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    इस App को लेकर साउथ कोरिया और जापान की बीच बढ़ गई टेंशन,आखिर क्या है इसके पीछे की वजह

    Updated: Tue, 25 Jun 2024 09:10 AM (IST)

    मैसेजिंग ऐप लाइन ने जापान और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। हम लाइन मैसेजिंग ऐप की बात कर रहे हैं जिससे उनके रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं। इस ऐप में आप किसी को भी मैसेज और स्टिकर शेयर कर सकते हैं। बता दें कि इसे दक्षिण कोरियाई कंपनी नेवर ने बनाया है लेकिन जापान में इसका बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है।

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    लाइन ऐप बना बड़े विवाद का कारण , यहां जानें सारी कहानी

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। जहां कुछ देश अपनी स्थिति और जरूरतों को लेकर बड़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, वहीं जापान और साउथ कोरिया एक मैसेजिंग ऐप के कारण तनाव का सामना कर रह हैं। हम लाइन की बात कर रहे हैं, जो एक लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप है औक अपने प्यारे स्टिकर के लिए जाना जाता है।

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    फिलहाल यह जापान और दक्षिण कोरिया के बीच टकराव का एक कारण बन गया है और दो अमेरिकी सहयोगी अपने तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।

    क्यों हो रहा विवाद

    • बता दें कि लाइन ऐप को दक्षिण कोरियाई कंपनीा नेवर द्वारा बनाया गया। इसे 2011 के जापान में विनाशकारी भूकंप के बाद व्यापक रूप से अपनाया गया, क्योंकि उस समय फोन लाइनें पूरी तरह से बंद हो गई थी।
    • इस बात को ध्यान में रखते हुए नेवर और जापानी समूह सॉफ्टबैंक ने 2019 में लाइन को को-फाउंड करने के लिए हाथ मिलाया, जिसे 'गैया' नाम दिया गया और राजनयिक तनावों के बीच सहयोग के एक पहल के रूप में देखा गया।
    • हालांकि, हाल में चल रही घटनाओं के कारण इस पार्टनरशिप पर समस्याएं आ रही है। नवंबर 2023 में डेटा उल्लंघन के बाद, जापान के संचार मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसे नेवर पर लाइन में अपने मालिकाना हक को त्यागने के लिए दबाव डालने के रूप में देखा गया।
    • इस कदम ने दक्षिण कोरिया में आक्रोश को भड़का दिया है और दोनों के रिस्ते प्रभावित हो रहे हैं।
    • मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि नेवर के निवेश और कड़ी मेहनत के बाद उनके बाहर निकलने की मांग करना सभ्य राष्ट्र के सिद्धांतों की अवहेलना है।

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    प्रभावित होंगे संबंध

    • मीडिया रिपोर्ट में यह चेतावनी दी यह विवाद जापान-दक्षिण कोरिया संबंधों को झटका दे सकता है। पहले भी कोरिया पर जापान के पिछले शासन से उपजी ऐतिहासिक शिकायतें लंबे समय तक छाया डालती रहती हैं।
    • CCSI की क्षेत्रीय निदेशक मैको टेकुची ने तनाव बढ़ने की संभावना पर प्रकाश डाला और कहा कि पिछले अनुभवों से पता चलता है कि मामूली तनाव, ऐतिहासिक या समकालीन, जल्दी से व्यापक रक्षा और कूटनीतिक मुद्दों में बदल सकते हैं।
    • दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यूं सुक येओल के जापान के प्रति सुलह के दृष्टिकोण की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति के सहयोगी चो कुक ने यूं की नीतियों को 'अपमानजनक' करार दिया।
    • विवाद के बावजूद दोनों सरकारें तनाव कम करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई देती हैं। मई के अंत में प्रधानमंत्री किशिदा और राष्ट्रपति यून ने राजनयिक संबंधों में बाधा बनने से लाइन मुद्दे को रोकने पर सहमति व्यक्त की।

    क्या है रास्ता?

    • ईस्ट एशिया इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष यूल सोहन ने जापान के दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया और कहा कि जबकि संबंध सुधर रहे हैं, दोनों पक्ष अतीत के बारे में पूरी तरह से जागरूक हैं। 
    • ऐसे में एक मजबूत नींव के साथ भी दरारें बनी हुई हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता है।
    • अब देखना है आने वाले समय में दोनों देश इस विवाद से कैसे निपटते हैं और इसका क्या हल निकलता है।

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