क्रूर चाचा के पैरों तले मासूमों ने तोड़ा था दम
जागरण संवाददाता,आगरा: 'अंधेरे से डर लग रहा था। भइया राहुल और अंकित घर जाने को रोने लगे, तो उनको देखकर मैं भी जोर-जोर से रोने लगी। तारा चाचा ने हमको मारा, फिर राहुल और अंकित की गर्दन पर पैर रखकर खड़े हो गए। चीख के साथ दोनों की आंखों से आंसू निकल आए और एड़ियां रगड़ने लगे, मैंने चाचा के पैरों से लिपटकर भाइयों को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन उनको तरस नहीं आया।' शनिवार तड़के होश में आयी आठ साल की अंजली ने चाचा ताराचंद की क्रूरता की दास्तान सुनाई, तो परिवार और पुलिसवालों तक के दिल दहल उठे। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी को कई स्थानों पर दबिश दी, लेकिन वह हाथ नहीं आया।
जगदीशपुरा के अलबतिया से गुरुवार दोपहर देवी के सिंह के बच्चों राहुल (10), अंजली (8) और अंकित (6) को स्कूल से ले जाने के बाद चाचा ताराचंद ने गला घोंट दिया था। तीनों को किरावली के एक खेत में फेंककर भाग गया था। राहुल और अंकित की मौत हो गयी थी, अंजली को चिकित्सकों ने मौत के मुंह से निकाल लिया था। होश आने पर अंजली ने बताया कि चाचा ताराचंद उनको स्कूल से नानी के घर चलने के बहाने बुलाकर ले गया था। साइकल किसी के घर खड़ी करके उनको पहले ऑटो, फिर कार में घुमाता रहा।
रात होने पर अंकित को भूख लगी। वह रोने लगा, तो चाचा ने तीनों को समोसा खिलाया। इसके बाद रात में किसी गांव के बाहर एक तख्त पर सुला दिया, कुछ घंटे बाद उनको उठाकर एक खेत पर ले गया। अंजली ने बताया कि चारों तरफ अंधेरा देखकर उसने और दोनों भाइयों ने रोना शुरू कर दिया। चाचा ने उनको मारा-पीटा। इसके बाद सबका मफलर से गला घोंटने लगे। जान बचाने को तीनों ने उनसे लिपटकर चिल्लाना शुरू कर दिया। इस पर चाचा राहुल और अंकित को जमीन पर पटक उनकी गर्दन पर पैर रखकर खड़े हो गए।
पैरों तले तब तक गर्दन दबाए रहा, जब तक दोनों ने एड़ियां रगड़ना बंद नहीं कर दिया। इसके बाद चाचा ने अपने पैरों से छुड़ाकर मेरा भी गला घोंट दिया।
एएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि हत्यारोपी की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं, दबिश के लिए कई टीम रवाना की हैं।
अश्लील हरकत के बाद छोड़ा घर
अपनी हरकतों के चलते ताराचंद को छह महीने पहले घर छोड़ना पड़ा था। परिवार और गांव में उसकी छवि काफी खराब थी। परिजनों के मुताबिक छह महीने पूर्व परिवार की एक युवती के समक्ष उसने अश्लीलता की सारी हदें पार कर दी थीं। इसे लेकर परिवार और गांव की महिलाएं उसके विरुद्ध हो गयी थीं।
दी थी वंश समाप्त करने की धमकी
ताराचंद ने एक साल पूर्व बड़े भाई नाथूराम और देवी सिंह को वंश समाप्त करने की धमकी दी थी। अपनी शादी न कराने पर उनको भी चैन से न रहने देने को कहा था। देवी सिंह के अनुसार, उस समय उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया था।
चाचा को अब घर नहीं लाना
पापा चाचा को अब घर नहीं लाना। पुलिस से पकड़वाकर जेल भिजवा दो, वह बहुत खराब है। होश में आयी अंजलि मां-बाप से बार बार यही कह रही थी।
पापा जल्दी आ जाओ
पापा, मम्मी को लेकर जल्दी से आ जाओ। होश में आने के बाद मौसी उर्मिला के फोन से अंजली की पिता से यही एक रट थी। दहशतजदा अंजली मां-बाप को एक पल के लिए छोड़ने को तैयार नहीं थी।
अंजली से बुलवाए थे भाई
ताराचंद ने अंजली से ही अंकित और राहुल को स्कूल से बुलवाया था। स्कूल में वह सहेलियों से फतेहाबाद नानी के घर जाने की कहकर निकली थी।
रोज अपने हाथों से देते थे खाना
राहुल और अंकित, ताराचंद को अपने हाथों से खाना देने जाते थे। दोनों ने मरने से पहले चाचा को इसका हवाला देकर अपनी जान बख्शने की कहा, जिसे उस दरिंदे ने अनसुना कर दिया।
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