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    गजब का अविष्कार! आई फोन की कीमत पर बनाई पवन चक्की, जिंदगी भर रोशन होगा पूरा घर

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2016 05:33 PM (IST)

    केरल के दो भाइयों अरुण और अनूप जॉर्ज ने कम दाम में ऐसी पवन चक्की बनाई है जिससे आप जिंदगी भर अपनी घर रोशन कर सकते हैं।

    नई दिल्ली। अवंत गर्दे इनोवेशंस के संस्थापक अरुण और अनूप जॉर्ज ने बेहद कम दाम में एक ऐसी पवन चक्की को विकसित किया है, जो जिंदगी भर आपके घर को रोशन कर सकती है। पंखे के बराबर साइज की ये पवन चक्की रोजाना 3 से 5 किलोवाट प्रति घंटा बिजली पैदा करती है। इसकी कीमत एक आई फोन के बराबर यानी करीब 750 डॉलर है।

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    केरल के रहने वाले दोनों भाई अरुण और अनूप जॉर्ज जो देश के बिजली संकट को अतीत बनाना चाहते हैं। इन दोनों ने इस समस्या के लिए नया उपाय खोजा है। उनका कहना है कि इससे पारिस्थितिक संतुलन पर भी असर नहीं पड़ेगा।

    अंग्रेजी वेबसाइट e27 को दिए एक इंटरव्यू में दोनों ने कहा “हमारा लक्ष्य ऊर्जा गरीबी को खत्म करना, संघर्ष कर रहे राज्यों के पावर ग्रिड पर निर्भरता को कम करना और जरूरतमंदों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।“

    अरुण जॉर्ज की मानें तो जब एक छोटी पवन चक्की 1 किलोवाट उर्जा पैदा करती है तो इसका खर्च लगभग 4000 से 10000 यूएस डॉलर तक आता है यानि करीब 3 से 7 लाख रुपये। लेकिन इस उपकरण को लेने के लिए आपको जीवनभर के लिए 50000 रुपये की कीमत देनी होगी। एक तरह से देखा जाए तो जीवनभर की बिजली के लिए के लिए ये कीमत बहुत ज्यादा नहीं है।

    पनबिजली परियोजना का विरोध

    पिनरई विजयन ने केरल का मुख्यमंत्री बनते ही विवादित अथिरापल्ली पनबिजली योजना का समर्थन किया था। जिसके बाद इस पर काफी हंगामा हुआ। इस परियोजना को लेकर पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर इसे शुरू किया जाता है तो ये इलाके में पारिस्थितिक असंतुलन पैदा करेगी और राज्य में सबसे बड़े अथिरापल्ली झरने को बर्बाद कर देगी।

    ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार को इस परियोजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, कहा जाता है कि केरल में बढ़ते बिजली संकट के चलते इसका लाभ उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि, केरल आंशिक रूप से बिजली के लिए निजी क्षेत्र पर निर्भर रहता है।

    अन्य राज्यों में भी हालात कुछ अलग नहीं है। केरल के पास लगभग 100 फीसद बिजली कवरेज प्राप्त है, जबकि भारत के कई हिस्से अभी भी अंधेरे में हैं। देश की बड़ी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से के लिए आज भी बिजली एक दूर का सपना है।

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