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    कमर्शियल कॉल्स से ग्राहकों को छुटकारा दिलाने ट्राई ने शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट

    भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और कई बैंकों के साथ मिलकर उपभोक्ता सहमति की प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। ये पहल उन उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों के जवाब में की गई है जो स्पष्ट सहमति न देने के बावजूद अनचाहे कमर्शियल कॉल और मैसेज मिलने की शिकायत करते हैं।

    By Jagran News Edited By: Saket Singh Baghel Updated: Tue, 17 Jun 2025 08:16 PM (IST)
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    अनवांटेड कमर्शियल कॉल्स को रेगुलेट करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आप कहीं खरीदारी करने जाते हैं तो रिटेल स्टोर वाले आपका मोबाइल नंबर ले लेते हैं और फिर उस नंबर पर आपकी बिना सहमति के अपनी स्कीम, सेल जैसी जानकारी कॉल करके देते हैं या फिर मैसेज करते हैं। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की तरफ से इन संस्थाओं या रिटेल स्टोर वालों को इस प्रकार के स्पैम कॉल या मैसेज रोकने के लिए कहने पर, वे ये दावा करते हैं कि उन्होंने अपने ग्राहकों से कॉल या मैसेज भेजने के लिए ऑफलाइन सहमति ले रखी है।

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    ऑफलाइन सहमति का सत्यापन करना काफी कठिन होता है, इसलिए अब ट्राई ने इस प्रकार के कमर्शियल कॉल के लिए ग्राहकों की ऑनलाइन तरीके से डिजिटल सहमति को अनिवार्य कर दिया है। ग्राहकों से डिजिटल सहमति प्राप्त करने पर कोई भी संस्था और रिटेल स्टोर वाले उस सहमति पत्र को दूरसंचार कंपनियों के तरफ से बनाए डिजिटल सहमति रजिस्ट्री में पंजीकृत करवा सकेंगे।

    इस पंजीयन से आसानी से ये पता लग जाएगा कि वाकई में ग्राहक ने अपनी सहमति दी है या नहीं। दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम 2018 के मुताबिक अगर किसी ग्राहक या उपभोक्ता ने डू नॉट डिस्टर्ब को ऑन कर रखा है, फिर भी अगर उपभोक्ता ने उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन अपनी सहमति दी है तो कमर्शियल प्रतिष्ठान उसे कॉल कर सकता है।

    लेकिन अब कमर्शियल प्रतिष्ठानों को डिजिटल रजिस्ट्री में ग्राहकों की डिजिटल सहमति को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा और तभी उन्हें ग्राहकों को कमर्शियल कॉल करने की छूट होगी। अन्यथा उनके नंबर को काट दिया जाएगा। ट्राई ने इस नियम को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए RBI के साथ मिलकर फिलहाल कुछ चुनिंदा बैंकों में इसकी शुरुआत की है।

    बीते 13 जून से इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है। ट्राई ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे बैंकों के सहयोग से इस ढांचे का प्रयोग करें। अब अगर बैंक ने भी अपने ग्राहकों से डिजिटल मंजूरी नहीं ली है तो वे अपने उत्पादों की बिक्री के लिए ग्राहकों को फोन नहीं कर सकेंगे।

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