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    इंस्टाग्राम पर लिखा अलविदा... सॉरी मम्मी-पापा, 8 मिनट में पहुंची यूपी पुलिस; Meta का अलर्ट सिस्टम कैसे करता है काम?

    उत्तर प्रदेश के रायबरेली में मेटा की सतर्कता से एक छात्रा की जान बच गई। छात्रा ने आत्महत्या करने से पहले इंस्टाग्राम पर एक सुसाइड नोट और दवाओं की तस्वीर पोस्ट की थी। मेटा के AI सिस्टम ने खतरे को पहचानकर तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आठ मिनट के भीतर छात्रा तक पहुंचकर उसकी जान बचाई।

    By Sameer Saini Edited By: Sameer Saini Updated: Thu, 19 Jun 2025 12:52 PM (IST)
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    Meta का अलर्ट सिस्टम कैसे करता है काम?

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं उत्तर प्रदेश के रायबरेली की 21 वर्षीय छात्रा की जान मेटा और पुलिस की सतर्कता से बच गई। दरअसल, छात्रा ने सुसाइड करने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा और दवाओं की तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दी। इसके बाद मेटा के ऑटोमैटिक सेफ्टी सिस्टम ने इस पोस्ट को खतरे के सिग्नल में डिटेक्ट किया और तुरंत पुलिस को इसका अलर्ट भेज दिया। पुलिस भी अलर्ट मिलते ही हरकत में आ गई और आठ मिनट के अंदर ही छात्रा तक पहुंच गई। चलिए जानते हैं आखिर कैसे मेटा को खतरे का पता चलता है...

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    Meta का अलर्ट सिस्टम कैसे करता है काम?

    इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप की कंपनी मेटा दुनियाभर में करोड़ों पोस्ट को मॉनिटर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म का यूज करती है। ऐसे में जैसे ही कोई शख्स सुसाइड, डिप्रेशन या आत्महत्या से जुड़ी किसी बात को, इमेज या वीडियो को शेयर करता है तो कंपनी का AI सिस्टम उसे डिटेक्ट कर लेता है।

    इसके अलावा Meta का अलर्ट सिस्टम खास कीवर्ड्स, इमेज रिकग्निशन और पैटर्न से यह पहचान सकता है कि कहीं यूजर मुश्किल में तो नहीं है। इसके बाद ऐसी किसी पोस्ट को यह सिस्टम 'हाई रिस्क' कैटेगरी में मार्क कर मेटा के सेफ्टी ऑपरेशन सेंटर को इसका कुछ ही सेकंड में अलर्ट भेज देता है। इन सब के बाद कंपनी जरूरत के मुताबिक लोकल अथॉरिटी को इसकी पूरी जानकारी शेयर कर देती है।

    'हाई रिस्क' कैटेगरी में किया मार्क

    रायबरेली से सामने आए मामले में भी मेटा ने जैसे ही उस छात्रा की पोस्ट को देखा तो सिस्टम ने इसे 'हाई रिस्क' कैटेगरी में मार्क कर दिया और इसकी सूचना मेटा हेडक्वार्टर से सीधे यूपी पुलिस को भेजी गई। जिसके बाद पुलिस भी हरकत में आई और कार्रवाई की और छात्रा को बचा लिया गया। इस केस से एक बार फिर साफ हो गया है कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी निभाएं और टेक्नोलॉजी का सही यूज करें तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

    (अगर आपके मन में सुसाइडल थॉट्स आ रहे हैं या आप किसी मित्र के बारे में चिंतित हैं या आपको इमोशनल सपोर्ट की जरूरत है, तो कोई न कोई आपकी बात सुनने के लिए हमेशा मौजूद है। स्नेहा फाउंडेशन - 04424640050, टेली मानस - 14416 (24x7 उपलब्ध) या टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की हेल्पलाइन - 02225521111 पर कॉल करें, जो सोमवार से शनिवार सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक उपलब्ध है।)

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