Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Foundation Day: डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विवि में अब पढ़ेंगे विदेशी छात्र, 100 वर्ष पूरे होने पर बदल जाएगी तस्वीर

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 09:11 AM (IST)

    आगरा के डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय ने 98 वर्ष पूरे कर लिए हैं। नैक ए+ ग्रेड मिलने के बाद विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां पर 100 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। विश्वविद्यालय 2027 में अपनी शताब्दी मनाने की तैयारी कर रहा है और वैश्विक रैंकिंग प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।

    Hero Image
    आगरा के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विवि की तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, आगरा। कई विश्वविद्यालय और कुलपति दे चुका डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय अब 100 वर्ष पूरे होने तक विदेशी छात्रों की पढ़ाई का बड़ा केंद्र बनेगा। मंगलवार को विश्वविद्यालय के 98 वर्ष पूरे हो जाएंगे। नैक ए प्लस ग्रेड मिलने से स्टडी इन इंडिया से जुड़ने से अमेरिका, यूरोप, सार्क देश, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे के 100 विदेशी छात्रों ने स्नातक और परास्नातक में प्रवेश लेने के लिए पंजीकरण कराया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विश्वविद्यालय के 99 स्थापना दिवस पर को लेकर सोमवार को विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में आयोजित प्रेसवार्ता में एक वर्ष की उपलब्धियां और 2027 में 100 वर्ष पूरे होने की तैयारियों की जानकारी दी गई।

    कुलपति प्रो आशु रानी ने बताया कि विश्वविद्यालय को वर्ष 2024 में नैक ए प्लस ग्रेड मिली है, इसके साथ ही सीजीपीए 3. 33 है। इसके आधार पर पहली बार विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों के भारत में अध्ययन करने के लिए केंद्र सरकार के कार्यक्रम स्टडी इन इंडिया से जुड़ गया है। 100 विदेशी छात्रों ने बीटेक, एमबीए, बीबीए, कला, गणित सहित अन्य पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पंजीकरण कराया है, इन छात्रों की सुरक्षा, हॉस्टल, अंग्रेजी में कक्षाएं सहित अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

    कई विश्वविद्यालय और कुलपति दे चुके विश्वविद्यालय में नया बदलाव

    दो वर्ष में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ेगी। इस दौरान परीक्षा नियंत्रक डा.ओम प्रकाश, आइक्यूएसी के निदेशक प्रो. संजय चौधरी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. भूपेंद्र स्वरूप शर्मा और डीन अकादमिक डा. मनु प्रताप सिंह, जनसंपर्क अधिकारी पूजा सक्सेना, तरुण श्रीवास्तव, डा.स्वेतलाना, दीपक कुलश्रेष्ठ आदि शामिल रहे।

    14 कालेजों की संबद्धता से शुरू हुआ विश्वविद्यालय

    एक जुलाई 1927 को भरतपुर हाउस के एक भवन में विश्वविद्यालय की शुरूआत हुई थी। 14 कालेजों की संबद्धता से शुरू हुए विश्वविद्यालय में कालेजों की संख्या 1100 तक पहुंच गई। वर्ष 1953 में पहला आवासीय संस्थान कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ शुरू हुआ। इसके बाद 1957 में समाज विज्ञान संस्थान व 1968 में गृह विज्ञान संस्थान की स्थापना हुई। 1984 में बेसिक साइंस संस्थान, पुस्तकालय विज्ञान विभाग, वर्ष 1985 में इतिहास एवं संस्कृति विभाग की स्थापना की।

    कभी पंजाब की सीमा से लेकर बिहार और राजस्थान व मध्यप्रदेश तक विश्वविद्यालय का परिक्षेत्र फैला था अब यह आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा और मैनपुरी तक सीमित हो गया है। आवासीय संस्थानों में छात्रों की संख्या 6500 तक पहुंच गई थी यह अब 4500 तक आ गई है। कई पाठयक्रम बंद हो गए हैं, नए पाठयक्रम शुरू नहीं हो पा रहे हैं। वर्ष 2021 में स्नातक स्तर और 2022 में परास्नातक स्तर पर शिक्षा नीति से पढ़ाई शुरू करा दी गई। मगर, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के अलग होने से कालेजों की संख्या 550 रह गई है।

    ये है हाल

    • एक जुलाई 1927 आगरा विश्वविद्यालय की स्थापना
    • 1995 में आगरा विश्वविद्यालय का नाम डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
    • 1100 अधिकतम कालेज विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे
    • 3.50 लाख अधिकतम छात्रों की संख्या
    • 550 वर्तमान में कालेज संबद्ध
    • 2.82 लाख स्नातक की सीटों की संख्या

    पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय की उपलब्धि, नैक ए प्लस ग्रेड

    1. 236 शैक्षणिक गतिविधियों के साथ संकाय सदस्यों की 340 शोध-पत्र एवं 118 पुस्तकें प्रकाशित हुईं
    2. 32 पेटेंट प्रकाशित हुए हैं और 82 अनुसंधान परियोजनाएं चल रही हैं
    3. 536 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, व्याख्यान, 64 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
    4. 695 छात्रों को प्लेसमेंट मिला, 18 कंसल्टेंसी परियोजनाएं सफलतापूर्वक
    5. 20 करोड़ रुपये का पीएम-उषा योजना का अनुदान

    रूसी विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा सीखना प्रारंभ किया

    सत्र 2024-25 के दौरान 25 से अधिक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, अभी तक 75 एमओयू हो चुके हैं। (पैंगेसियन स्टेट युनिवर्सिटी, फिलीपिंस, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, राधे ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट इंस्टीट्यूट फिरोजाबाद, वृंदावन शोध संस्थान, उज्बेकिस्तान स्टेट वर्ल्ड लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, उज्बेकिस्तान, और स्को स्टेट इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशंस, मास्को टीसीएस इओन, एस्पायर नालेज एंड स्किल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड)

    2027 में 100 वर्ष पूरे होने पर चल रहीं तैयारी

    विश्वविद्यालय के वर्ष 2027 में 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। विश्वविद्यालय की वैश्विक रैंकिंग प्राप्त करने के लिए अनुसंधान, शैक्षिक गुणवत्ता, और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी पर भी माननीय कुलपति जी द्वारा कार्य किया जा रहा है। रियल-टाइम परिणामों की सुविधा और मूल्यांकन की व्यवस्था भी लागू की जाएगी। साथ ही 1000 सीटों की आनलाइन परीक्षा हेतु संसाधनों पर कार्य किया जा रहा है।

    डिजिटल पुस्तकालय के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं जो छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य संसाधन है। इसमें पुस्तकें, शोध पत्र, जर्नल, और अन्य अकादमिक सामग्री डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगी। भारतीय ज्ञान प्रणाली पर राष्ट्रीय केंद्र, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ शोध को प्रोत्साहन जैसी प्रणाली पर भी विश्वविद्यालय कार्यरत है।

    विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, शिक्षर्णेत्तर कर्मचारी और छात्रों के सहयोग से नैक ए प्लस ग्रेड मिली है अब विश्वविद्यालय को वैश्विक रैंकिंग मिल सके इस दिशा में काम किया जा रहा है। 2027 में 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे, इसके लिए तैयारी चल रही है। प्रो. आशु रानी कुलपति डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

    पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय में सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। नैक ए प्लस ग्रेड मिली है, सत्र नियमित हुआ है। विश्वविद्यालय विकास की तरफ अग्रसर है, नई शिक्षा नीति को अमल में लाने के बाद कई बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे। प्रो. एसपी सिंह, प्राचार्य सेंट जोंस कॉलेज

    विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाना चाहिए। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने पर संसाधन की कमी नहीं रहेगी, विश्वविद्यालय विदेशी क्षेत्रीय भाषाओं के लिए शीर्ष केंद्र की भूमिका निभा सकता है। कृषि अनुसंधान में भी अच्छा कार्य कर सकता है। डा. गिरजा शंकर शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग, डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

    विश्वविद्यालय का माहौल बदल रहा है, शैक्षिक माहौल में सुधार के साथ ही शोध कार्य को भी बढ़ावा मिल रहा है। अभी कई चुनौतियां हैं, प्लेसमेंट को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नए पाठ्यक्रम भी शुरू होने चाहिए। आकाश शर्मा, एमएसडब्ल्यू छात्र

    देश के पुराने विश्वविद्यालय में से एक आंबेडकर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने का अनुभव अच्छा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय की छवि में और सुधार होगा। कला संकाय के छात्रों को भी शोध कार्य करने का मौका मिलेगा। कृष्णा बीए द्वितीय, आगरा कॉलेज