मेंटल हेल्थ के ज्यादातर मरीज 12-30 उम्र के, पांच साल में तेजी से बढ़ा ग्राफ, सोशल मीडिया- स्टेटस बना बड़ा कारण
मानसिक रोगियों की संख्या भारत में तेजी से बढ़ रही है, खासकर युवाओं में। विशेषज्ञों के अनुसार, 10 से 30 वर्ष की आयु के 50% से अधिक युवा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। सोशल मीडिया का दबाव, पढ़ाई का तनाव और जीवनशैली में बदलाव इसके मुख्य कारण हैं। मनोरोग चिकित्सकों का कहना है कि समय रहते जागरूकता और इलाज से इस समस्या को कम किया जा सकता है।

HighLights
- <p>युवाओं में तेजी से बढ़ रही मानसिक समस्याएं</p>
- <p>सोशल मीडिया का दबाव बन रहा है कारण</p>
- <p>शुरुआती पहचान और इलाज है जरूरी</p>
संदीप राजवाड़े, नई दिल्ली।
मानसिक रोगी या बोलचाल की भाषा में मेंटल हेल्थ के मरीजों की संख्या भारत समेत पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। भारत में मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझने वालों में 50 फीसदी से ज्यादा जेन-जी हैं, जिनकी उम्र 10-12 से लेकर 30 के अंदर है। यह आकलन देश के पांच राज्यों के मानसिक रोग चिकित्सकों का है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से बच्चों और युवाओं में मेंटल हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें देखने में आ रही हैं, वह पहले नहीं था। पांच-छह साल पहले तक उम्रदराज लोगों में ही मानसिक रोग से जुड़ी समस्याएं देखने में आती थीं। भारत समेत दुनिया के लिए यह बीमारी बड़ी समस्या की तरह उभरकर आ रही है। दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मनोरोग चिकित्सकों से बातचीत में पता चला कि मेंटल हेल्थ के कारण हाइपरटेंशन (बीपी) और डायबिटीज की बीमारी भी बढ़ रही है, इसी से हार्ट अटैक और अन्य बीमारियों का खतरा भी देखने को मिल रहा है। यह भी देखने में आया है कि मनोरोग की समस्याओं को लेकर पिछले 8-10 सालों के दौरान लोगों में बहुत जागरूकता आई है।
केस- 01- रील में व्यू नहीं आए तो अपने आप को पहुंचा रहे नुकसान
छत्तीसगढ़ के रायपुर में 22 साल के सुमित साहू (बदला हुआ नाम) को सोशल मीडिया में रील- वीडियो बनाने का शौक था। वह पिछले कुछ सालों से अलग-अलग जगहों पर हंसी-मजाक वाले वीडियो बना रहा है। पिछले कुछ महीनों से उसके बनाए गए रील में अधिक व्यू नहीं आ रहे हैं, इससे वह निराश व चिड़चिड़ा होने लगा। वह ज्यादातर समय अकेले रहने लगा और एक दिन उसने हाथ की नस काट ली। घर वालों ने उसे तत्काल डॉ. भीमराव मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया और किसी तरह उसकी जान बचाई गई।
केस 02- भोपाल की 23 साल की लड़की ने प्रेशर में आकर की खुदकुशी की कोशिश
भोपाल के अवधपुरी की 23 साल की रश्मि सिंह (बदला हुआ नाम) पढ़ाई में अच्छी है। वह पिछले कुछ सालों से अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। वह ज्यादातर अकेली ही रहती है। अपनी ऑनलाइन पढ़ाई और उसकी तैयारी में ज्यादातर समय बिताती थी। उसका कोई नजदीकी दोस्त नहीं है। पिछले कुछ सालों से दी प्रतियोगिता परीक्षा में उसे सफलता नहीं मिल रही थी, इससे वह कुछ दिनों से ज्यादा परेशान थी। अपने कमरे से वह बाहर नहीं निकलती थी, परिवारवालों से भी ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। एक दिन उसने अपने कमरे में सुसाइड करने का प्रयास किया। समय रहते परिवारवालों ने देख लिया और उसे बचाकर अस्पताल ले गए। मनोरोग चिकित्सक को दिखाने पर उसके मेंटल हेल्थ की समस्या के बारे में परिजनों को जानकारी मिली। अब उसका इलाज चल रहा है, वह अब पहले से बहुत बेहतर है।
बड़े शहरों के 70 फीसदी युवाओं में एंजाइटी के लक्षण- सर्वे रिपोर्ट
आंध्र प्रदेश के एसआरएम यूनिवर्सिटी के डॉ. एहसान अहमद डार और काकोल्लु सुरेश ने युवाओं में मेंटल हेल्थ की समस्या को लेकर एक स्टडी प्रकाशित की। इनकी स्टडी रिपोर्ट एशियन जर्नल ऑफ साइक्रेट्री में प्रकाशित हुई। इसमें दोनों रिसर्चर ने 1628 कॉलेज छात्रों पर अध्ययन किया। इनमें 52.9% लड़कियां और 47.1% लड़के शामिल थे। उन्होंने टियर-1 सिटी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद और कोलकाता के 18 से 29 उम्र के युवाओं पर स्टडी की। इसमें देखा गया कि इन शहरों के 70 फीसदी युवा एंग्जाइटी से परेशान हैं तो 60 फीसदी को डिप्रेशन की समस्या है। स्टडी में शामिल 70.3 फीसदी युवा अपने आप को इमोशनली डिस्ट्रेस्ड महसूस कर रहे थे। इसके साथ ही 65 फीसदी को अपनी भावना और व्यवहार को नियंत्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। 15 प्रतिशत युवाओं ने जीवन से संतुष्ट नहीं होने की बात कही तो आठ फीसदी ने मेंटल हेल्थ को खराब की श्रेणी में रखा। इस रिपोर्ट को लेकर पता चला कि बड़े शहरों के अधिकतर युवा किसी न किसी मेंटल हेल्थ की परेशानी से जूझ रहे हैं।
पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा के साथ पीयर प्रेशर से जूझ रहे हैं छात्रः डॉ एहसान अहमद डार
डॉ. एहसान अहमद डार वर्तमान में पंजाब की अकाल यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि आजकल के युवा, खासकर स्कूल- कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों में मेंटल हेल्थ की समस्या सबसे ज्यादा है। वे पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा के साथ अलग-अलग फील्ड के प्रेशर का बोझ सह रहे हैं। इस तरह के प्रेशर को कई बच्चे सही तरीके से डील नहीं कर पाते हैं, इससे वे मेंटल हेल्थ की बीमारी का शिकार हो जाते हैं। युवाओं के सामने पढ़ाई, जॉब के साथ फैमिली प्रेशर, फाइनेंस प्रेशर, सोशल मीडिया प्रेशर और सबसे ज्यादा पीयर प्रेशर को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। पीयर प्रेशर में उनसे जुड़े दोस्त के सोशल मीडिया स्टेटस, लाइफ स्टाइल और व्यवहार को फॉलो करने या प्रभावित होने से दिक्कतें आती हैं। इससे जुड़े कई केस सामने आ रहे हैं, जिसमें युवा को पता ही नहीं होता है कि इससे कैसे निपटना है। इससे उनका मेंटल हेल्थ प्रभावित होता है।
डॉ. एहसान का कहना है कि मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ानी होगी। हर संस्थान में मनोरोग से जुड़े काउंसलर की नियुक्ति अनिवार्य होनी चाहिए। सेल्फ केयर पर युवा फोकस करें और उन्हें सोशल मीडिया के साथ पीयर प्रेशर को डील कराना सिखाया जाए। मानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों को समय रहते अपने मेंटल हेल्थ स्टेटस को लेकर पहचान करनी होगी और समय रहते इसका इलाज कराना होगा।
छोटे बच्चों में हाइपरटेंशन- डिप्रेशन बढ़ रहा है, सुसाइड जैसे गलत कदम उठा रहेः डॉ समीक्षा साहू
भोपाल की चाइल्ड साइकेट्रिस्ट डॉ. समीक्षा साहू के अनुसार मेंटल हेल्थ एक बीमारी है, जिसका इलाज समय रहते बहुत ही आसान व संभव है। आजकल जितने केस सामने आ रहे हैं, उनमें अधिकतर युवा मरीज होते हैं। सोशल मीडिया की दुनिया, बिगड़ती लाइफ स्टाइल और प्रतिस्पर्धा के प्रेशर के कारण ज्यादातर कम उम्र के लोग मानसिक रोग का शिकार हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान देखने में आया है कि 10 से 15 साल से बच्चों में भी डिप्रेशन- एंजाइटी जैसी समस्याएं हो रही हैं। पहले इस तरह के केस बड़ी उम्र के लोगों में देखने को मिलते थे। अब ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं, जिनमें मोबाइल की लत, गेमिंग की लत, सोशल मीडिया स्टेटस की लत और फिजिकल एक्टिविटीज का न होना बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में फिजिकल के साथ मेंटल प्रॉब्लम देखे जा रहे हैं। ऐसे कई बच्चे आते हैं, जो इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि वे सुसाइड जैसे प्रयास करते हैं। उन्हें लगता है कि सोशल मीडिया ही उनकी पूरी दुनिया है। उसमें रिस्पांस न मिलने पर वे अपने आप को अकेला समझने लगते हैं और नाकाम होने पर खुद को नुकसान पहुंचाने लगते हैं।
डॉ. समीक्षा ने बताया कि मेंटल हेल्थ के कारण हो रही दिक्कतों को समय रहते पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। शुरूआती लक्षण में इसकी पहचान होने से इसके दुस्प्रभाव को रोका जा सकता है। ऐसा नहीं है कि लोगों को जीवनभर नींद दवाई खानी होती है या वे सामान्य नहीं हो पाते हैं। सोशल मीडिया की वर्चुअल दुनिया से निकलकर परिवार व दोस्तों के साथ बैठना चाहिए। सोशल मीडिया स्टेटस और लाइक व व्यू के चक्कर में न पड़े। इनसे कैसे डील करना है, यह सीखना होगा।
युवा बन रहे मनोरोग के ज्यादा मरीज, सोशल मीडिया व स्टेटस का प्रेशरः डॉ. मनोज साहू
छत्तीसगढ़ रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ. मनोज साहू ने बताया कि पहले भी मानसिक रोग के मरीज सामने आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या पिछले पांच-छह सालों के दौरान खासकर कोविड काल के बाद से काफी बढ़ गई है। मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों में पहले की तुलना में बहुत जागरूकता आई है। अब देखने में आया है कि मेंटल हेल्थ के ज्यादातर मरीज युवा ही आ रहे हैं। युवाओं में इस बीमारी के होने का कारण अपने आप को वर्चुअल दुनिया तक सीमित करना है। सोशल मीडिया की लत और लाइफस्टाइल के कारण वे बिना कारण प्रेशर में रहते हैं। इसके कारण उन्हें मानसिक रोगों से जूझना पड़ता है।
अभी मेरे पास ऐसे कई केस आएं हैं, जिसमें सोशल मीडिया की लत या लाइक- व्यू या रिस्पांस नहीं मिलने के कारण युवा अपने आप को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वे अपनी कलाई काट ले रहे हैं तो कोई ब्रेकअप नहीं सह पा रहा है तो खुद को नुकसान पहुंचा रहा है। दूसरी चीज, 25 से अधिक उम्र के ज्यादातर शादीशुदा व्यक्ति लाइफ स्टाइल में दिखावा के कारण मनोरोगी बन रहे है। दिखावे के लिए पत्नी या खुद की डिमांड के कारण वे परेशान हो रहे हैं। दोस्त या रिश्तेदारों में किसी ने नई बड़ी गाड़ी खरीदी है तो उसे लेने का प्रेशर, नए मोबाइल लेने का प्रेशर या नजदीक का व्यक्ति देश या विदेश घूमने जा रहा है, पार्टी कर रहा है, उस तरह बनने का प्रेशर.. के कारण कई युवा दंपति में यह समस्या सामने आ रही है।
डॉ. साहू का कहना है कि कम उम्र के बच्चों में डिप्रेशन व एंग्जाइटी जैसी समस्या का होना, खतरनाक संकेत है। फिजिकल लाइफ स्टाइल और खानपान के बिगड़ने से मेंटल हेल्थ की समस्या बढ़ी है। मेंटल हेल्थ से ही हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है। दोनों बीमारियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
40 उम्र वाले लक्षण अब युवाओं में आ रहे, फिजिकल के साथ मेंटल हेल्थ पर फोकस जरूरीः डॉ. सौरव कुमार
उत्तर प्रदेश के हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सौरव कुमार का कहना है कि मेंटल हेल्थ की समस्या के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर केस अब कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं। इस बीमारी से जुड़े ऐसे कई लक्षण जो 40 या 50 की उम्र के लोगों में देखे जाते थे, वे अब 10-15 साल के बच्चों में पाए जा रहे हैं। पीयर प्रेशर, सोशल मीडिया प्रेशर, फील्ड प्रेशर, जॉब प्रेशर व पढ़ाई प्रेशर के कारण ऐसी समस्याएं आ रही हैं।
युवाओं में तो अधिकतर मामले सोशल मीडिया प्रेशर के कारण ही आ रहे हैं। इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण खत्म न होने वाली इच्छाएं हैं। दूसरों के दिखावे को लेकर प्रतिस्पर्धा करने की होड़ के कारण मानसिक परेशानी हो रही है। यह समझना होगा कि पहले हम संयुक्त परिवार में रहते थे, अपनी समस्याओं को लेकर परिवार में किसी न किसी से बात कर लेते थे। परिवार की कोई भी दिक्कत का सामना सब मिलजुलकर करते थे। आज ऐसा नहीं होता है। सोशल की जगह अधिकतर सोशल मीडिया तक ही सीमित हो गए हैं। इससे मेंटल हेल्थ के साथ हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना समेत कई बीमारियां हो रही हैं।
डॉ. सौरव का कहना है कि फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ भी उतना ही जरूरी है, यह लोगों को समझना होगा। मेंटल हेल्थ का जुड़ाव व्यक्ति के विकास और काम के प्रदर्शन के साथ अन्य बड़ी बीमारियों से जुड़ा हुआ है। मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ानी होगी।