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    कपड़े बदलो या बैग लटकाओ, Who-Fi से कोई नहीं छुप सकता; जानें क्या है ये नई टेक्नोलॉजी जिसने बढ़ाई चिंता

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 05:35 PM (IST)

    Who-Fi एक नई टेक्नोलॉजी है जो सिर्फ Wi-Fi सिग्नल से लोगों की पहचान और मूवमेंट ट्रैक कर सकती है। ये टेक्नोलॉजी बिना कैमरा-माइक्रोफोन के काम करती है और शरीर से टकराए सिग्नल को बायोमेट्रिक सिग्नेचर की तरह पहचानती है। सस्ते हार्डवेयर से लैस इस सिस्टम को दीवार के पीछे से भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इसकी एक्यूरेसी 95% से ज्यादा है।

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    Who-Fi एक नई टेक्नोलॉजी है आइए जानते हैं इसके बारे में।

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Who-Fi एक अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके किसी भी व्यक्ति की पहचान कर सकती है और उसे ट्रैक कर सकती है, वो भी बिना किसी विज़ुअल इनपुट के। ये एक एक्सपेरिमेंटल टेक्नोलॉजी है जिसे अभी वास्तविक दुनिया में पूरी तरह से परखा जाना बाकी है। हालांकि, जिस रिसर्च पेपर में इसका जिक्र और प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट दर्ज है, उसके अनुसार ये किसी भी सामान्य Wi-Fi सिग्नल को एक बायोमेट्रिक स्कैनर में बदल सकता है, जो न केवल व्यक्ति की मूवमेंट और एक्टिव पोजिशन को ट्रैक करता है बल्कि उनकी यूनिक बायोमेट्रिक सिग्नेचर को भी आइडेंटिफाई कर सकता है।

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    Who-Fi टेक्नोलॉजी को समझें (What is Who-Fi)

    ऑनलाइन प्रीप्रिंट जर्नल arXiv में प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक, रेगुलर 2.4GHz Wi-Fi सिग्नल का इस्तेमाल करके व्यक्ति की पहचान की जा सकती है और उसे ट्रैक किया जा सकता है और ये आइडेंटिटी ऑथेंटिफिकेशन और सर्विलांस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ये टेक्नोलॉजी डिजिटल प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं भी पैदा करती है।

    इस टेक्नोलॉजी को समझें तो, Who-Fi सिस्टम Wi-Fi सिग्नल और ट्रांसफॉर्मर-बेस्ड न्यूरल नेटवर्क (जिसे लार्ज लैंग्वेज मॉडल भी कहा जाता है) का इस्तेमाल करता है। ये LLM एक ऐसी चीज को एनालाइज करता है जिसे 'चैनल स्टेट इन्फॉर्मेशन' (CSI) कहा जाता है। ये Wi-Fi सिग्नल की ताकत और फेज में बदलाव को मॉनिटर करता है जब वे कमरे में चारों ओर घूमते हैं और व्यक्ति के शरीर से टकराकर वापस आते हैं। इसे रेडार और सोनार सिस्टम द्वारा भेजे गए सिग्नल जैसा समझा जा सकता है।

    जब कोई व्यक्ति Wi-Fi सिग्नल के पास होता है, तो सिग्नल के नैचुरल रास्ते में जो डिस्टर्बेंस आता है, वह एक यूनिक पैटर्न बनाता है। ये पैटर्न इतना सटीक होता है जितना इंसानों के फिंगरप्रिंट, चेहरे की बनावट, या रेटिना की संरचना। Who-Fi सिस्टम इस पैटर्न को पहचान सकता है और उसे व्यक्ति से जोड़ सकता है।

    साइन लैंग्वेज भी समझ सकता है

    एक बार ये सिस्टम इन सिग्नेचर्स पर ट्रेन हो जाए, तो यह न केवल व्यक्ति की मूवमेंट को ट्रैक कर सकता है, बल्कि व्यक्ति के लंबे समय बाद नेटवर्क जोन में दोबारा प्रवेश करने पर भी उसकी पहचान कर सकता है। ये शरीर की मूवमेंट को कैप्चर कर सकता है और सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) को भी समझ सकता है। इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये कैमरा या माइक्रोफोन जैसे विज़ुअल और ऑडिटरी सेंसर के बिना भी काम करता है।

    स्टडी के मुताबिक, पूरा Who-Fi सिस्टम केवल एक एंटीना वाले ट्रांसमीटर और तीन एंटीना वाले रिसीवर से चलता है, जिससे इन्हें डिप्लॉय करना सस्ता हो जाता है। सिस्टम की एफिशिएंसी की बात करें तो रिसर्चर्स ने पाया कि अगर टारगेट दीवार के पीछे हो और सामान्य स्पीड से चल रहा हो तब भी Who-Fi ने 95.5% की सटीकता हासिल की है।

    इसकी एक्यूरेसी में कोई फर्क नहीं आता, भले ही व्यक्ति ने कपड़े बदले हों या बैग पहना हो। खास बात ये है कि एक ही सिस्टम एक समय में नौ व्यक्तियों तक की पहचान और ट्रैकिंग करने में सक्षम है।

    Who-Fi में हाई इवेजन भी है, यानी इस टेक्नोलॉजी को उन तकनीकों से पहचानना बहुत मुश्किल है जो सर्विलांस डिवाइसेज को पहचानती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कोई स्पेशल हार्डवेयर नहीं होता, कोई खास इमिशन पैटर्न, इंफ्रारेड, रेडार या विजिबल लाइट नहीं निकलती जिसे डिटेक्ट किया जा सके। इसके अलावा, Who-Fi पैसिव रेडियो फ्रिक्वेंसी (RF) सेंसिंग करता है जिससे इसका छुपा रहना आसान होता है।

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