Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Indian Railways: अब पटरियां उखड़ने का नहीं रहेगा डर, आगरा रेल मंडल ने अपनाई USFD तकनीक

    By Prateek GuptaEdited By: Prateek Gupta
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 10:06 AM (IST)

    आगरा रेल मंडल ने पटरियों की सुरक्षा के लिए USFD तकनीक अपनाई है। इससे पटरियों की गहराई तक जांच हो रही है और आंतरिक दोषों को शुरुआती दौर में ही पहचाना जा रहा है। मंडल रेल प्रबंधक गगन गोयल ने बताया कि यात्री सुविधाओं के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। 2025-26 में 3612.1 किलोमीटर ट्रैक की जांच की गई और दोषों की मरम्मत की गई।

    Hero Image

    आगरा रेल मंडल में ट्रैक की जांच करती टीम।

    जागरण संवाददाता, आगरा। पटरियां क्षतिग्रस्त होना भी रेल हादसों के पीछे बड़ा कारण रहता था। अब आगरा रेल मंडल ने ट्रैक की संरक्षा और सुरक्षा के लिए USFD तकनीक अपनाई है। इससे ट्रैक की नियमित मॉनीटरिंग की जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पटरियों की गहराई तक जांच कराई जा रही है। यदि कहीं भी कुछ शिकायत पाई जा रही है तो उसे दूर किया जा रहा है। मंडल रेल प्रबंधक आगरा गगन गोयल ने बताया यात्री सुविधाओं के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे है।

    इसी क्रम में आगरा मंडल में रेल पटरियों की आंतरिक संरचना की सूक्ष्म जांच के लिए अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन (USFD) तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।

    यह नवीनतम तकनीक रेल की पटरियों में समय के साथ उत्पन्न होने वाले आंतरिक दोषों को प्रारंभिक अवस्था में ही चिन्हित कर लेती है, जिससे आवश्यक अनुरक्षण कार्य समय पर पूरा किया जा सके।

    जिससे यात्री व मालगाड़ियों का परिचालन पूरी तरह सुरक्षित और संरक्षित रह सके। आगरा मंडल में वर्तमान में लगभग 1509 किलोमीटर ट्रैक की नियमित रूप से USFD मशीनों द्वारा जांच की जा रही है।

    इस जांच की आवृत्ति ट्रेनों के आवागमन के घनत्व (GMT) पर आधारित होती है और मंडल के विभिन्न सेक्शनों में प्रत्येक दो से चार माह में ट्रैक की जांच की जाती है।

    मंडल में वर्तमान में नौ USFD टीमों का गठन किया गया है, जिनमें 13 प्रशिक्षित इंजीनियर कार्यरत हैं। ये सभी इंजीनियर बी-स्कैन USFD मशीनों से लैस हैं, जो ट्रैक की आंतरिक स्थिति को डिजिटल रूप में दर्ज कर तुरंत विश्लेषण की सुविधा प्रदान करती हैं।

    वेल्ड की सटीक जांच हेतु सभी टीमों को डिजिटल वेल्ड टेस्टर भी प्रदान किए गए हैं, जिससे वेल्डिंग खामियों का सटीकता से पता लगाया जा सके। ट्रैक जांच के दौरान संपूर्ण कार्य का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जिसे विश्लेषण कर आवश्यक कार्रवाई की जाती है।

    वर्ष 2025-26 में मंडल के स्तर पर 3612.1 किलोमीटर ट्रैक, 24527 वेल्ड, 1673 टर्नआउट और 1745 स्वीच एक्सपेंशन जॉइंट्स की सूक्ष्मता से जांच की गई।

    इस जांच के दौरान विभिन्न नए फ्लॉ चिन्हित किए गए, जिनकी तत्काल मरम्मत कर दी गई, जिससे ट्रेनों के संचालन में कोई व्यवधान न आए और संरक्षा मानकों का पूर्ण पालन हो सके।

    आगरा मंडल के USFD इंजीनियरों को समय-समय पर आरडीएसओ लखनऊ एवं इरिसेन पुणे जैसे संस्थानों में विशेषज्ञ प्रशिक्षण हेतु भेजा जाता है, ताकि वे नवीनतम तकनीकी मानकों के अनुरूप कार्य कर सकें और संरक्षा में निरंतर सुधार किया जा सके।

     

    यह भी पढ़ें- Indian Railways: हुआ है बदलाव, ट्रेन रवाना होने के आठ घंटे पहले अब तैयार होगा पहला Reservation Chart