कितना सुरक्षित है डीपसीक का प्रयोग, क्या सावधान रहने की जरूरत है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में तहलका मचाने के बाद चीनी एआई मॉडल अब सवालों में घिरता जा रहा है। डीपसीक पर आरोप है कि इसमें हिडेन कोड्स के जरिए पर्सनल डाटा का एक्सेस चीनी सरकार को मिल रहा है। दक्षिण कोरियाई एजेंसी का तो आरोप है कि यह कीबोर्ड इनपुट पैटर्न समेत अन्य पर्सनल डाटा को तेजी से कलेक्ट करता है और इसे चीनी सर्वर भेजता है।
ब्रह्मानंद मिश्र, नई दिल्ली। पेरिस में संपन्न तीसरा वैश्विक एआई (2023 ब्रिटेन में और 2024 दक्षिण कोरिया में) से मुख्य रूप से दो मामलों में अलग रहा। पहला, एडवांस एआई सिस्टम के संभावित खतरों और चुनौतियों पर ही टिके रहने के बजाय इस बार एआई के क्षमता के विकास, खासकर मेडिसिन और क्लाइमेट साइंस जैसे क्षेत्रों में उपयोगिता जैसे विषयों पर फोकस रहा, दूसरा बहुत ही कम लागत में तैयार चीनी एआई स्टार्टअप डीपसीक को लेकर चर्चाएं रहीं। इससे दुनिया के तमाम देशों को एआई के क्षेत्र में नवाचार की प्रेरणा मिल रही है।
इन चर्चाओं के बीच एआई मॉडल की चुनौतियां पहले से गंभीर हुई हैं, बेशक यह समस्या डीपसीक के मामले में कहीं अधिक चिंताजनक है।
क्या हैं डीपसीक को लेकर चिंताएं?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में तहलका मचाने के बाद चीनी एआई मॉडल अब सवालों में घिरता जा रहा है। डीपसीक पर आरोप है कि इसमें हिडेन कोड्स के जरिए पर्सनल डाटा का एक्सेस चीनी सरकार को मिल रहा है। वैसे भी जब आप सिक्योरिटी और चीनी प्रोपेगैंडा का जवाब गोलमोल ही होता है या वह इन्कार कर देता है यानी इसकी प्रतिक्रिया में पूर्वाग्रह बिल्कुल स्पष्ट है।
कई देशों में हो चुका है बैन
फिलहाल डाटा प्राइवेसी, सिक्योरिटी और भूराजनीतिक प्रभावों को देखते हुए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और ताइवान समेत अनेक देशों ने इस पर रोक लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। वाल स्ट्रीट जर्नल की मानें तो 'जेलब्रेकिंग' यानी सुरक्षा मानकों और एथिकल गाइडलाइंस को बाइपास करने की आशंका डीपसीक आर1 में सबसे अधिक है। दक्षिण कोरियाई एजेंसी का तो आरोप है कि यह कीबोर्ड इनपुट पैटर्न समेत अन्य पर्सनल डाटा को तेजी से कलेक्ट करता है और इसे चीनी सर्वर भेजता है।
सुरक्षा को लेकर आगाह होने की जरूरत
डीपसीक के ओपनसोर्स होने के कारण इनोवेशन और असेसबिलिटी की भरपूर संभावनाएं तो हैं, लेकिन यहां नियमन और नियंत्रण की चुनौती बेहद गंभीर है। इसकी लोकप्रियता का एक बड़ा कारण रीजनिंग क्षमताओं से लैस होने के साथ-साथ इसका फ्री होना भी है। इसके चलते फिशिंग और मालवेयर आदि के प्रयोग में इसके खतरे हैं। सरकारें भले ही डीपसीक की वेबसाइट और मोबाइल एप को प्रतिबंधित कर दें, लेकिन इसके ओपनसोर्स होने के चलते पूर्णतः प्रतिबंध लगाना कठिन है। यही कारण है कि इसके दुरुपयोग का खतरा हर समय बना रहेगा।
AI प्लेटफार्म की सुरक्षा चिंताएं
- डीपसीक अकेला मामला नहीं है। अन्य AI प्लेटफार्म (जिसमें चैटजीपीटी भी शामिल) के अत्यधिक प्रयोग और व्यापक डाटा होने के कारण ये साइबर अपराधियों के निशाने पर होते हैं।
- कुछ एआई प्लेटफार्म पर यूजर को अपनी निजी जानकारियों, जैसे नाम, ईमेल एड्रेस और संवेदनशील प्राथमिकताओं को साझा करना होता है। कई बार तो आवश्यकता नहीं होने पर भी यूजर सेंसटिव जानकारियों को साझा कर बैठते हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार हानिकारिक आउटपुट, आपराधिक गतिविधियों के लिए भी एआई सिस्टम को जेलब्रेक (मैनिपुलेट) किया जा सकता है।
- थ्रेट एक्टर फिशिंग कैपेन, सोशल इंजीनियरिंग अटैक के लिए इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।
- साइबर अपराधी मैलिसियस साफ्टवेयर तैयार करने के लिए AI को प्रयोग में ला सकते हैं।
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