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    कॉपीकैट वाली इमेज से बाहर निकल, DeepSeek से दुनिया को हैरान कर देने तक; चीन ने US को ऐसे छोड़ा पीछे

    Updated: Wed, 29 Jan 2025 12:33 PM (IST)

    चीन पहले घटिया किस्म के नकली प्रोडक्ट्स बनाने के लिए जाना जाता था। लेकिन अब ये अलग-अलग हाई-टेक फील्ड में एक इनोवेटर के तौर पर उभरा है। आयरन-मेकिंग स्टील्थ फाइटर जेट्स सैटेलाइट कम्युनिकेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हाल की प्रोग्रेस चीन के विकास को दिखा रही हैं। साथ ही ये वेस्टर्न टेक्नोलॉजी और इनोवेशन डॉमिनेंस के लिए चुनौती पेश कर रही हैं।

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    DeepSeek के साथ चीन ने ऐसे छोड़ा US को पीछे।

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। पिछले महीने, चीन ने एक नई आयरन-मेकिंग टेक्नोलॉजी पेश की, जो आयरन-मेकिंग की स्पीड में 3,600 गुना या उससे ज्यादा की वृद्धि कर सकती है। ये चीन की स्टील इंडस्ट्री की एनर्जी-यूज एफिशिएंसी को एक तिहाई से ज्यादा इंप्रूव कर सकती है। कुछ हफ्ते बाद, इसने दुनिया को एक नए स्टेल्थ फाइटर जेट दिखाकर स्तब्ध कर दिया। माना जाता है कि ये एक 6th-जेनरेशन मॉडल है, जो एक ऐसे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है जिसे एविएशन में पिछड़ा माना जाता है। लगभग एक हफ्ते बाद, चीन ने सैटेलाइट-टू-ग्राउंड लेजर कम्युनिकेशन में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन हासिल किया। चीन 100 गीगाबिट्स प्रति सेकंड (Gbps) की डेटा ट्रांसमिशन रेट तक पहुंच कर एडवांस्ड सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजीज की रेस में एलन मस्क के स्टारलिंक से आगे निकल गया।

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    पिछले हफ्ते, एक चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप का चैटबॉट, DeepSeek, एपल के यूएस ऐप स्टोर पर सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाने वाला फ्री ऐप बन गया, जिसने OpenAI के ChatGPT को पीछे छोड़ दिया। DeepSeek के उदय ने AI-लिंक्ड स्टॉक्स पर असर डाला और Nvidia जैसी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का सफाया कर दिया। इंडस्ट्री को वास्तव में जो बात परेशान कर रही है, वो DeepSeek का ये दावा है कि उसने अपने लेटेस्ट मॉडल R1 को उस लागत के एक अंश पर डेवलप किया है, जो बड़ी कंपनियां AI डेवलपमेंट में इन्वेस्ट कर रही हैं। खास तौर पर महंगे Nvidia चिप्स और सॉफ्टवेयर पर।

    सिलिकन वैली में बड़ी चिंता

    इस खबर ने US के टेक सेक्टर में चिंता पैदा कर दी। साथ ही एक सवाल भी यहां खड़ा हो गया कि क्या वाकई में टेक की बड़ी कंपनियों को AI इन्वेस्टमेंट में सैकड़ों अरब डॉलर डालना चाहिए। क्योंकि, दूसरी तरफ एक चीनी कंपनी ने वैसा ही मॉडल काफी किफायती कीमत पर बना कर दिखा दिया है।

    एलन मस्क ने उठाया सवाल

    इकॉनोमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि, अपनी कंपनी xAI के लिए Nvidia चिप्स में भारी निवेश करने वाले एलन मस्क को संदेह है कि DeepSeek सीक्रेट तरीके से बैन हुए H100 चिप्स को एक्सेस कर रहा है। यही आरोप ScaleAI के सीईओ द्वारा भी लगाया गया है, जो अमेजन और मेटा बैक्ड एक मेजर सिलिकॉन वैली स्टार्टअप है।

    सिलिकॉन वैली के साथ-साथ डोनाल्ड ट्रम्प सरकार को भी परेशान कर देने वाला डीपसीक एक अमेरिकी आविष्कार की सस्ती नकल है, जिसमें चीन ने महारत हासिल कर ली है। लेकिन डीपसीक कोई और कुख्यात चीनी नकल नहीं है। ये अपनी एफिशिएंसी के साथ सिलिकॉन वैली के लिए एक चुनौती पेश कर रहा है। Geely Motors द्वारा बनाई गई नकली मर्सिडीज-बेंज से लेकर DeepSeek तक, चीन एक नकलची से एक इनोवेटर के तौर पर डेवलप हुआ है। अब ये वेस्ट को आयरन-मेकिंग से लेकर AI तक अलग-अलग सेक्टर्स में टेक्नोलॉजी में अपनी प्रगति से चिंतित कर रहा है।

    नकलची से इनोवेटर के तौर पर ऐसे बढ़ा चीन

    कुछ समय पहले तक चीन घटिया किस्म की नकल करने वालों का पर्याय था। चीन में आपको नोकिया मोबाइल फोन से लेकर मर्सिडीज-बेंज तक, ज्यादातर वेस्टर्न प्रोडक्ट्स की नकल मिल सकती थी। जैसे-जैसे ये वेस्टर्न वैल्यू चेन में गहराई से इंटीग्रेट होता गया, दुनिया का कारखाना बनता गया। इसने इंडस्ट्रियल स्केल पर वेस्टर्न टेक्नोलॉजी की चोरी भी शुरू कर दी।

    चीन ने सस्ते, लो-क्वालिटी वाले या फेक प्रोडक्ट बनाने की अपनी पुरानी पहचान से आगे बढ़ने के लिए भारी फंडिंग और पश्चिमी देशों पर गुप्त जासूसी समेत सरकारी सहायता का इस्तेमाल किया। हालांकि, इसकी प्रोग्रेस केवल वेस्टर्न टेक्नोलॉजी की चोरी या नकल करने तक ही सीमित नहीं थी। एक और बड़ा फैक्टर ये था कि कई पश्चिमी कंपनियों ने चीन में फैक्टरी सेटअप किए और उन्हें अपनी टेक्नोलॉजी लोकल चाइनीज पार्टनर्स के साथ शेयर करनी पड़ी, जिससे चीन को और भी तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिली।

    जिस नकल में चीन ने कामयाबी हासिल की, उसने एक दशक से भी ज्यादा समय पहले इनोवेशन की नींव रखी।

    WeChat की कहानी भी है दिलचस्प

    पिछले साल Vionix Biosciences के सीईओ, विवेक वाधवा ने ET को लिखा था,'अलीबाबा, Tencent और Xiaomi जैसी कंपनियों ने वेस्टर्न मॉडल को फॉलो करके शुरुआत की। 'लेकिन उन्होंने जल्द ही इन आइडियाज को अपने लोकल मार्केट्स के मुताबिक ढाल लिया। ऐसे तरीकों से इनोवेट किया जो उनके वेस्टर्न काउंटपार्ट्स ने नहीं किया था। Tencent के WeChat को ही लें। ओरिजनली WhatsApp और दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से इंस्पायर्ड था। लेकिन, देखते ही देखते WeChat काफी बड़ा हो गया। ये एक 'सुपर ऐप' बन गया, जो मैसेजिंग और सोशल नेटवर्किंग से लेकर पेमेंट, ईकॉमर्स और यहां तक कि सरकारी सेवाओं तक की सर्विस ऑफर करता है। आज, WeChat न केवल एक चीनी सक्सेस स्टोरी है, बल्कि इनोवेशन का एक मॉडल है जिसे दुनिया भर में मेटा, एक्स, टाटा ग्रुप और ग्रैब जैसी अन्य कंपनियां दोहराना चाह रही हैं।'

    वाधवा ने कहा पब्लिकेशन से कहा,'ये रणनीति उन एरियाज में खास तौर से प्रभावी है जहां मार्केट और कंज्यूमर बिहेवियर वेस्ट से काफी अलग हैं। एक प्रूवन कॉन्सेप्ट की नकल करके और फिर उसका लोकलाइजेशन और एक्सपांशन करके, कंपनियां ऐसे प्रोडक्ट्स बना सकती हैं जो उनके स्पेसिफिक मार्केट्स के लिए ज्यादा बेहतर ढंग से तैयार किए गए हों। ये प्रोसेस अक्सर उन इनोवेशन की ओर ले जाती है जो ओरिजनल आइडिया से आगे जाते हैं और ऐसी फीचर्स और सर्विस ऑफर करते हैं जिन पर 'ओरिजिनेटर्स' ने कभी विचार नहीं किया होता है।'

    चीन के साथ ये भी एक अच्छी चीज हुई कि भारी संख्या में छात्रों द्वारा STEM सब्जेक्ट्स की पढ़ाई करने से एक मजबूत लोकल टैलेंट बेस का निर्माण हुआ, और इससे चीन को मदद मिली। जो चीन फाइनेंशियल, स्ट्रैटेजिक, कॉर्पोरेट और रेगुलेटरी एफर्ट्स के साथ इनोवेशन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा था।

    पेटेंट फाइल करने में भी चीन आगे

    चीन के इनोवेशन प्रोजेक्ट् को शुरुआत में खराब रिसर्च और जंक पेटेंट से मार्क किया गया था। इसमें क्वांटिटी क्वालिटी को ओवरटेक कर रही थी। हालंकि, चीन ने 'यू फेक इट टिल यू मेक इट' के सिद्धांत को बड़े जोश के फॉलो किया। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 'साइंस एंड इंजीनियरिंग इंडिकेटर्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल पहली बार, चीन के इनोवेटर्स द्वारा दायर इंटरनेशनल पेटेंट की संख्या अमेरिका के एप्लिकेशन्स को पार कर गई थी।

    वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन की एक और रिपोर्ट में पिछले साल बताया गया था कि चीन-बेस्ड इन्वेंटर्स सबसे ज्यादा जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) पेटेंट फाइल कर रहे हैं, जो अमेरिका, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, जापान और भारत के इन्वेंटर्स से कहीं आगे हैं, जो बाकी टॉप पांच लोकेशन्स में शामिल हैं। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (CSET) द्वारा Axios के साथ पहली बार शेयर किए गए नए डेटा में दिखाया गया है कि चीन AI के आधे से ज्यादा सबसे हॉट फील्ड्स में रिसर्च के टॉप प्रोड्यूसर के तौर पर अमेरिका से आगे है।

    अमेरिका पर चीन की GenAI पेटेंट लीड ने इस नैरेटिव को भी बदल दिया है कि चाइनीज पेटेंट क्वालिटी से क्वांटिटी वाले हैं। जब CSET रिसर्चर्स ने अपने एनालिसिस को रिफाइन करके सबसे ज्यादा रेटिंग वाले पेपर्स की तलाश कि तो चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज अभी भी यहां लीडर थी। जबकि, गूगल दूसरे नंबर पर उसके बाद चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी (Tsinghua University), स्टैनफोर्ड और फिर MIT थी।

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