Cracks In Agra Fort: सांस्कृतिक प्रस्तुतियों पर जी-20 के मेहमान बजा रहे थे ताली, दरक रही थी विश्व धरोहर
Agra Fort सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए 10 फरवरी को फोर्ट में रिहर्सल हुई थी। म्यूजिक सिस्टम की आवाज तेज होने पर एएसआइ के अधिकारियों ने आपत्ति भी जताई थी। अधिकारियों के आगरा फोर्ट से लौटने के बाद रात 12 से सुबह चार बजे तक तेज आवाज में रिहर्सल की गई।

आगरा, जागरण संवाददाता। जी-20 के अतिथियों के स्वागत में आगरा किला में हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों पर मेहमान तालियां बजा रहे थे और विश्व धरोहर दरकती जा रही थी। दीवान-ए-आम की दीवार व छत में दरार आने की मुख्य वजह धमक को माना जा रहा है, जो निर्धारित सीमा से अधिक शोर किए जाने की वजह से हुई।
दीवान-ए-आम में हुई थीं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 11 फरवरी को आगरा किला के दीवान-ए-आम में प्रस्तुति के लिए शंकर प्रसाद चौधरी के नाम से अनुमति जारी की गई थी। अनुमति की शर्तों में स्पष्ट था कि कार्यक्रम के दौरान साउंड लेवल यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के लिए निर्धारित मानक से अधिक नहीं होना चाहिए। यहां 40 डेसीबल से अधिक शोर की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
तेज आवाज पर जताई थी आपत्ति
11 फरवरी को होने वाले कार्यक्रम से पूर्व आयोजकों ने 10 फरवरी को रिहर्सल की थी। तेज आवाज में स्पीकर बजाए जाने पर एएसआइ के अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी। अनुमति की शर्तों का पालन करने की ताकीद की गई थी। सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों के आगरा किला से लौटने के बाद रात 12 बजे से सुबह चार बजे तक तेज आवाज में रिहर्सल की गई। कर्मचारियों ने सुबह इसकी सूचना अधिकारियों को दी। इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुति के दिन तेज आवाज में स्पीकार नहीं बजाने को कहा गया था।
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दो से छह एमएम तक की दरारें
दीवान-ए-आम की छत व दीवार में दो से लेकर छह मिलीमीटर (एमएम) तक चौड़ी दरारें आई हैं। स्मारक की छत पर ऊपर की तरफ से दरारें अधिक चौड़ी हैं। मुगल काल में दीवान-ए-आम की छत करीब एक फुट मोटे पत्थरों के स्लैब से बनाई गई थी। वही पत्थर आज तक यहां लगे हुए हैं।
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कार्यक्रम की अनुमति में होगी मुश्किल
आगरा किला के दीवान-ए-आम में कार्यक्रम के दौरान शोर अधिक होने से स्मारक में दरारें आने के बाद यहां भविष्य में अन्य कार्यक्रमों की अनुमति प्राप्त करने में बाधा आ सकती है। यहां ताज महोत्सव में एक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम होता रहा है। पिछले वर्ष यहां कव्वाली की प्रस्तुति हुई थी।
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