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    मुश्किल होगा फेसबुक-इंस्टाग्राम चलाना, अकाउंट बनाने के लिए परमिशन जरूरी, क्या है सरकार का प्लान?

    Updated: Wed, 08 Jan 2025 01:34 PM (IST)

    सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए कोई बंदिशें नहीं हैं। जिसकी वजह से किसी भी उम्र का बच्चा अकाउंट क्रिएट कर सकता है। हालांकि नए नियमों में साफतौर पर कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे आसानी से अकाउंट नहीं बना पाएंगे। बल्कि इसके लिए उन्हें कई शर्तों को पूरा करना है। इसके लिए माता-पिता की परमिशन लेनी जरूरी होगी।

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    18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए परमिशन लेना जरूरी होगा।

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Digital Personal Data Protection Act: डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी) को अगस्त 2023 में संसद में पारित किया गया था। इसके अनुसार, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए परमिशन लेना जरूरी होगा। नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम के तहत नाबालिगों के लिए सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलना आसान नहीं है।

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    अकाउंट खोलने से पहले माता-पिता की परमिशन लेना जरूरी हो जाएगा। माता-पिता से परमिशन लेने के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा।

    आसान नहीं होगा अकाउंट बनाना

    सोशल मीडिया के जरिये बच्चों पर नेगेटिव प्रभाव पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए कोई बंदिशें नहीं हैं। जिसकी वजह से किसी भी उम्र का बच्चा अकाउंट क्रिएट कर सकता है। हालांकि, नए नियमों में साफतौर पर कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे आसानी से अकाउंट नहीं बना पाएंगे। बल्कि, इसके लिए उन्हें कई शर्तों को पूरा करना है। इसके लिए माता-पिता की परमिशन लेनी जरूरी होगी।

    इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय के मुताबिक वर्चुअल टोकन वेरिफिकेशन के वक्त जेनरेट होगा और अस्थायी होगा। डिजिटल डाटा का उपयोग करके वर्चुअल टोकन जेनरेट किया जाएगा।

    हालांकि, आईटी सेक्टर के जानकार इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि मसौदे के मुताबिक सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के दौरान माता-पिता की सहमति या उनके सत्यापन की जरूरत तब होगी जब बच्चा अपनी उम्र 18 साल से कम बताता है। ऐसे में सवाल है कि जब किसी बच्चे को अकाउंट क्रिएट करना होगा, तो वह अपनी उम्र कम क्यों बताएगा।

    रख सकते हैं अपने विचार

    इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 18 फरवरी तक मसौदे पर आम लोगों की राय मांगी है। इस पर कोई भी व्यक्ति अपनी निजी राय रख सकता है। सभी की राय लेने के बाद उस पर विचार किया जाएगा। जिसके बाद नियमो को लागू करने की ओर सरकार बढ़ेगी।

    प्राइवेसी के लिए कोई दिक्कत नहीं

    इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, वेरिफिकेशन के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसी प्रणाली तैयार की जाएगी, जिसमें माता-पिता को परमिशन देने या न देने के लिए ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। जिस टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा। वह अस्थायी होगा। यानी प्राइवेसी के लिहाज से कोई परेशानी वाली बात नहीं है।

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