DGP UP बोले, अफीम और कोकीन की तरह खतरनाक है सोशल मीडिया का नशा; Workshop में दिए Tips
आगरा में साइबर सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यशाला में, डीजीपी राजीव कृष्ण ने इंटरनेट मीडिया की लत को अफीम और कोकीन के समान खतरनाक बताया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को साइबर अपराधों से बचने और सुरक्षित रहने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जैसे कि केवल रजिस्टर्ड एप डाउनलोड करना और अपरिचितों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करना। उन्होंने साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

वर्चुअल वर्कशॉप में सूरसदन में डीजीपी राजीव कृष्णा की बातों को समझाते आईटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन।
जागरण संवाददाता, आगरा। इंटरनेट मीडिया पर दिन-रात सक्रिय रहने की लत कोकीन और अफीम की तरह खतरनाक नशा है। इसे हम ड्रग्स 2.0 भी कह सकते हैं। जिस तरह ड्रग्स का नशा करने पर हमारे शरीर कुछ हार्मोन अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं।
जिससे हम चाहते हुए भी ड्रग्स की लत को नहीं छोड़ पाते। इसी तरह से मोबाइल स्क्रीन पर लगातार चलती उंगलियाें से भी शरीर के कुछ हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं और हम इसकी लत या नशा नहीं छोड़ पाते हैं।
खुद के अलावा दूसरों को भी इस नशे से बचाना होगा। मंगलवार को साइबर सुरक्षा और महिला सुरक्षा पर सूरसदन में आयोजित कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने छात्र-छात्राओं और वहां मौजूद लोगों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।
डीजीपी ने छात्र-छात्राओं को इंटरनेट के नशे की लत से बचने की सलाह देने के साथ ही साइबर अपराध के बारे में सचेत किया। उन्होंने कहा जिस तरह सड़क हादसे में जिस तरह घायल की जान बचाने के लिए गोल्डन आवर का महत्व है।
इसी तरह साइबर अपराध का शिकार होने पर एक घंटे के अंदर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 का प्रयोग भी गोल्डन आवर की तरह है। जिसमें पीड़ित अपनी रकम को बचा सकता है। उन्होंने कहा कि गोल्डन आवर में 1930 का अधिक से अधिक प्रयोग साइबर अपराध से बचाने में मदद करेगा।
कार्यशाला में साइबर विशेषज्ञ रक्षित टंडन ने भी छात्र-छात्राओं को इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म जैसे वाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स आदि का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानी को लेकर जागरूक किया।
बताया कि आभासी दुनिया में खुद को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। छात्र-छात्राओं और वहां मौजूद लोगों को बताया कि उनका जीमेल अकाउंट से कहां-कहां से डाटा चोरी किया गया है, इसे किस तरह से पता लगाया जा सकता है।
इंस्टाग्राम पर अपनी व्यक्तिगत फोटो न पोस्ट करने, अपनी जन्मतिथि, गाड़़ी नंबर को पासवर्ड नहीं बनाने को कहा। जिससे कोई उनका अकाउंट हैक नहीं कर सके।
कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान पुलिस आयुक्त दीपक कुमार, अपर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह, डीसीपी अतुल शर्मा, सैयद अली अब्बास, अभिषेक अग्रवाल, अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य, एसीपी डा. सुकन्या शर्मा आदि मौजूद रहे।
इन बातों का रखें ध्यान
- मोबाइल खरीदते हैं तभी से डाटा हैक होने का खतरा शुरू हो जाता है। इससे बचने को रजिस्टर्ड एप ही डाउनलोड़ करें। थर्ड पार्टी एप डाउनलोड करते समय उसके द्वारा मांगी जाने वाली अनुमति को जरूर देखें। जिससे यह पता रहे कि हम उसे किन-किन चीजों को एक्सेस करने की अनुमति दे रहे हैं।
- अपरिचित की फ्रैंड रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें, आप साइबर अपराध के शिकार हो सकते हैं। आभासी दुनिया में मित्रता का निवेदन भेजने वाला साइबर अपराधी भी हो सकता है। इंटरनेट मीडिया में साइबर अपराधी आपके द्वारा पोस्ट किए ईमोजी, फोटो और पंक्तियों से आपका मस्तिष्क पढ़ते है।
- कैमरा एप डाउनलोड करते समय सारी चीजों की अनुमति न दें। कॉल लाग, गैलरी व फोटो आदि को एक्सेस करने की अनुमति न दें।
- इंस्टाग्राम, फेसबुक और वाट्सएप पर टू स्टेप वेरीफिकेशन रखें। इंस्टाग्राम का अकाउंट मोबाइल नंबर और आईडी से बनाया जाता है। आईडी और मोबाइल नंबर हैक होने से बचाया जा सकता है।
- अपने आधार कार्ड के फिंगर प्रिंट को एम आधार पर जाकर लॉक कर दें। इससे साइबर अपराधी आपका आधार नंबर हासिल करने के बाद भी उसका प्रयोग नहीं कर सकेंगे।
- APK फाइल डाउनलोड न करें, भले ही वह आपके परिचित द्वारा भेजा गया हो। साइबर अपराधी आपका मोबाइल हैक करके बैक खाते से रकम निकाल सकते हैं।
- अपरिचित कॉल से बचने के लिए सेटिंग में जाकर उसे ब्लॉक कर सकते हैं।
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