कॉल मर्ज स्कैम: ठगी का वो तरीका...जो एक कॉल से लोगों को बना देता है कंगाल; ऐसे बचें
जितनी तेजी से दुनिया डिजिटल होती जा रही है। उतनी ही तेजी से साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं। अपराधी ठगी के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। पिछले कुछ समय से बाजार में एक नए कॉल मर्ज स्कैम के जरिए अपराधी लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। आइए जानते हैं क्या होता है कॉल मर्ज स्कैम और इससे कैसे बचा जा सकता है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। उन्हीं में से एक तरीका कॉल मर्ज वाला है। इस स्कैम के जरिए कई लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा चुका है। हालांकि, अभी भी काफी सारे लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है। ऐसे में हम यहां आपको इस स्कैम के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है कॉल मर्ज स्कैम?
कॉल मर्ज स्कैम फोन फ्रॉड का एक ऐसा तरीका है, जिसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। इसमें स्कैमर्स मोबाइल फोन्स पर 'कॉल मर्ज' या 'कॉन्फ्रेंस कॉल' फीचर का इस्तेमाल करके विक्टिम्स से सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन रिवील कराने या पैसे ट्रांसफर कराने के लिए धोखा देते हैं। ये स्कैम उन देशों में खास तौर पर पॉपुलर है, जहां बैंकिंग और गवर्नमेंट सर्विसेज के लिए अक्सर फोन कॉल्स के जरिए कॉन्टैक्ट किया जाता है।
कॉल मर्ज स्कैम कैसे काम करता है?
स्कैमर द्वारा किया गया इनिशियल कॉन्टैक्ट
फ्रॉडस्टर एक लेजिटीमेट एंटिटी जैसे बैंक, गवर्नमेंट ऑफिशियल, या कस्टमर सर्विस रिप्रजेंटेटिव के रूप में पोज करते हैं। वे विक्टिम को कॉल करते हैं और कुछ इमरजेंसी जैसी स्थितियों की बात करके डराते हैं। जैसे-अनऑथराइज्ड बैंक ट्रांजैक्शन्स, ओवरड्यू बिल्स या लीगल दिक्कतें आदि।
कॉल्स मर्ज करने का रिक्वेस्ट
स्कैमर विक्टिम को वेरिफिकेशन के लिए बैंक के कस्टमर केयर या लॉ एन्फोर्समेंट को कॉल करने का निर्देश देते हैं। फिर वे विक्टिम को उन्हें लाइन पर रखते हुए कॉल मर्ज करने के लिए कहते हैं। दरअसल विक्टिम एक रियल कस्टमर सर्विस नंबर पर कॉन्टैक्ट नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि एक दूसरे स्कैमर से कॉन्टैक्ट कर रहे होते हैं, जो लेजिटीमेट इंस्टीट्यूशन से होने का दिखावा कर रहे होते हैं।
फेक वेरिफिकेशन प्रोसेस
दूसरा स्कैमर, एक बैंक या लॉ एन्फोर्समेंट रिप्रजेंटेटिव के रूप में पोज करते हुए, विक्टिम से उनकी आइडेंटिटी वेरिफाई करने या उनके अकाउंट को सिक्योर करने के बहाने ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड), कार्ड डिटेल्स, पिन या ऑनलाइन बैंकिंग क्रेडेंशियल्स जैसी सेंसिटिव डिटेल्स मांगता है।
फाइनेंशियल या डेटा थेफ्ट
एक बार जब विक्टिम इन डिटेल्स को शेयर कर देता है, तो स्कैमर्स को उनके बैंक अकाउंट्स, क्रेडिट कार्ड्स या पर्सनल इन्फॉर्मेशन का एक्सेस मिल जाता है, जिससे फाइनेंशियल फ्रॉड या आइडेंटिटी थेफ्ट हो जाती है।
ये क्यों खतरनाक है?
ये ट्रस्ट का फायदा उठाता है: ये स्कैम, बैंकों और गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशन्स में लोगों के ट्रस्ट का फायदा उठाता है।
ये रियलिस्टिक लगता है: स्कैम लेजिटीमेट लगता है, क्योंकि विक्टिम को कॉल इनिशिएट करने के लिए कहा जाता है, जिससे उन्हें लगता है कि वे कंट्रोल में हैं।
डिटेक्ट करना मुश्किल: कई विक्टिम्स को पैसे निकालने या अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन्स होने के बाद ही पता चलता है कि उनके साथ स्कैम हुआ है।
अपनी सुरक्षा कैसे करें?
वेरिफिकेशन के लिए कॉल्स कभी मर्ज न करें: बैंक और ऑफिशियल एजेंसियां कभी भी कस्टमर्स से ऑथेंटिकेशन के लिए कॉल्स मर्ज करने के लिए नहीं कहती हैं।
इंडिपेंडेंटली वेरिफाई करें: अगर कोई बैंक या गवर्नमेंट बॉडी से होने का दावा करता है, तो फोन काट दें और इंस्टीट्यूशन की वेबसाइट से सीधे ऑफिशियल नंबर पर कॉल करें।
सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन शेयर न करें: फोन पर कभी भी ओटीपी, पिन या बैंकिंग डिटेल्स डिस्क्लोज न करें।
अर्जेंट रिक्वेस्ट से सावधान रहें: स्कैमर्स अक्सर विक्टिम्स पर तत्काल खतरों का दबाव डालते हैं - शांत रहें और पहले वेरिफाई करें।
संदिग्ध स्कैम की रिपोर्ट करें: अगर आपको ऐसी कोई कॉल आती है, तो इसकी रिपोर्ट अपने बैंक, पुलिस या साइबरक्राइम हेल्पलाइन को करें।
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