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    स्वदेश में चिप निर्माण से इलेक्ट्रानिक्स उपकरण विनिर्माण को मिलेगा भरपूर दम, एक्सपर्ट व्यू

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Mon, 10 Oct 2022 03:37 PM (IST)

    Semiconductor Technology गुजरात में भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण इकाई के आयात पर होने वाला खर्च भी बचेगा। वैसे यह सब इतना आसान नहीं है। इसके लिए चिप निर्माण के जटिल इकोसिस्टम को समझना भी आवश्यक है।

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    चिप निर्माण के जटिल इकोसिस्टम को समझना भी आवश्यक है। प्रतीकात्मक

    शिवेश प्रताप। यदि चिप डिजाइनिंग की बात करें तो संसार में अमेरिका इस मामले निर्विवाद रूप से नेतृत्व करता है। डिजाइन ही किसी चिप इकोसिस्टम का 50 प्रतिशत मूल्य निर्धारित करता है। संसार की 10 सबसे बड़ी फैबलेस कंपनियों में छह कंपनियां अमेरिका की हैं। इंटेल जैसी सेमीकंडक्टर उद्योग की महाशक्ति अमेरिका में ही है। वर्ष 2018 में 51 प्रतिशत वैश्विक आइडीएम आय अमेरिकी कंपनियों को ही होते थे। इलेक्ट्रानिक डिजाइन आटोमेशन का प्रयोग करने वाली लगभग सभी कंपनियां अमेरिका की ही हैं।

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    अमेरिका भविष्य में भी अनुसंधान, चिप विनिर्माण से संबंधित उपकरणों एवं साफ्टवेयर क्षेत्रों का नेतृत्व करने वाला है। विशिष्ट सेमीकंडक्टर विनिर्माण मेटेरियल के मामले में जापान दुनिया का लीडर है एवं विश्व विनिर्माण के 51 प्रतिशत पर इसका ही अधिकार है। जापान अकेले पूरी दुनिया के सेमीकंडक्टर उद्योग के फोटो रेसिस्ट कोटिंग एवं उच्च परिष्कृत एल्युमीनियम इलेक्ट्रोलाइट कैपेसिटर का आपूर्तिकर्ता है। जापान इचिंग गैस की वैश्विक मांग का 70 प्रतिशत आपूर्ति अकेले करता है।

    सेमीकंडक्टर औद्योगिक क्रांति साकार रूप लेती दिख रही

    सिलीकान वेफर के विनिर्माण में जापान 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। आस्ट्रेलिया संसार का सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक देश है जो सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक अति महत्वपूर्ण धातु है। वह सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रयुक्त दुर्लभ मृदा धातु जैसे गैलियम और नियोडिमियम का भी आपूर्तिकर्ता है। इसी के साथ आस्ट्रेलिया एक निवेशक के रूप में क्वाड में अहम भूमिका निभा सकता है। सेमीकंडक्टर के डिजाइन में भारत दुनिया का एक मुख्य देश बनकर उभर सकता है। साथ ही अपने कुशल इंजीनियरों के बल पर इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स के डाउनस्ट्रीम असेंबली सेक्शन में भी अच्छा कार्य कर सकता है। लगभग 500 अरब डालर के वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में भारत लगभग 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी कर सकता है। इसमें सेवाओं के साथ गैसों, खनिजों एवं उपकरणों से संबंधित आपूर्ति शामिल है। भारत में मोदी सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर औद्योगिक क्रांति के लिए 30 अरब डालर का निवेश किया जा रहा है।

    सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में संपूर्ण सहयोग

    केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योगों के विकास के लिए 76 हजार करोड़ रुपये के अपने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना को पहले ही जारी कर दिया है। अप्रत्यक्ष रूप से ताइवान के चिप विनिर्माण को क्वाड एवं भारत का भी लाभ मिलना तय है। इसी क्रम में गुजरात में एक संबंधित विनिर्माण इकाई का निर्माण किया जा रहा है। इसके माध्यम से लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मोदी सरकार के प्रयास, इंसेंटिव, क्वाड द्वारा आपूर्ति शृंखला समाधान की उपलब्धता एवं सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में संपूर्ण सहयोग से भारत में आज सेमीकंडक्टर औद्योगिक क्रांति साकार रूप लेती दिख रही है। भविष्य में इन प्रयासों से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के इन इलेक्ट्रानिक्स उद्योगों में शामिल होने से क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देगा जो भारत के इस उद्योग में वैश्विक नेतृत्व का उत्तरदायी होगा।

    [तकनीकी-प्रबंध सलाहकार]