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    काला हिरण शिकार मामला: सलमान खान की हाईकोर्ट में होगी पेशी, सभी केसों पर एक साथ 28 जुलाई को होगी सुनवाई

    Updated: Fri, 16 May 2025 10:38 PM (IST)

    सलमान खान से जुड़े कांकाणी हिरण शिकार मामले में राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में लीव-टू-अपील दाखिल की है। जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने मामले को अन्य संबंधि ...और पढ़ें

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    सलमान खान से जुड़े कांकाणी हिरण शिकार मामले में सभी केसों पर एक साथ होगी सुनवाई। (फाइल फोटो)

    जेएनएन, जोधपुर। सलमान खान से जुड़ा कांकाणी हिरण शिकार मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आया है। राजस्थान सरकार ने शुक्रवार हाईकोर्ट में लीव - टू- अपील दाखिल की है। जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की अदालत ने इस मामले को अन्य संबंधित केसों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।

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    अधिवक्ता महिपाल विश्नोई ने बताया कि गत एक अक्टूबर 1998 को जोधपुर के कांकाणी गांव में फिल्म की शूटिंग के दौरान काले हिरण का शिकार किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने सैफ अली खान , नीलम , तब्बू , सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस मामले में सीजेएम कोर्ट ने फिल्म अभिनेता सलमान खान को 5 साल जेल की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

    कोर्ट में लीव टू अपील पेश

    राज्य सरकार की अपील में ट्रांसफर पिटीशन की अनुमति और सलमान खान की सजा से जुड़े मामलों को शामिल किया जाएगा। सरकार की ओर से फिल्म अभिनेता सैफ अली खान नीलम तब्बू सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को बरी किए जाने के खिलाफ कोर्ट में लीव टू अपील पेश की गई।

    जस्टिस मनोज गर्ग की कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश की गई लीव टू अपील को सलमान खान से जुड़े अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश सुनाया है। अब इस मामले में आगामी 28 जुलाई को सलमान खान से जुड़े मामलों के साथ सुनवाई होगी।

    समय सीमा के भीतर अपील नहीं की गई 

    दरअसल, किसी भी मामले में अपील पेश करने की समय सीमा बीत जाने के बाद लीव टू अपील यानी अपील करने की इजाजत पेश की जाती है। करीब 26 साल पुराना काला हिरण शिकार मामले में अपील करने की समय सीमा के भीतर अपील नहीं की गई।

    यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति को किसी निर्णय या आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए अनुमति मांगने की आवश्यकता होती है, खासकर जब वह अपील की सामान्य समय सीमा समाप्त हो गई हो या अन्य कानूनी बाधाओं के कारण अपील करने में असमर्थ हो।

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