Dharmendra Death: मीना कुमारी संग आगरा आए थे धर्मेंद्र, सलीम चिश्ती की दरगाह पर बांधा था धागा
दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र और मीना कुमारी 60 के दशक में आगरा आए थे। उन्होंने फतेहपुर सीकरी स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह पर फिल्म के लिए मन्नत का धागा बांधा था। फिल्म पाकीजा की सफलता के बाद, केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने धर्मेंद्र के साथ बिताए पलों को याद किया। 89 वर्ष की आयु में धर्मेंद्र के निधन से सिनेप्रेमियों में शोक की लहर है। उनके जाने से हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग का एक अध्याय समाप्त हो गया।

मीना कुमारी के साथ धर्मेंद्र की अभिनीत फिल्म का एक दृश्य।
जागरण संवाददाता, आगरा। दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र 60 के दशक में फिल्म की अभिनेत्री मीना कुमारी संग आगरा आए थे। तब अपनी फिल्म को लेकर अभिनेत्री संग फतेहपुर सीकरी स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह में मन्नत का धागा बांधने गए थे।
जब फिल्म पाकीजा रिलीज हुई तो सुपरहिट हुई। उनके साथ सांसद रहे केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने सोमवार को यह जानकारी दी। साथ ही संसद में उनके साथ बिताए दिनों के बारे में भी बताया।
बालीवुड के महानायक और ही-मैन के नाम से मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके जाने से धर्मेंद्र के जाने की खबर से शहर के सिनेप्रेमियों, रंगकर्मियों और प्रशंसकों में गहरा शोक व्याप्त है।
केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने बताया बालीवुड के महानायक धर्मेंद्र के साथ वे 2004 से 2009 तक सांसद रहे। उन्हें उर्दू शायरी का शौक था।
संसद के सेंट्रल हाल में काफी पीते समय नवजोत सिंह सिद्धू संग मिलकर धर्मेंद्र की उर्दू शायरी होती थीं। अधिकतर शायरी मीना कुमारी की थीं। शायद वे अपनी डायरी उन्हें दे गई थीं। धर्मेंद्र बहुत सौम्य और मिलनसार थे।
उन्होंने बताया था कि वे 60 के दशक में अभिनेत्री मीना कुमारी के साथ आगरा आए थे। एमजी रोड स्थित लारीज होटल में वे ठहरे थे। यहां से वे फतेहपुर सीकरी स्थित हजरत सलीम चिश्ती की दरगाह में मन्नत का धागा बांधने गए थे।
धागा कामयाब हुआ और उनकी फिल्म सुपरहिट रही थी। संसद में उनकी साथ की यादें आज भी ताजा हैं। शूटिंग के लिए धर्मेंद्र कभी आगरा शहर में नहीं आए, लेकिन आसपास की लोकेशनों पर शूटिंग के दौरान उनसे मुलाकात होती रहती थी।
वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश शर्मा ने बताया, दादा हमें बुलाते और नई फिल्म के गाने सुनाते थे। खुद डांस स्टेप्स बताते थे। वे हर फिल्म की शूटिंग से एक महीना पहले घर पर अकेले घंटों प्रैक्टिस करते थे। डांस में परफेक्शन के लिए वे कोरियोग्राफर पर निर्भर नहीं रहते थे।
शहर के सिनेमाघरों में उनकी स्मृति में मौन रखा गया। छह दशक लंबे करियर में 300 से अधिक फिल्में देने वाले धर्मेंद्र आखिरी बार यमला पगला दीवाना फिर से में नजर आए थे। उनके प्रशंसक मानते हैं कि उनके जाने से हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग का एक और अध्याय हमेशा के लिए बंद हो गया।

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