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    RBI की गारंटी वाली डिजिटल करेंसी भारत में होगी लॉन्च: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 05:43 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार RBI द्वारा समर्थित डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रही है। ये करेंसी फास्ट ट्रेस करने योग्य और सुरक्षित डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देगी। वहीं बिना बैकिंग वाली निजी क्रिप्टोकरेंसी को सरकार का समर्थन नहीं मिलेगा। इस कदम को विशेषज्ञ देश में फिनटेक रेगुलेशन और CBDC अपनाने की दिशा में बड़ा बदलाव मान रहे हैं।

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    सरकार RBI द्वारा समर्थित डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रही है।

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को ऐलान किया कि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा समर्थित डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार निजी क्रिप्टोकरेंसी का समर्थन नहीं करती, जिनके पास कोई वास्तविक असेट बैकिंग नहीं होती। पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से अलग, ये RBI-गारंटीड डिजिटल करेंसी लेनदेन को आसान बनाएगी, तेज और ट्रेस करने योग्य पेमेंट इनेबल करेगी और पेपर कंजप्शन को कम करेगी। मंत्री ने ये भी कहा कि बिना बैकिंग वाली क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन उन पर भारी टैक्स लगाया गया है ताकि उनका उपयोग सीमित रहे और यूजर्स जोखिम में न पड़ें।

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    CBDC से ट्रांसपेरेंट और एफिशिएंट ट्रांजैक्शन को बढ़ावा

    दोहा में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि ये कदम वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में है। उन्होंने कहा, 'हम नहीं चाहते कि कोई ऐसी क्रिप्टोकरेंसी में फंस जाए जिसके पीछे कोई बैकिंग न हो या कोई जिम्मेदार संस्था मौजूद न हो।'

    Chainalysis 2025 ग्लोबल एडॉप्शन इंडेक्स के मुताबिक, भारत, पाकिस्तान और वियतनाम उन देशों में शामिल हैं जो ग्लोबल क्रिप्टो एक्टिविटी में लीडर हैं। एशिया-पैसिफिक में ट्रांजैक्शन वॉल्यूम $1.4 ट्रिलियन (करीब 12,42,080 करोड़ रुपये) से बढ़कर $2.36 ट्रिलियन (करीब 20,92,200 करोड़ रुपये) हो गया है।

    क्रिप्टो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये घोषणा सरकार की कड़ी रेगुलेटरी निगरानी की ओर संकेत करती है। इंडिया ब्लॉकचेन अलायंस के फाउंडर और CEO राज कपूर ने Decrypt को बताया कि ये कदम सरकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को अपनी फिनटेक स्ट्रैटेजी का अहम हिस्सा बनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

    कपूर ने ये भी कहा कि RBI-बैक्ड टोकन का मुख्य उद्देश्य बिना बैकिंग वाली क्रिप्टोकरेंसी, खासकर स्पेकुलेटिव टोकन, मीमकॉइन्स या ऐसे DeFi प्रोजेक्ट्स को नियंत्रित करना होगा जिनके पास कोई वास्तविक संसाधन नहीं है। इसके बजाय, ये टोकन वैधता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित करेगा।

    एमरजिंग पेमेंट्स एसोसिएशन एशिया की चीफ एक्सपैंशन और इनोवेशन ऑफिसर मोनिका जसूजा ने भी इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने X (पहले Twitter) पर पोस्ट करते हुए कहा, 'भारत जिम्मेदारी के साथ इनोवेशन चाहता है- डिजिटल मनी का अगला दौर सीमाहीन नहीं बल्कि संप्रभु होगा।'

    देश में CBDC को बढ़ावा देने और निवेशकों का झुकाव कम्प्लायंस-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स की ओर करने के प्रयास में, RBI पहले ही डिजिटल रुपया रिटेल और होलसेल दोनों मार्केट में एक्सप्लोर कर चुका है।

    हालांकि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। ऑब्जर्वर्स के मुताबिक, रेगुलेटरी अनिश्चितता के कारण देश की 80-85% टॉप क्रिप्टो टैलेंट विदेश चला गई है, जबकि प्राइवेट क्रिप्टो फ्रेमवर्क अब भी अस्पष्ट हैं। कपूर ने प्राइवेसी, निगरानी और टोकन जारीकर्ताओं की प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता जताई।

    उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार उन विदेशी स्टेबलकॉइन्स या क्रॉस-बॉर्डर टोकन फ्लो को कैसे मैनेज करेगी जो एसेट-बैक्ड मानकों पर खरे नहीं उतरते। उन्होंने उभरती डिजिटल इकॉनमी में सुरक्षा और इनोवेशन के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया।

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