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    साइबर फ्रॉड रोकने के लिए टेलीकॉम विभाग लाएगा नए नियम, इन कंपनियों को करना होगा मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 11:01 AM (IST)

    देश में साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) नए नियम लाने की तैयारी में है। ये नियम टेलीकॉम ऑपरेटरों और बैंकों पर लागू होंगे। मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म (MNV) से KYC विवरण के अनुसार मोबाइल नंबर का सत्यापन किया जाएगा। इससे बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर की पुष्टि होगी और साइबर अपराधों पर नियंत्रण में मदद मिलेगी। यह नियम वित्तीय संस्थानों तक ही सीमित रहेगा।

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    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। देश में बढ़ते साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DOT) नए नियम लाने की तैयारी कर रहा है। ये नियम सभी बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर जैसे - एयरटेल, रिलायंस जियो, बीएसएनएल और वोडाफोन-आइडिया पर लागू होंगे। इसके साथ ही बैंक, फाइनेंस और बीमा से जुड़ी कंपनियां के लिए भी नए नियमों में कुछ प्रावधान किए जाएंगे।

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    ET Telecom ने अपनी एक रिपोर्ट में DoT के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि नए नियमों का उद्देश्य सिर्फ लाइसेंस प्राप्त टेलीकॉम कंपनियों और उनसे जुड़े संस्थानों को इंटीग्रेट करना है। इसका मकसद गैर-टेलीकॉम कंपनियों को कंट्रोल करना बिलकुल भी नहीं है।

    मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म (MNV)

    दूरसंचार विभाग के आने वाले नियमों में सबसे जरूरी मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म (MNV) है। इसके जरिए यह देखा जाएगा कि क्या किसी यूजर का मोबाइल नंबर उसके KYC (Know Your Customer) डिटेल के अनुसार है या नहीं। विभाग जल्द ही नए नियमों को लागू कर सकता है।
    MNV के आने से बैंक, फाइनेंस और बीमा कंपनियां नए अकउंट खोलते समय ही ग्राहक का मोबाइल नंबर वेरिफाई कर पाएंगे। इसकी मदद से साइबर फ्रॉड रोकने में मदद मिलेगी। फिलहाल अभी तक ऐसी कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर उसी ग्राहक का है या नहीं।

    DoT नए नियम के तहत इस कमी को दूर करने के लिए काम कर रही है। बैंक और फिनटेक कंपनियां टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ मिल कर ग्राहक का मोबाइल नंबर चेक कर पाएंगी। विभाग को उम्मीद है कि इस पहल से साइबर अपराधों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी। यह नियम ई-कॉमर्स या फूड डिलीवरी जैसे प्लेटफॉर्म पर लागू नहीं होगा। यह टेलीकॉम कंपनियों और वित्तीय संस्थानों तक सीमित होगा।

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