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    मालवेयर के जरिए यूजर की निजी जानकारियों में ऐसे लगाई जाती है सेंध; बचने के लिए ये तरीके आते हैं काम

    By Shivani KotnalaEdited By: Shivani Kotnala
    Updated: Thu, 15 Jun 2023 07:00 PM (IST)

    What is malware साइबर अपराधी मालवेयर के जरिए यूजर के डिवाइस से उसकी निजी और बैंकिंग जानकारियों को चुराते हैं। क्या आप जानते हैं कि मालवेयर कितने तरह के होते हैं? मालवेयर से जुड़े सभी सवालों के जवाब इस आर्टिकल में देने की कोशिश कर रहे हैं। (फोटो- जागरण)

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    What is malware How to detect and remove types of it

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही यूजर्स के लिए हैकिंग का खतरा बढ़ गया है। आए दिन खबरें आती हैं, जब साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों से यूजर्स की सुरक्षा पर सेंध लगाते हैं। कई बार तो यूजर को कमाई का झांसा देकर उनसे उनके ही डिवाइस में मालवेयर इंस्टॉल करवा दिया जाता है।

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    मालवेयर की डिवाइस में एंट्री होते ही, सेकंडों में यूजर को ठग लिया जाता है। आखिर ये मालवेयर क्या है, आपके जेहन में भी यह सवाल ऐसी खबरों को पढ़ने के बाद आता होगा। मालवेयर टर्म से आप भी पूरी तरह अनजान तो नहीं होंगे, लेकिन यह क्या होता है और कैसे काम करता है, इसकी पूरी जानकारी भी नहीं होगी। 

    मालवेयर क्या होता है?

    आसान भाषा में समझें तो मालवेयर एक कंप्यूटर प्रोग्राम और फाइल होती है। यह यूजर के कंप्यूटर, सर्वर और नेटवर्क के लिए खतरनाक होते हैं।

    यूजर के कंप्यूटर में इन खतरनाक फाइल्स को भेजे जाने का केवल एक ही उद्देश्य होता है, यह यूजर के प्राइवेट और बैंकिंग डेटा से छेड़छाड़ करने और इन्हें चुराने के लिए इन्स्टॉल करवाए जाते हैं।

    कितनी तरह के होते हैं मालवेयर?

    इन खतरनाक फाइल्स के तहत ही कंप्यूटर वायरस, रैन्समवेयर, ट्रोजन, स्पाईवेयर और ऐडवेयर आते हैं। आइए मालवेयर की इन टर्म्स को एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं-

    कंप्यूटर वायरस क्या होता है?

    कंप्यूटर वायरस मालवेयर का कॉमन टाइप है। कंप्यूटर में मालवेयर की एंट्री दूसरे प्रोग्राम और फाइल्स को इनफेक्ट करती है। वायरस की एंट्री कंप्यूटर के डेटा को इस हद तक नुकसान पहुंचाता कि उन फाइल्स को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में यह पूरे सिस्टम को ही क्रैश कर देता है।

    रैन्समवेयर क्या होता है?

    रैन्समवेयर वे मालवेयर होते हैं, जिनकी मदद से किसी ऑर्गेनाइजेशन या यूजर को टारगेट कर उसके सिस्टम पर फाइलों का एक्सेस रोक दिया जाता है। साइबर अपराधी इन फाइल्स को एनक्रिप्ट कर लेते हैं, इन जरूरी फाइल्स के डिक्रिप्शन के लिए साइबर ठग यूजर से फिरौती की मांग करता है।

    ट्रोजन क्या होता है?

    ट्रोजन होर्स को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यूजर को यह किसी असली और काम के सॉफ्टवेयर की तरह लगता है। यूजर के सिस्टम में एंट्री पाने के लिए ये मालवेयर यूजर को काम का सॉफ्टवेयर बता कर इन्स्टॉल करवाए जाते हैं। सिस्टम में इंस्टॉल होने के साथ ही ये मालवेयर अपने मैलिशियस फंक्शन के साथ एक्टिव हो जाते हैं।

    स्पाईवेयर क्या होता है?

    स्पाईवेयर मालवेयर वे होते हैं जो यूजर की जानकारियों और डेटा को कलेक्ट करने का काम करते हैं। इस तरह के मालवेयर यूजर की एक्टिविटी पर नजर बनाए होते हैं। यूजर को बिना भनक लगे उसकी वॉइस को रिकॉर्ड करने से लेकर पासवर्ड चोरी के लिए ये मालवेयर जिम्मेदार होते हैं।

    ऐडवेयर क्या होता है?

    ऐडवेयर यूजर के ब्राउजर को ट्रैक करने का काम करते हैं। ब्राउजर को ट्रैक करने के बाद यूजर की हिस्ट्री डाउनलोड कर ऐडवेयर की मदद से यूजर को पॉप-अप डिस्प्ले किए जाते हैं। यूजर को खरीदारी के लिए लुभाने के लिए इस तरह का मालवेयर साइबर ठग का हथियार बनता है।

    किन तरीकों से होती है मालवेयर की यूजर के डिवाइस में एंट्री?

    मालवेयर को फैलाने के लिए साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। यानी यूजर के डिवाइस में मालवेयर की एंट्री के कई तरीके हो सकते हैं। मालवेयर को यूजर के डिवाइस में एंटर करवाने के लिए फिशिंग अटैक एक कॉमन तरीका है। फिशिंग अटैक के तहत टारगेट यूजर को एक ईमेल सेंड किया जाता है।

    यह ईमेल यूजर को ऐसे भेजा जाता है, जिसे यूजर किसी जरूरी सूचना समझ कर ओपन कर लेता है। इस तरह के मेल में मालवेयर वाला लिंक और अटैचमेंट भेजा जाता है। इस तरह के मेल्स के साथ मिले लिंक्स और अटैचमेंट के जरिए यूजर के डिवाइस में एंट्री करवाई जाती है। इसी तरह मालवेयर को फैलाने के लिए यूएसबी ड्राइव की मदद भी ली जाती है। यहां यूजर के अप्रूवल के बिना ही डाउनलोडिंग के जरिए मालवेयर की एंट्री करवाई जाती है।

    कैसे जानें कि डिवाइस में मालवेयर की एंट्री हुई है?

    डिवाइस में मालवेयर की एंट्री का पता कुछ तरीकों से लगाया जा सकता है। मालवेयर को डिटेक्ट करने के लिए मालवेयर डिटेक्टर, स्कैनिंग और रिमूवल टूल का इस्तेमाल किया जा सकता है। यूजर्स के लिए भारत सरकार की ओर से भी मालवेयर रिमूवल टूल की सुविधा फ्री में उपलब्ध करवाई जाती है।

    इसके अलावा, डिवाइस में किसी तरह की अलग एक्टिविटी का होना भी मालवेयर होने की ओर इशारा करता है। डिवाइस की स्लो स्पीड, ऐप्स और सॉफ्टवेयर का बार-बार क्रैश और फ्रीज होना, इंटरनेट पर कुछ अनवांटेड एक्टिविटी का होना और बार-बार पॉप अप का मिलना मालवेयर होने का सकेंत हो सकते हैं।

    मालवेयर को डिवाइस से कैसे हटाया जा सकता है?

    मालवेयर को रिमूव करने के लिए कई टूल्स काम करते हैं। यूजर के डिवाइस में एंटीमालवेयर सॉफ्टवेयर का होना, डिवाइस में मालवेयर की एंट्री को ब्लॉक कर देता है। इसी तरह मालवेयर को रिमूव करने के लिए मालवेयर डिटेक्शन, स्कैनर और रिमूवल टूल की मदद ली जा सकती है। मालवेयर रिमूव करने के लिए फ्री की जगह पेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी कई स्थितियों में फायदेमंद होता है।