Tajmahal: ताज व्यू प्वाइंट के लिए एडीए ने जारी किया टूर पैकेज, चार घंटे की होगी बुकिंग
Tajmahal ताज रात्रि दर्शन की अवधि में अधिक रहेगी दर मेहताब बाग से ताजमहल का दीदार किया जाता है। नाइट व्यू के लिए एक दिन पहले टिकट लेनी पड़ती है। ऐसे में मेहताब बाग से पर्यटकों को होटल और टूर आपरेटर यहां से ताज दिखा सकेंगे।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने मेहताब बाग स्थित ताज प्यू प्वाइंट के भ्रमण के लिए होटलों व टूर आपरेटरों की मांग पर पर्यटकों की सुविधा को टूर पैकेज जारी किया है। 28 सीटर वातानुकूलित इलेक्ट्रिक बस का टूर पैकेज चार घंटे के लिए मान्य होगा। सुबह सात से शाम सात बजे तक टूर पैकेज की बुकिंग कराई जा सकेगी। टूर पैकेज की कीमत चार हजार रुपये तय की गई है।
पांच दिन होता है ताज रात्रि दर्शन
निर्धारित चार घंटे का समय पूरा होने के बाद एक हजार रुपये प्रति घंटा अतिरिक्त चार्ज लिया जाएगा। टूर पैकेज में पर्यटकों को 200 मिली पानी की बोतल व सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। माह में पांच दिन होने वाले ताज रात्रि दर्शन (पूर्णिमा, पूर्णिमा से दो दिन पूर्व और दो दिन बाद) की अवधि में शाम पांच से रात नौ बजे तक की अवधि का टूर पैकेज पांच हजार रुपये का रहेगा।
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एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने बताया कि पर्यटकों के ग्रुपों के लिए यह सुविधा शुरू की जा रही है। बस पर्यटकों को होटल या अन्य जगह से लेकर ताज व्यू प्वाइंट का भ्रमण कराने के बाद वहीं छोड़ेगी।
शहंशाह शाहजहां ने कराया था मेहताब बाग का निर्माण
मेहताब बाग ताजमहल के ठीक पार्श्व में यमुना पार स्थित है। शहंशाह शाहजहां ने चंद्र वाटिका (मेहताब बाग) का निर्माण कराया था। वो स्वयं यहां से ताजमहल निहारा करता था। मेहताब बाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित है। यहां से सूर्यास्त के समय ताजमहल का अद्भुत नजारा ना भूलने वाला होता है।
कभी यहां आई थी बाढ़ और रेत के टीले में बदल गया था बाग
आज मेहताब बाग जैसा नजर आता है, ढाई दशक वर्ष पूर्व उसकी यह स्थिति नहीं थी। यमुना नदी में समय-समय पर आई बाढ़ और ग्रामीणों द्वारा पहुंचाई गई क्षति के चलते यह रेत के टीले में तब्दील हो गया था। यहां नजर आते अवशेषों को गाइड ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों को काले ताजमहल का भाग बताते थे।
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औरंगजेब द्वारा बंदी बनाए जाने से शाहजहां का काला ताजमहल बनवाने का ख्वाब अधूरा रह गया। वर्ष 1978 में यमुना में आई बाढ़ में यमुना किनारे प्राचीन दीवार निकलने पर यहां किसी प्राचीन स्मारक की मौजूदगी का सच सामने आया था।