Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जहां आज है आगरा का कलक्ट्रेट, वह भी हुआ करता था किसी का महल, जानें इस इमारत का इतिहास

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Thu, 06 Oct 2022 08:42 AM (IST)

    वर्ष 1803 में आगरा पर अधिकार के बाद बनाया गया था तहसील कार्यालय। वर्ष 1902 में लश्कर खां के महल में पुलिस कार्यालय स्थापित किया गया था। लश्कर खां का नाम अबुल हसन था। घटवासन स्थित लश्करपुर को लश्कर खां द्वारा बसाया हुआ बताया जाता है।

    Hero Image
    History of Agra: आगरा कलक्ट्रेट की इमारत का भी रोचक इतिहास है।

    आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में एमजी रोड से गुजरने वाले राहगीरों को कलक्ट्रेट का लाल पत्थरों से बना गेट आकर्षित करता है। उसमें हो रहे जाली वर्क और गेट के ऊपर बनीं छोटी छतरियां मुगलकालीन स्थापत्य कला की झलक दिखाती हैं। यह गेट मुगलकालीन नहीं है। इसका निर्माण करीब एक दशक पूर्व कराया गया था। यहां मुगलकालीन निर्माण तो नहीं है, लेकिन कभी यहां शाहजहां के मनसबदार लश्कर खां का महल हुआ करता था। इसका नामोनिशान मिट चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तवारीख-ए-आगरा में है जिक्र

    इतिहासकार राजकिशोर राजे ने अपनी पुस्तक "तवारीख-ए-आगरा' में कलक्ट्रेेट का वर्णन किया है। राजे लिखते हैं वर्तमान में जहां कलक्ट्रेट बनी है, वहां शाहजहां के मनसबदार लश्कर खां का महल हुआ करता था। लश्कर खां का नाम अबुल हसन था। घटवासन स्थित लश्करपुर को लश्कर खां द्वारा बसाया हुआ बताया जाता है। वर्ष 1803 तक आगरा मराठा सरदारों के नियंत्रण में रहा। वर्ष 1803 में अंग्रेजों का आगरा पर अधिकार हो गया। उन्होंने लश्कर खां के महल में तहसील कार्यालय बनाया।

    पुलिस कार्यालय भी रहा

    वर्ष 1902 में तहसील कार्यालय दूसरे परिसर में स्थानांतरित करने पर लश्कर खां के महल में पुलिस कार्यालय स्थापित कर दिया गया। वर्ष 2000 में खस्ताहाल इमारत को गिरा दिया गया। इस स्थान पर अब जिला पुलिस मुख्यालय है। राजे बताते हैं कि शहर में सभी प्राचीन भवनों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया गया था। कुछ भवनों व हवेलियों को ब्रिटिश काल में नीलाम कर दिया गया, जिससे उनका अस्तित्व मिट गया।

    1804 में बनी दीवानी कचहरी

    वर्ष 1804 में अंग्रेजों ने दीवानी कचहरी और वर्ष 1806 में कलक्ट्रेट कचहरी की स्थापना की। वर्ष 1808 में बाह व पिनाहट को आगरा में मिला लिया गया। वर्ष 1816 में फिरोजाबाद भी आगरा से जोड़ दिया गया। 25 जुलाई, 1806 में कनिंघम को आगरा का पहला कलक्टर बनाया गया।