DeepSeek AI से भारत को कितना खतरा, सरकार ने सबकुछ कर दिया स्पष्ट
DeepSeek AI सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने इस बात को खारिज किया है कि डीपसीक से भारत को किसी तरह का खतरा है या इससे भारत से संवेदनशील डाटा का चीन भेजे जाने का कोई खतरा है। डीपसीक को विकसित करने वाला एक स्टार्टअप है और इस तरह की 7000 स्टार्टअप्स भारत में काम कर रही हैं।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन की आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस कंपनी डीपसीक के एआई चैटबॉट ने पूरी दुनिया के प्रौद्योगिकी समुदाय को अचंभित कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिकी कंपनियों के लिए एक चेतावनी बताया है। तीन वर्ष पहले भारत को आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआई) का वैश्विक केंद्र बनाने का ऐलान करने वाली केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है।
भारत को कोई खतरा नहीं
लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने इस बात को खारिज किया है कि डीपसीक से भारत को किसी तरह का खतरा है या इससे भारत से संवेदनशील डाटा का चीन भेजे जाने का कोई खतरा है। उक्त सूत्र के मुताबिक एआई में प्रतिस्पद्र्धा का दौर अभी शुरू हुआ है और यह नहीं कहा जा सकता कि भारत पिछड़ गया है। बहुत संभव है कि भारत स्थित कोई स्टार्टअप या एआई पर काम करने वाली कंपनी डीपसीक से भी बेहतर व किफायती ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म को लॉन्च कर दे।
एआई की दौड़ में भारत
बहुत संभव है कि गुरूवार को भारत सरकार की तरफ से डीपसीक के असर व भारत की तैयारियों को लेकर आधिकारिक बयान दिया जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत एआई की दौड़ में पिछड़ गया है तो उक्त सूत्र का जवाब था कि, ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रौद्योगिकी के जिस क्षेत्र में यह प्रगति हो रही है वहां भारत की शक्ति को कमतर नहीं आंकना चाहिए। डीपसीक को विकसित करने वाला भी एक स्टार्टअप है और इस तरह की 7000 स्टार्टअप्स भारत में काम कर रही हैं।
भारतीय स्टार्टअप की दुनिया में चर्चा
एआई के अलावा मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑन थिंग्स, ब्लॉकचेन जैसे नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय स्टार्टअप को लेकर पूरी दुनिया में उत्सुकता है। हाल ही में दाओस (स्विटजरलैंड) में आयोजित वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में भारत को अमेरिका व चीन के साथ विश्व में प्रौद्योगिकी के तीन सबसे बड़े केंद्र के तौर पर चिन्हित किया गया है। उक्त सूत्र ने इस बात से पूरी तरह से इनकार किया कि डीपसीक एक चीनी कंपनी होने के नाते भारत के लिए खतरा है।
खुले संभावनाओं के द्वार
सरकारी सूत्रों के अलावा आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस से जुड़ी भारतीय कंपनियों ने भी डीपसीक का स्वागत किया है। इनका कहा है कि इसने दुनिया भर में एआई पर काम करने वाली कंपनियों के लिए संभावनाओं के नये द्वार खोल दिए हैं। भारत की एक प्रमुख एआई कंपनी जीनानी डॉट एआई डॉट के सीईओ गणेश गोपालन का कहना है कि, “डीपसीक की लॉन्चिंग काफी हौसला बढ़ाने वाला कदम है। खासतौर पर इसने जिस तरह से लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) आधारित कारोबार ढांचे को हिला कर रख दिया है।
यह सोचा भी नहीं जा सकता कि पचास लाख डॉलर से कम लागत पर एलएलएम आधारित सेवा को लांच किया जा सकता है और वह भी इतनी ज्यादा कुशलता के साथ। अब भारत समेत दुनिया की हर एआई कंपनी इसको दोहराने की कोशिश करेंगी।
ऐसा लगता है कि अब किसी भी कंपनी के लिए एलएलएम प्लेटफॉर्म को लांच करना आसान हो गया है। जिस कीमत पर ओपनएआई (अमेरिकी कंपनी) ने इसी तरह का प्लेटफॉर्म लांच किया था उसके मुकाबले इसकी बेहद कम लागत बहुत मायने रखती है।
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