क्या आप भी बच्चे पर कर रहे हैं फास्ट फूड का लाड़, स्वाद में कैसे हो रहा जिंदगी से खिलवाड़; पढ़िए एक्सपर्ट की राय
फास्ट फूड और जंक फूड आजकल जीवनशैली का अहम हिस्सा बन गए हैं, जिससे हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे का खतरा बढ़ रहा है। अमरोहा में एक किशोरी की जान फास्ट फूड ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, आगरा। फास्ट फूड और जंक फूड व्यस्तता भरी जिंदगी में जीवन-शैली का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। पिज्जा, बर्गर, मोमोज, नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक के बच्चों से लेकर बड़े तक दीवाने हैं। शहर में गली-गली खुली फास्ट फूड की दुकानों और लगने वाली ठेलों पर शाम ढलते ही भीड़ उमड़ती है। फास्ट फूड का सेवन वह चटखारे ले-ले कर करते हैं।
लिहाजा हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, कैंसर, आंतों की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। अमरोहा में 16 वर्षीय किशोरी अहाना की तो जान फास्ट फूड ने ले ली। फास्ट फूड के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाव को जागरूकता ही एकमात्र उपाय है।
फास्ट फूड व जंक फूड में प्रिजर्वेटिव बहुत होते हैं और यह सेहत के लिए अच्छे नहीं होते। लंबे समय तक इनके सेवन से शरीर को नुकसान होता है। कुछ प्रिजर्वेटिव कार्सोजेनिक भी होते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है। फास्ट फूड में फाइबर कम होने से कब्ज की समस्या होती है। कब्ज से आंतों पर अधिक दबाव पड़ता है और वह आकार में बड़ी हो जाती हैं।
बच्चों में एनल फिशर और हैमरायड की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों को अगर दो वर्ष की उम्र से फास्ट फूड दिया जाएगा, तो इसका असर उनके स्वास्थ्य पर 20 से 25 वर्ष की उम्र में नजर आने लगेगा। फास्ट फूड में मैदा, चीनी, रिफाइंड का इस्तेमाल होता है। मैदा आंतों में चिपक जाती है। पिज्जा, बर्गर, ब्रेड, फ्रेंच फ्राई में फाइबर नहीं होता है।
पेट भरने को फास्ट फूड का सेवन सेहत के लिए अच्छा नहीं है। इससे मोटापा, वजन बढ़ना, हृदय रोग, इम्यूनिटी वीक होने और मधुमेह आदि बढ़ते हैं
एंडोक्राइन सिस्टम होता है प्रभावित
आंतों में बैक्टीरिया होते हैं। पोषक तत्वों से युक्त भोजन करने पर यह ऐसे केमिकल बनाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह एंडोक्राइन सिस्टम को संचालित करते हैं। अधिक तला-भुना खाना, फास्ट फूड या जंक फूड का सेवन करने पर आंतों में बैक्टीरिया ऐसे केमिकल बनाते हैं, जिनसे मानसिक विकार पैदा होता है। आंतों को भी क्षति पहुंचती है।
लाड़-प्यार में न बिगाड़ें बच्चों की सेहत
अभिभावक, बच्चों को छह-सात माह का होने पर नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक आदि देने लगते हैं। कई माता-पिता इसमें सख्ती भी करते हैं तो दादा-दादी लाड़-प्यार में छोटे बच्चों को फास्ट फूड दे देते हैं। बच्चे फास्ट फूड के लिए जिद करें तो उन्हें इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताएं। उन्हें समझाएं और घर में बना खाना खिलाएं। सप्ताह में एक बार फास्ट फूड उन्हें खिला सकते हैं।
फास्ट फूड के दुष्प्रभाव
- फास्ट फूड का सबस अधिक दुष्प्रभाव हृदय पर पड़ता है। फैट और सोडियम रक्तचाप बढ़ाते हैं, जो हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है।
- फास्ट फूड में पोषक तत्वों की कमी होने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे क्रोनिक हृदय से संबंधित समस्या बढ़ती है।
- फास्ट फूड में कैलोरी अधिक होने व पोषक तत्वों की कमी होने से मोटापा व मधुमेह का खतरा बढ़ता है। मोटापा, उच्च रक्तचाप का कारण बनता है।
- फास्ट फूड टाइप-टू मधुमेह का जोखिम बढ़ाते हैं, क्योंकि इनमें चीनी की अधिक मात्रा इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न करती है।
- फास्ट फूड पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। कम फाइबर की वजह से कब्ज व अन्य पाचन संबंधित समस्याएं बढ़ती हैं।
फास्ट फूड में पोषक तत्व नाममात्र के होते हैं और केवल स्वाद ही स्वाद होता है। प्रोटीन की बहुत कमी होती है और केवल कार्बोहाइड्रेट होते हैं। कार्बोहाइड्रेट की वजह से शरीर में इंसुलिन का स्तर और फैट बढ़ता है। फैट नसों में जमा होने से हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और दिमाग की नसों में जमा होने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
-डा. योगेश दीक्षित, बाल रोग विशेषज्ञ
फास्ट फूड में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, फैट और ट्रांसफैट अधिक होता है। विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन और फाइबर नहीं होता है। मैदा से बने पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। बच्चों व बड़ों को घर में गेहूं, जौ, रागी के आटे से बनाए खाद्य पदार्थ देने चाहिए। बाजार का कैचअप प्रयोग करने के बजाय घर में टमाटर से कैचअप बनाएं।
-डा. दीप्ति सिंह, सहायक प्रोफेसर फूड और न्यूट्रीशन विभाग गृह विज्ञान संस्थान, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

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