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    Google ने जब दूसरी कंपनी जॉइन न करने के दिए 857 करोड़, YouTube के CEO ने खोल दिया वो गहरा राज!

    यूट्यूब के सीईओ नील मोहन को गूगल ने 2011 में ट्विटर में शामिल होने से रोकने के लिए 857 करोड़ रुपये का स्टॉक डील ऑफर किया था। इंडियन इंटरप्रेन्योर निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में इस बात का खुलासा हुआ। गूगल मोहन को एक मजबूत प्रोडक्ट लीडरशिप के तौर पर देखता था।

    By Sameer Saini Edited By: Sameer Saini Updated: Wed, 28 May 2025 02:00 PM (IST)
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    Google ने जब दूसरी कंपनी जॉइन न करने के दिए 857 करोड़

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। यूट्यूब के सीईओ नील मोहन शायद टेक इंडस्ट्री के बाहर के लोगों के लिए कोई ज्यादा फेमस नाम नहीं है, लेकिन सिलिकॉन वैली में उन्हें गूगल और यूट्यूब की सफलता के पीछे के प्रमुख लोगों में से एक माना जाता है। अब उनके अतीत से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जो दिखाता है कि वो Google के लिए कितने वैल्युएबल पर्सन रहे हैं।

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    हाल ही में इंडियन इंटरप्रेन्योर और इन्वेस्टर निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि Google ने मोहन को वर्ष 2011 में Twitter जिसे अब X कहा जाता है, में शामिल होने से रोकने के लिए 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 857 करोड़ रुपये का बड़ा स्टॉक डील ऑफर दिया। उस समय Twitter मजबूत प्रोडक्ट लीडरशिप लाने की तलाश में था और उसने मोहन से चीफ प्रोडक्ट अफसर की भूमिका के लिए कांटेक्ट किया।

    Google ने इतना बड़ा काउंटर

    मोहन अभी नए ऑफर के बारे में गंभीरता से सोच ही रहे थे कि Google ने इतना बड़ा काउंटर पेश किया कि इसने टेक जगत में खूब सुर्खियां बटोरीं, भले ही यह आम लोगों को याद न हो। कंपनी ने उन्हें कई सालों में $100 मिलियन से ज्यादा वैल्यू की रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक यूनिट्स दीं, ताकि वे कंपनी में बने रहें। यह कोई जल्दी में लिया गया फैसला नहीं था। मोहन 2007 में DoubleClick के अधिग्रहण के बाद से ही गूगल में थे।

    उन्होंने Google के एडवरटाइजिंग बिजनेस को बनाने में एक बड़ी भूमिका निभाई और बाद में यूट्यूब के विकास में शामिल हो गए। उनके एक्सपीरियंस और प्रोडक्ट्स की गहरी समझ ने उन्हें दोनों प्लेटफॉर्म के लिए एक वैल्युएबल एसेट बना दिया।

    मुश्किल टाइम में DoubleClick को संभाला

    बता दें कि गूगल में शामिल होने से पहले मोहन ने स्टैनफोर्ड में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एंडरसन कंसल्टिंग में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वे NetGravity नाम के एक छोटे स्टार्टअप में जुड़ गए, जो बाद में DoubleClick का हिस्सा बन गया।

    इन सालों के दौरान वो रैंक में ऊपर बढ़ते गए और लीडरशिप के रोल में खुद को साबित किया। मुश्किल टाइम में DoubleClick को आगे बढ़ाने में मदद की और Google के लिए इसे अधिग्रहण करने के लिए काफी अट्रैक्टिव बनाया।

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