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    नेपाल से नागालैंड तक फैला था मतांतरण गिरोह का जाल, अब्दुल रहमान का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन उजागर

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 09:35 PM (IST)

    आगरा में अवैध मतांतरण गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिसका सरगना अब्दुल रहमान है। रहमान का नेटवर्क नेपाल भूटान और म्यांमार तक फैला था। वह मौलाना कलीम सिद्दीकी से भी आगे बढ़कर मतांतरण की योजना बना रहा था। पुलिस ने उसे हवाला से फंडिंग होने के भी सबूत पाए हैं। इस मामले में कई और गिरफ्तारियां हुई हैं और जांच जारी है।

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    नेपाल से नागालैंड तक फैला था मतांतरण गिरोह का जाल।

    जागरण संवाददाता, आगरा। अवैध मतांतरण गिरोह के प्रमुख चेहरे अब्दुल रहमान का जाल नेपाल के साथ ही भूटान एवं म्यांमार की सीमा तक फैला था। वह सामूहिक मतांतरण मामले में सजा काट रहे मौलाना कलीम सिद्दीकी से एक कदम आगे चल रहा था।

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    अवैध मतांतरण की योजना पर देश के कई राज्यों के अलावा नेपाल तक काम कर रहा था। वह म्यांमार एवं भूटान की सीमा से लगे इलाकों में भी गया था। पूछताछ में अब्दुल रहमान की तरह काम करने वाले कई और नाम पुलिस के सामने आए हैं।

    सदर से इस वर्ष 24 मार्च को गायब दो बेटियों को पुलिस ने 18 जुलाई को कोलकाता के मुस्लिम बाहुल्य तपसिया क्षेत्र से बरामद किया था। बेटियों का अवैध मतांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 14 लोगों को गिरफ्तार किया।

    गिरोह का प्रमुख चेहरा दिल्ली के मुस्तफाबाद का रहने वाला अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल सिंह है। मंगलवार को छह आरोपितों की रिमांड की अवधि समाप्त होने पर जेल भेज दिया। चार आरोपितों गोवा की आयशा उर्फ एसबी कृष्णा, शाहगंज के सराय ख्वाजा के रहने वाले रहमान कुरैशी, हसन अली उर्फ शेखर राय एवं मोहम्मद अली उर्फ पीयूष पंवार एक अगस्त तक पुलिस रिमांड पर हैं। अब्दुल रहमान से पूछताछ कर रहीं पुलिस टीम ने उसकी वाट्सएप चैट, काल डिटेल एवं ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली।

    पूछताछ में पता चला कि अब्दुल रहमान और गिरोह से जुड़े अन्य लोग नेपाल में भी मतांतरण की योजना पर काम कर रहे थे। आरोपित ने बताया कि वह दिल्ली से सीतापुर एवं लखीमपुर होते हुए कई बार नेपाल गया था।

    उसका उद्देश्य अवैध मतांतरण की अपनी योजना को विस्तार देना था। वह नागालैंड, असम, पश्चिम बंगाल भी गया था। सबसे चौंकाने वाली जानकारी म्यांमार एवं भूटान की सीमा से लगे इलाकों में मतांतरण की योजना पर काम करना था। देश की सीमा से लगे इन इलाकों में वह सामूहिक मतांतरण की योजना पर काम कर रहा था।

    गुजरात और राजस्थान से जुड़े हवाला के तार

    आगरा: साइबर क्राइम विशेषज्ञों द्वारा आरोपित अब्दुल रहमान का मोबाइल डाटा एवं काल डिटेल खंगाली गई।आरोपित को हवाला के माध्यम से रकम मिलने के साक्ष्य मिले हैं। हवाला के तार गुजरात के अलावा राजस्थान के टोंक एवं अलवर से जुड़े हैं।

    दूर-दराज के राज्यों में यात्रा के लिए उसे देश-विदेश से फंडिंग होती थी। वह गिरोह से जुड़े लोगों के खातों में रकम मंगवाता था। वह स्वयं हवाला के माध्यम से रकम लेता था। रिमांड पर लिए गए गिरोह के एक अन्य सदस्य रहमान कुरैशी द्वारा भी क्रिप्टो करेंसी एवं डालर द्वारा फलस्तीन के लिए रकम जुटाने के साक्ष्य पुलिस को पहले ही मिल चुके हैं।

    कौन है मौलाना कलीम सिद्दीकी

    कलीम सिद्दीकी को एटीएस ने सामूहिक मतांतरण के आरोप में वर्ष 2021 में गिरफ्तार किया था। वर्ष 2024 में कलीम सिद्दीकी समेत 12 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मुजफ्फरनगर के रहने वाले कलीम सिद्दीकी ने बीएससी के बाद आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट दिया था।

    इसमें 57वीं रैकिंग आई थी। डाक्टरी की पढाई छोड़ मौलाना बनकर दीनी शिक्षा देने लगा। उसने अपना मदरसा बनाया। उसके ट्रस्ट को खाड़ी देशों से करोड़ों रुपये की फंडिग मिली थी। अब्दुल रहमान को कलीम सिद्दीकी का करीबी माना जाता है।

    साक्ष्य की कड़ियां जोड़ रहीं जांच टीमें 

    अवैध मतांतरण गिरोह के तार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, गोवा एवं कश्मीर से जुड़े हैं। जबकि विदेशों में पाकिस्तान, दुबई एवं कनाडा से जुड़े हैं।पुलिस टीमें आरोपितों से मिली साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है।

    न्यायालय में यह साक्ष्य ही आरोपितों को सजा दिलाने में मददगार साबित होंगे। पुलिस साक्ष्यों को एकत्रित करने के साथ ही गिरोह के लोग एक दूसरे से किस तरह से कनेक्ट थे, इसे भी जोड़ रही है। इसके अलावा अवैध मतांतरण के लिए आरोपितों को होने वाली फंडिंग के बारे में भी साक्ष्यों को एकत्रित किया गया है।

    अवैध मतांतरण गिरोह के प्रमुख चेहरे अब्दुल रहमान से पूछताछ में उसके नेपाल जाने, म्यांमार एवं भूटान की सीमा से लगे इलाकों में जाने के साक्ष्य सामने आए हैं। हवाला से फंडिंग की बात भी सामने आई है।

    दीपक कुमार, पुलिस आयुक्त