घंटा चढ़ाने से पूरी होती है मुराद
शिवदत्त गोस्वामी, बटेश्वर: पौराणिक तीर्थ बटेश्वर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना है। भोले के दरबार में घंटा अर्पित करने से मुराद पूरी होती है। मुख्य ब्रह्मालाल मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा सदियों से घंटा चढ़ाने का संकल्प मनचाही मुराद पूरी होने की धार्मिक मान्यता को साकार करता है। वर्तमान में मुख्य मंदिर में चढ़ाये गये विशाल घंटे मन की मुराद पूरी होने की गवाही दे रहे हैं।
सदियों पुरानी घंटा चढ़ाने की परंपरा
मुख्य मंदिर के पुजारी जयप्रकाश गोस्वामी का कहना है, तीर्थ में मनचाही मनौती पूर्ण होने पर घंटा चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। असंभव कार्य को संभव बनाने के लिए बटेश्वर नाथ के दरबार में घंटा चढ़ाने का संकल्प लिया जाता है।
एक मार्च को चढ़ेगा 421 किलो का घंटा
धार्मिक तीर्थ में 1 मार्च को मुख्य मंदिर बटेश्वर नाथ में रुनकता, आगरा के संतोष गोले मनचाही मनौती पूरी होने की खुशी में भोले के दरबार में अब तक चढ़े घंटों में सबसे बड़ा चार सौ इक्कीस किलो का घंटा अर्पित करेंगे। उन्होंने बताया, एक वर्ष पूर्व उन्होंने मंदिर में साई प्रसाद ग्रुप आफ कंपनीज में चीफ कंट्रोलर नम्बर एक बनने की मनौती मांगी थी। इससे पूर्व भी उन्होंने मनौती पूरी होने पर 1 वर्ष पूर्व 51 किलोग्राम का घंटा चढ़ाया था।
घंटा चढ़ाने वाले कुछ श्रद्धालुअ
मंदिर में 325 किलोग्राम का घंटा फीरोजाबाद के भानुप्रताप पुत्र दलवीर ने, 151 किलोग्राम का घंटा एमके गुप्ता एलपी कोल्ड स्टोरेज सिरसागंज और 111 किलोग्राम का घंटा उदयवीर सिंह यादव करहल, मैनपुरी, 111 किलोग्राम का घंटा ठा. प्रहलाद सिंह बाह ने चढ़ाया है।
जलेसर में 12 कारीगरों ने बनाया घंटा
बटेश्वर में चढ़ने वाले अब तक के सर्वाधिक वजन वाले इस 421 किग्रा. के पीतल घंटे को जलेसर में आर्डर देकर बनवाया गया है। 12 कारीगरों को इसे बनाने में 18 दिन का वक्त लगा, लागत लगभग पौने दो लाख रुपया आई है।
डाकू मान सिंह ने भी चढ़ाया था घंटा
चंबल की वादियों के चर्चित डाकू मान सिंह ने भी भोले के प्रति आस्था जताते हुए बटेश्वर मंदिर में घंटा चढ़ाया था, यह आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। वहीं डाकू लायक सिंह ने भी मंदिर में घंटा चढ़ाया था। पूर्व में बीहड़ में रहने वाले डाकू भी भोले में आस्था रखते थे।
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