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    गाजियाबाद में घर बसाने का सुनहरा मौका, भूमि अधिग्रहण के लिए हुई पहली रजिस्ट्री

    By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar Jha
    Updated: Sat, 07 Jun 2025 01:45 PM (IST)

    गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की हरनंदीपुरम टाउनशिप योजना में भूमि अधिग्रहण की शुरुआत हो चुकी है। पहली रजिस्ट्री नगला फिरोज मोहनपुर की रूबी के नाम पर हुई जिन्हें 4371840 रुपये का मुआवजा मिला। यह योजना 501 हेक्टेयर में फैली है जिसमें से पहले चरण में 336 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होगा। किसानों को सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा।

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    गाजियाबाद हरनंदीपुरम टाउनशिप योजना में भूमि अधिग्रहण शुरू। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद।Harnandipuram Township Scheme: जीडीए के ड्रीम प्रोजेक्ट हरनंदीपुरम योजना एक कदम और आगे बढ़ गई है। योजना के तहत की जा रही भूमि अधिग्रहण के लिए पहली रजिस्ट्री शुक्रवार को हुई।

    गांव नगला फिरोज मोहनपुर निवासी रूबी को जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने 43,71,840 रुपये के मुआवजे का चेक दिया। रजिस्ट्री में 3,82,000 का स्टांप शुल्क दिया गया।

    रूबी की खसरा संख्या 364 मि०, रकबा 0.0759 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहीत किया गया है। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि गाजियाबाद में स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी टाउनशिप की दिशा में बड़ा कदम है।

    गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आवासीय हरनंदीपुरम योजना में पहली रजिस्ट्री हुई है। हरनंदीपुरम योजना की शुरुआत वर्ष 2025 की शुरुआत में की गई थी। मई 2025 में मेरठ मंडलायुक्त और जीडीए अध्यक्ष ऋषिकेश भास्कर यशोद की अध्यक्षता में आयोजित प्राधिकरण की 169वीं बोर्ड बैठक में यह योजना अनुमोदित की गई थी।

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    इसके तहत कुल 501 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होगा। पहले चरण में 336 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जो कि मथुरापुर, शमशेर, चंपतनगर, भनेरा खुर्द और नंगला फिरोज से होगा। इन पांच गांवों के किसानों को उनकी भूमि के सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा।

    योजना मे 2,384 करोड़ रुपये से भूमि अधिग्रहीत की जाएगी। इसमें से 400 करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत उपलब्ध कराई जाएगी, जबकि शेष राशि जीडीए द्वारा अपने स्रोतों से जुटाई जाएगी।

    जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि इस योजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। चयनित एजेंसी को दो माह के भीतर रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा तय की गई है।