अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से वह शहरवासियों के बीच हमेशा अमर रहेंगी। वह नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति होने के साथ ही शहर की कई सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई थीं।

    अगस्त क्रांति में लिया था भाग

    सरोज गौरिहार का जन्म जगन प्रसाद रावत और सत्यवती रावत के घर कचहरी घाट में वर्ष 1929 में हुआ था। उनके माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। गौरिहार ने अगस्त क्रांति, 1942 में भाग लिया था। माता-पिता के साथ वह वर्ष 1943 में एक वर्ष तक जेल में भी रही थीं। तीन दिन पूर्व चेस्ट में इंफेक्शन होने पर उन्हें आगरा हार्ट सेंटर में भर्ती कराया गया था। रविवार सुबह 4:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही शहर में स्वतंत्रता आंदोलन की अंतिम मशाल भी बुझ गई।

    शहर में शोक की लहर दौड़ गई

    शहर के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का निधन पूर्व में ही हो चुका है। उनके निधन की सूचना मिलते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई। प्रोफेसर कालोनी कमला नगर स्थित उनके निवास पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए लोगों का पहुंचना शुरू हाे गया। तहसीलदार सदर रजनीश वाजपेयी और एसीएम प्रथम रामप्रकाश ने उनके शव पर तिरंगा ओढ़ाया। ताजगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में शाम को उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनकी बेटी नीलिमा शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी।

    छतरपुर से रही थीं विधायक

    सरोज गौरिहार की शादी महाराज प्रताप सिंह देव से हुई थी। वह बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के गौरिहार के निवासी थे। गौरिहार स्टेट के वह राजा था। उनके निधन के बाद वह आगरा आ गई थीं। तब से वह कमला नगर में ही रह रही थीं। छतरपुर से वह वर्ष 1967 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक भी रही थीं। उन्हें घुड़सवारी का भी शौक था।

    अगस्त क्रांति में बंद कराया था स्कूल

    अगस्त क्रांति, 1942 में नौ अगस्त को उन्होंने सहपाठी छात्राओं के साथ सिंगी गली स्थित सीनियर बालिका पाठशाला को बंद करा दिया था। तब वह 11-12 वर्ष की थीं और सातवीं कक्षा में पढ़ती थीं। सभी छात्राएं स्कूल की सीढ़ियों पर खड़ी हो गई थीं। शिक्षकों को छाेड़कर किसी को स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया था। यूनियन जैक को सलामी देने से भी इन्कार कर दिया था।

    अंतिम सलामी में प्रशासन की भूल

    स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को अंतिम सलामी देने में प्रशासन के स्तर से लापरवाही बरती गई। न तो उनके कमला नगर स्थित निवास पर सलामी गारद ने उन्हें सलामी दी और न विद्युत शवदाह गृह में। शहरवासियों ने जब डीएम प्रभु एन. सिंह से आपत्ति जताई तो आनन-फानन में गारद बुलाई गई। जो गारद सलामी देने वहां पहुंची, उसे सलामी देना भी नहीं आता था। किसी तरह उसे समझा-बुझाकर सलामी दिलाई गई। सलामी से पूर्व ही अंतिम क्रिया पूर्ण हो चुकी थी। इसे लेकर शहरवासियों में काफी नाराजगी देखने को मिली।

    शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि

    मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर सरोज गौरिहार को श्रद्धांजलि दी। शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजसेवी आदरणीय रानी सरोज गौरिहार जी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में और शोकाकुल परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। विनम्र श्रद्धांजलि।

    मांडवी एक विस्मृतता

    स्वतंत्रता सेनानी सरोज गौरिहार साहित्यकार थीं। नागरी प्रचारिणी सभा को उन्होंने नए आयाम दिए थे। उदयन शर्मा फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने पुस्तकों की शृंखला प्रकाशित की। उन्होंने आनंद छलिया और मांडवी एक विस्मृता जैसी काव्य कृतियों की रचना की। उनके निधन से साहित्य जगत को अपूर्णनीय क्षति पहुंची है।

    घर से लेकर इंटरनेट मीडिया तक शोक की लहर

    स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोज गौरिहार के कमला नगर स्थित निवास पर केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, डा. डीवी शर्मा, प्रतिभा तलेगांवकर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

    श्मशान घाट पर डीएम प्रभु एन. सिंह, एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एसपी सिटी विकास कुमार व शहर के गण्यमान्य नागरिक मौजूद रहे। सोशल मीडिया में भी शहरवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 

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