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Yahoo Messenger shut down: तो ये थी याहू मैसेंजर के बंद होने की असली वजह...

Yahoo Messenger की शुरुआत 1998 में हुई थी, यह मैसेजिंग एप युवाओं के बीच 2000 के दशक में काफी लोकप्रिय रही थी

By Harshit HarshEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 02:46 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 07:23 AM (IST)
Yahoo Messenger shut down: तो ये थी याहू मैसेंजर के बंद होने की असली वजह...
Yahoo Messenger shut down: तो ये थी याहू मैसेंजर के बंद होने की असली वजह...

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। पिछले दशक की सबसे चर्चित इंस्टैंट मैसेजिंग सेवा Yahoo Messenger को 17 जुलाई को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। याहू ने कहा कि यूजर्स अपने सारे मैसेज 6 महीने तक डाउनलोड कर सकेंगे। कंपनी Yahoo Messenger की जगह एक नया इंस्टैंट मैसेजिंग एप Squirrel ला रही है। इस नई एप की बीटा टेस्टिंग के लिए यूजर्स अभी से अप्लाई कर सकते हैं। याहू मैसेंजर यूजर्स को अब Squirrel पर रिडायरेक्ट किया जा रहा है।

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Yahoo Messenger की वजह से ही व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर जैसे चैटिंग सर्विस को लोग पसंद करने लगे हैं। इसी की वजह से चैटिंग की दुनिया में क्रांति आ गई और इतने सारे मैसेजिंग एप्स और सेवा की शुरुआत हुई। 2000 के शुरुआती वर्षों में इटंरनेट का इस्तेमाल करने वाला हर यूजर Yahoo Messenger का इस्तेमाल किया करता था। आखिर, ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से Yahoo Messenger को बंद करना पड़ा। आइए, जानते हैं Yahoo Messenger के सफर को..

1998 से युवाओं के बीच लोकप्रिय

Yahoo Messenger चैट की शुरुआत 1998 में हुई थी। यह मैसेंजर एप भारतीय युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय थी। खासतौर पर Yahoo Messenger के चैट रूम की वजह से युवा इसे पसंद करते थे, लेकिन गूगल के जी-चैट, फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सएप के आने के बाद से याहू की लोकप्रियता में जबरदस्त गिरावट आई और अंतत: कंपनी को इस सेवा को बंद करना पड़ा।

2005 में फिर से किया गया रिलॉन्च

Yahoo Messenger को दिसंबर 2015 में रिलॉन्च किया गया था। कंपनी ने इसके सबसे पहले वाले वर्जन को फेज आउट करके बिलकुल नए कलेवर के साथ उतारा था। जिसमें मैसेंजर के डिजाइन और लुक को पूरी तरह से बदल दिया गया था। नए मैसेंजर मे सबसे खास अनसेंड फीचर दिया गया था, जिसमें यूजर्स भेजे गए मैसेज को ट्रेस-आउट करके उसे रोक सकते थे।

गूगल से मिली चुनौती

याहू को सबसे ज्यादा चुनौती गूगल से मिली है। Yahoo Messenger के वेब वर्जन को पहले जी-चैट ने फिर एप वर्जन को गूगल हैंगआउट और व्हाट्सएप से चुनौती मिली। लोग गूगल हैंगआउट और व्हाट्सएप को ज्यादा पसंद करने लगे और याहू की लोकप्रियता में कमी आती गई। अब देखते हैं कि याहू का नया इंस्टैंट मैसेजिंग एप Squirrel लोगों की कसौटी पर खरी उतरती है या नहीं।

वीडियो कॉलिंग का बढ़ा चलन

जैसे-जैसे चैटिंग से वीडियो कॉलिंग का चलन बढ़ने लगा, Yahoo Messenger को परेशानी का सामना करना पड़ा। यूजर्स गूगल हैंगआउट, व्हाट्सएप, स्काइप, फेसबुक मैसेंजर जैसी एप्स को वीडियो कॉलिंग के लिए इस्तेमाल करने लगे। Yahoo Messenger को रिलॉन्च करने के बाद भी अन्य एप्स की तरह यूजर्स ने इसे पसंद नहीं किया। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसके कई फीचर्स ऐसे थे जिसे यूजर्स ने पसंद नहीं किया।

बड़ी कंपनियों से इस वजह से होती है गलतियां

याहू के अलावा भी कई ऐसी कंपनियां है जो तकनीक के मामले में कहीं न कहीं पिछड़ गई हैं। समय के साथ न चल पाना इसका सबसे बड़ा कारण है। उदाहरण के तौर पर जब सबीर भाटिया ने 1996 में हॉटमेल शुरू किया था तो वो नंबर वन ईमेल आईडी था। बाद में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को इसे बेच दिया, इसके बाद भी हॉटमेल सबसे आगे था। साल 2004 में जीमेल के शुरु होने के बाद हॉटमेल पिछड़ती चली गई और जीमेल आज के दौर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ई-मेल सर्विस है।

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