इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के आयात में चीन और हांगकांग का दबदबा
आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि चीन और हांगकांग का दबदबा इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के आयात में बना हुआ है। इन दोनों देशों से आयात में पिछले कुछ वर्षों के दौरान नाटकीय वृद्धि देखी गई है। आर्थिक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए इस निर्भरत को कम करना जरूरी है। भारत की तकनीकी संप्रभुता को कायम रखने के लिए भी ऐसा करना आवश्यक है।
पीटीआई, नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, और इलेक्ट्रिकल प्रोटक्ट का आयात 2023-24 में बढ़कर 89.8 अरब डालर हो गया और इनमें से 56 प्रतिशत से अधिक आयात चीन और हांगकांग से किया गया है। आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इन उत्पादों के आयात में चीन की हिस्सेदारी 43.9 प्रतिशत है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो इन दोनों देशों से आयात में पिछले कुछ वर्षों के दौरान नाटकीय वृद्धि देखी गई है।जीटीआरआई ने कहा कि ना केवल आर्थिक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए इस निर्भरत को कम करना जरूरी है बल्कि भारत की तकनीकी संप्रभुता को कायम रखने के लिए भी ऐसा करना आवश्यक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये क्षेत्र लाखों लोगों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं, जो संचार, वाणिज्य और सूचना आगे बढ़ाते हैं। आयात पर चीन जैसे देश पर निर्भरता देश की रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करती है।
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वायरलेस उपकरणों के आयात में वृद्धि
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि चीनी आयात पर निर्भरता भारत की सप्लाई चेन के अंदर मौजूद गंभीर कमजोरियों को उजागर करती है और घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
कुछ वस्तुओं के आयात पर नजर डालें तो इंटीग्रेटेड सर्किट, जिसका 2007-2010 के बीच आयात 16.61 करोड़ था, वह 2020-2022 में बढ़कर 4.2 अरब डालर हो गया। इसी तरह, फोन और अन्य वायरलेस उपकरणों सहित संचार उपकरणों के आयात में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह बढ़कर 3.691 अरब डालर हो गया और आधे से अधिक बाजार पर अब चीन का प्रभुत्व है।
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