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    Independence Day 2025: जब क्रांतिकारियों ने बम से उड़ा दिया था खारी नदी का पुल, भांडई स्टेशन पर फूंका था सामान

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 09:32 PM (IST)

    आगरा में 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया था। उन्होंने खारी नदी के पुल को उड़ा दिया सिपाहियों को बंधक बनाकर उनकी राइफलें लूट लीं और भांडई स्टेशन पर सामान जला दिया। मनोहर लाल शर्मा की किताब में इन घटनाओं का वर्णन है जिसमें क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान को दर्शाया गया है।

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    बम से उड़ा दिया था खारी नदी का पुल, भांडई स्टेशन पर फूंका था सामान

    जागरण संवाददाता, आगरा। अगस्त क्रांति, 1942 में आगरा के कोने-कोने में रह रहे लोगों में देश को आजाद कराने की ज्वाला धधक उठी थी। गांधीवादी तरीके से आंदोलन के साथ ही क्रांतिकारियों ने कई ऐसी साहसिक घटनाओं को अंजाम दिया, जिनसे ब्रिटिश हुकूमत भी हिल गई थी। क्रांतिकारियों ने खारी नदी के पुल को बम से उड़ा दिया था। ब्रिटिश पुलिस के सिपाहियों को बंधक बनाकर उनकी रायफल लूट ली थीं। भांडई स्टेशन पर रेलवे स्टाफ को बंधकर बनाकर सामान को भी फूंक दिया था।

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    आठ अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था, जिसके बाद देशभर में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध आंदोलन शुरू हो गए थे। इसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। खारी नदी के पुल को बम से उड़ाने और भांडई स्टेशन पर सामान फूंकने की घटनाओं का वर्णन स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल शर्मा ने अपनी किताब 'स्वतंत्रता संग्राम में आगरा का योगदान' में किया है।

    भांडई स्टेशन पर सिपाही, बाबू व स्टेशन मास्टर को बनाया था बंधक

    मनोहर लाल शर्मा ने लिखा है कि, करो या मरो का नारा गूंजते ही देशवासी अपना सर्वस्व अर्पण करने को आतुर हो उठे। बिचपुरी के मनोहर लाल शर्मा के नेतृत्व में बाबूलाल पाठक व बाईंपुर के नत्थीलाल ने आगरा-मुंबई रेल मार्ग के भांडई गांव में खारी नदी पर स्थित रेलवे पुल को उड़ाने की योजना बनाई। रात में पुल पर बम लगाने में चार घंटे लगे। मालगाड़ी आने से पूर्व ही बम फट गया, जिससे पुल का एक भाग उड़ गया। इससे क्रांतिकारियों की योजना को झटका लगा। प्रयास सफल नहीं होने पर मनोहर लाल शर्मा ने दूसरा दल बनाया।

    क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश पुलिस के सिपाहियों से लूट ली थीं रायफल

    गोकुलपुरा के गोपीचंद शर्मा, पंत नगर के बसंत लाल झा, वाराणसी के रामानंदाचार्य के साथ वह भांडई स्टेशन पहुंच गए। ब्रिटिश हुकूमत ने यहां पुलिस तैनात कर रखी थी। क्रांतिकारियों ने पहरा दे रहे पांच सिपाहियों से रायफल छीन लीं। स्टेशन के एक कमरे में सिपाहियों, स्टेशन मास्टर और तीन बाबुओं को बंद कर दिया।

    स्टेशन का सारा सामान बाहर निकालकर उस पर केरोसिन छिड़ककर आग लगा दी। लपटें व धुआं देख बाद, कुठावली, भांडई के ग्रामीण व सिपाही वहां पहुंच गए। बंधक सिपाहियों ने क्रांतिकारियों को डकैत बताते हुए ग्रामीणों को भड़का दिया। क्रांतिकारियों को हवाई फायरिंग करते हुए वहां से निकलना पड़ा था।

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