नई दिल्ली, टेक डेस्क। बीते कुछ सालो में साइबर अटैक की घटना काफी बढ़ रही है। अपराधी आए दिन नए-नए तरीके निकालते हैं ताकि लोगों को अपना शिकार बना सकें। अभी खबर आ रही है कि साइबर अपराधी ChatGPT प्रतिबंधों को बायपास करने के लिए टेलीग्राम बॉट्स का उपयोग कर रहे हैं। एक नई रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

रिपोर्ट में मिली जानकारी

चेक प्वाइंट रिसर्च (CPR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक टेलीग्राम बॉट्स के विज्ञापन अंडरग्राउंड पाए गए हैं। इसका मतलब है कि ChatGPT प्रतिबंधों से बचने के लिए साइबर अपराधी टेलीग्राम बॉट्स का उपयोग कैसे कर रहे हैं और हम यहां आपको इसकी पूरी जानकारी देने वाले हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

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टेलीग्राम बॉट्स का उपयोग कैसे कर रहे हैं अपराधी

CPR की रिपोर्ट से पता चला है कि बॉट दुर्भावनापूर्ण ईमेल या कोड के निर्माण को सक्षम करने के लिए OpenAI के API का उपयोग कर रहे हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि बॉट निर्माता वर्तमान में 20 प्रश्नों को फ्री मे दे रहे हैं। हालांकि, उसके बाद, वे प्रत्येक 100 प्रश्नों के लिए 5.50 डॉलर चार्ज करते हैं। CPR ने चेतावनी दी है कि साइबर अपराधियों अनैतिक उद्देश्यों पूरा करने के लिए OpenAI का उपयोग करके ChatGPT के प्रतिबंधों को दरकिनार करने का प्रयास जारी रखे हुए हैं।

टेलीग्राम बॉट्स का कर रहे हैं इस्तेमाल

रिपोर्ट में ऐसी इमेज भी शामिल हैं, जो दिखाती हैं कि कैसे साइबर अपराधी ChatGPT द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को बायपास करने के लिए टेलीग्राम बॉट्स की ओर रुख कर रहे हैं। इमेज में से एक टेलीग्राम में OpenAI बॉट का विज्ञापन दिखाती है, जो अंडरग्राउंड फोरम में उपलब्ध है।

एक अन्य इमेज टेलीग्राम बॉट में बनाए गए फिशिंग ईमेल का एक उदाहरण दिखाती है, जो बिना किसी सीमा के OpenAI के API का उपयोग करने की क्षमता रखता है। इस बीच तीसरी छवि OpenAI API का उपयोग करने वाले टेलीग्राम बॉट में एंटी-एब्यूज प्रतिबंधों के बिना मैलवेयर कोड बनाने की क्षमता का एक उदाहरण दिखाती है। चौथी तस्वीर ChatGPT एपीआई-आधारित टेलीग्राम चैनल का एक बिजनेस मॉडल दिखाती है।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि साइबर अपराधी बुनियादी स्क्रिप्ट बना रहे हैं जो दुरुपयोग विरोधी प्रतिबंधों को बायपास करने के लिए OpenAIs API का उपयोग करते हैं। पांचवीं और अंतिम इमेज एक स्क्रिप्ट का उदाहरण देती है, जो सीधे एपीआई को क्वेरी करती है और मैलवेयर विकसित करने के लिए प्रतिबंधों को दरकिनार करती है।

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Edited By: Ankita Pandey