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Dengue D-2: हल्‍के में न लें डेंगू को, लापरवाही पड़ सकती है भारी, डी-2 स्‍ट्रेन के ये हैं लक्षण

आगरा में डेंगू हो रहा घातक प्लाज्मा हो रहा लीक बढ़ रहा हीमोग्लोबिन। तीसरे दिन से खून की नलिकाओं से प्लाज्मा होने लगता है लीक शरीर में सूजन खून गाढ़ा होने से हीमोग्लोबिन 12 से बढ़कर 17 से 18 तक पहुंच रहा फ्लूइड चढ़ाकर बचाई जा रही जान।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 09:39 AM (IST)
Dengue D-2: हल्‍के में न लें डेंगू को, लापरवाही पड़ सकती है भारी, डी-2 स्‍ट्रेन के ये हैं लक्षण
इस समय बुखार को सामान्‍य समझकर नजरअंदाज न करें। डेंगू की जांच करा लें। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। डेंगू का डी टू स्ट्रेन घातक हो रहा है। बुखार आने के तीसरे दिन बच्चों में खून की नलिकाओं से प्लाज्मा लीक होने लगता है, शरीर पर सूजन आ रही है। वहीं, खून गाढ़ा होने से हीमोग्लोबिन बढ़ रहा है। एसएन मेडिकल कालेज में आगरा के साथ ही फीरोजाबाद, मथुरा, एटा से डेंगू के गंभीर मरीज भर्ती हो रहे हैं।

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एसएन के बाल रोग विशेषज्ञ डा. नीरज यादव ने बताया कि 14 अगस्त से अभी तक 70 से अधिक बुखार से पीडित बच्चे भर्ती हो रहे हैं। ब्लड में 45 फीसद रेड ब्लड सेल्स होती हैं, 55 फीसद प्लाज्मा होता है। तीसरे दिन से खून की नलिकाओं से प्लाज्मा लीक होने लगता है। यह चौथे से छठवें दिन तक सबसे अधिक होता है, इससे शरीर पर सूजन आ जाती है। प्लाज्मा लीक होने से ब्लड वाल्यूम कम हो जाता है। खून गाढ़ा होने लगता है और हीमोग्लोबिन का स्तर 12 से बढ़कर 17 से 18 तक पहुंच जाता है। इस दौरान उल्टी होने लगे, शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो जाए तो घातक हो सकता है। इसलिए डेंगू के मरीज में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। उल्टी होने पर फ्लूइड चढ़ाया जाता है।

बुखार आने पर यह करें

- बुखार उतारने के लिए छह से आठ घंटे के अंतराल पर पैरासीटामोल सीरप और टैबलेट दे सकते हैं।

- पानी का सेवन अधिक कराएं, नारियल पानी दे सकते हैं।

- घर का बना हुआ सादा खाना दें, फलों का जूस दे सकते हैं।

प्लेटलेट्स की बढ़ गई मांग

डेंगू, वायरल बुखार और मलेरिया का प्रकोप बढता जा रहा है। ऐसे में ब्लड बैंक पर प्लेटलेट्स लेने के लिए लंबी लाइन लग रही है। वहीं, निजी लैब में डेंगू, मलेरिया के साथ ही खून और प्लेटलेट्स की जांच कराने लोग पहुंच रहे हैं। एसएन मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल के साथ ही निजी अस्पताल में बुखार, डेंगू और मलेरिया के मरीज भर्ती हो रहे हैं। इनकी निजी और सरकारी लैब से सीबीसी, डेंगू, मलेरिया की जांच कराई जा रही है। इसके साथ ही हर रोज प्लेटलेट्स काउंट की जांच कराई जा रही है। इससे पैथोलाजी लैब पर रिपोर्ट लेने के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं। वहीं, वायरल बुखार और डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहे हैं। इनके लिए रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) और सिंगल डोनर एफरेसिस प्लेटलेट्स (एसडीपी, जंबो पैक) मंगाए जा रहे हैं। मलेरिया के मरीजों मे हीमोग्लोबिन कम हो रहा है। इन्हें ब्लड चढाया जा रहा है। एसएन की ब्लड बैंक प्रभारी डा. नीतू चौहान ने बताया कि ब्लड बैंक में 24 घंटे आरडीपी और जंबो पैक तैयार कराए जा रहे हैं।

प्लेटलेट्स के लिए मांगी जा रही मदद, संस्था कर रहीं दान

सबसे ज्यादा समस्या प्लेटलेट्स (एसडीपी, जंबो पैक) में आ रही है। बी पाजिटिव, ए पाजिटिव के साथ ही निगेटिव ब्लड ग्रुप के दानदाता मिलने में समस्या आ रही है। प्लेटलेट्स दान करने के लिए प्रारंभ वेलफेयर सोसायटी, जीवनरक्षक सोसायटी के साथ ही एसएन के मेडिकल छात्र भी आगे आ रहे हैं। ब्लड बैंक पहुंचकर प्लेटलेट्स दान कर रहे हैं।


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