Devshayani Ekadashi Kab Hai: कब है देवशयनी एकादशी? इस साल सिर्फ 12 शुभ मुहूर्त शेष; चातुर्मास है खास
Devshayani Ekadashi Kab Hai देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास शुरू हो रहा है जो 118 दिनों तक चलेगा। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहेंगे और शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। यह समय साधना सेवा और आत्मचिंतन के लिए उत्तम माना गया है। हिंदू जैन और बौद्ध धर्मों में इसका विशेष महत्व है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ सोनावेश धारण कर दर्शन देंगे।

जागरण संवाददाता, आगरा। Devshayani Ekadashi Kab Hai। देवशयनी अर्थात हरिशयनी एकादशी और पवित्र चातुर्मास आरंभ होने वाले हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी छह जुलाई को मनाई जाएगी।
इसके साथ ही 118 दिनों तक चलने वाले चातुर्मास आरंभ हो जाएंगे, जो एक नवंबर को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी पर संपन्न होंगे। यह समय साधना, सेवा, व्रत, आत्मचिंतन और धार्मिक अनुशासन के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि चातुर्मास अर्थात चार महीने का समय, जो श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह तक चलता है। हिंदू धर्म में इन चातुर्मास का विशेष महत्व है।
विष्णु पुराण के अनुसार इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं, जिस कारण मांगलिक व शुभ कार्यों को उनका सानिध्य नहीं मिलता इसलिए सभी तरह के शुभ विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि शुभ और मांगलिक कार्य इन चार महीने के दौरान निषेध हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान धरती का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में भगवान शिव का पूजन रूप से किया जाता है, वहीं भगवान विष्णु के योगनिद्रा से वापस आने पर देवोत्थान एकादशी मनाई जाती है।
इस बार देवशयनी एकादशी पांच जुलाई शाम 6:58 बजे से आरंभ होकर छह जुलाई रात 9:14 बजे रहेगी। उदया तिथि होने के कारण साधक छह जुलाई को ही व्रत रखेंगे। इसके साथ ही अबूझ तिथि छोड़कर मांगलिक कार्य चार माह के लिए निषेध हो जाएंगे।
इस वर्ष सिर्फ 12 शुभ मुहूर्त शेष
इस माह का अंतिम सहालग देवशयनी एकादशी पर छह जुलाई को होगा। साथ ही चार जुलाई को भड़लिया नवमी का भी अबूझ मुहूर्त है।
इसके बाद नवंबर में ही विवाह मुहूर्त होंगे। नवंबर में दो, तीन, आठ, 12, 15, 16, 22, 23 और 25 नवंबर, जबकि दिसंबर में चार, पांच, छह को शुभ मुहूर्त होगा। इस तरह वर्ष 2025 में अब कुल 12 दिन ही विवाह के शुभ मुहूर्त होंगे।
चातुर्मास है विशेष
ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि चातुर्मास काल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक होता है। यह समय साधना, आत्मचिंतन, व्रत और सेवा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। चातुर्मास में किया दान अक्षय पुण्य देने वाला कहलाता है। चातुर्मास का अर्थ सिर्फ चार महीने नहीं, यह वो समय है जिसमें आत्मशुद्धि की प्रक्रिया तेज होती है। इस दौरान साधु-संत भी विहार नहीं करते और एक ही स्थान पर रहकर ध्यान और उपदेश देते हैं।
हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लिए विशेष
चातुर्मास में जहां हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की उपासना, व्रत और धार्मिक अनुशासन पर ज़ोर दिया जाता है। वहीं जैन धर्म में यह काल पर्यूषण पर्व और सामायिक जैसी महत्वपूर्ण साधनाओं का होता है। वहीं बौद्ध धर्म में इस समय गौतम बुद्ध ने वर्षा ऋतु में भ्रमण न करने और एक ही स्थान पर ध्यान करने का उपदेश दिया था।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में होगा सोनावेश दर्शन
कमला नगर, रश्मि नगर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर इस्कान में देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन होगा। मंदिर अध्यक्ष अरविंद स्वरूप प्रभु ने बताया कि इस दिन भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार सोनावेश धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
इस दिन उनका सोने के आभूषणों से शृंगार किया जाएगा और उनकी विशेष पूजा होगी। वहीं सात जुलाई को भगवान को आधार पर्ण अर्पित किया जाएगा, जिसका भोग श्मशान में भेजा जाएगा, जिससे भूत-प्रेत आदि भी उनका प्रसाद ग्रहण कर सकें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।